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    डिजिटल अरेस्ट कर ठगने वाले पैन इंडिया रैकेट का भंडाफोड़, जांच में निकला दुबई और क्रिप्टोकरेंसी का कनेक्शन

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 04:05 PM (IST)

    दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पांच साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर अखिल भारतीय साइबर धोखाधड़ी गिरोह का भंडाफोड़ किया है। यह गिरोह डिजिटल गिरफ्तारी और निवेश के नाम पर लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी कर चुका है। पुलिस को दुबई में बैठे हैंडलर्स से जुड़े पांच करोड़ रुपये के क्रिप्टो लेनदेन का पता चला है। आरोपियों से पूछताछ जारी है।

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    दिल्ली, हरियाणा, पंजाब व उत्तराखंड में छापे मार गिरफ्तार किए गए सभी आरोपी।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब व उत्तराखंड में छापे मार पांच साइबर अपराधी को गिरफ्तार कर एक पैन-इंडिया साइबर फ्राड सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। पुलिस का मानना है कि यह सिंडिकेट देशभर में डिजिटल अरेस्ट व निवेश के नाम पर बड़ी संख्या में लोगों से करोड़ों रुपयेे ठगी कर चुका है।

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    फिलहाल पुलिस को आरोपियों से पूछताछ के आधार पर दुबई में बैठे हैंडलर्स से जुड़े पांच करोड़ रुपये के क्रिप्टो लेनदेन का पता चला है। नकली फर्म बनाकर और म्यूल अकाउंट्स का इस्तेमाल कर यह सिंडिकेट लोगों को शिकार बनाते थे। पुलिस ने साइबर फोरेंसिक, डाटा एनालिटिक्स और मैनुअल इंटेलिजेंस के लिए आरोपितों की पहचान कर उन्हें दबोचा।

    डीसीपी क्राइम ब्रांच आदित्य गाैतम के मुताबिक गिरफ्तार आरोपियों में अतुल शर्मा, लाडवा, कुरुक्षेत्र, हरियाणा का रहने वाला है। इसे गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया। यह दुबई में बैठे हैंडलर सुमित गर्ग के लिए काम करता था और निवेश के नाम पर लोगों से ठगी करता था। संदिग्ध ई-काॅमर्स एक्टिविटी के टेक्निकल एनालिसिस के बाद इसे दबोचा जा सका

    इसके पास से कई मोबाइल, सिमकार्ड, लैपटाॅप, चेक बुक और डेबिट व क्रेडिट कार्ड बरामद किए गए। यह सिंडिकेट पीजी अकोमोडेशन में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के नाम पर म्यूल करंट अकाउंट खुलवाकर उक्त खाते में ठगी के पैसे मंगवाने के लिए करता था। साथ ही सिबिल स्कोर बेहतर बनाने और भरोसा जीतने के लिए यह छोटी इंश्योरेंस पाॅलिसी में मदद की पेशकश करके भी लोगों से ठगी कर चुका है।

    राहुल मांडा, आदमपुर, हिसार, हरियाणा का रहने वाला है। इस पर डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी करने का आरोप है। यह पुलिस अधिकारी बनकर लोगाें से पैसे ऐंठता था। यह एक ऐसे मामले से जुड़ा है, जिसमें शिकायतकर्ता से 30 लाख की ठगी की गई थी। लंबे समय तक निगरानी के बाद इसे रुड़की, उत्तराखंड से पकड़ा गया।

    इसके पास से इलेक्ट्राॅनिक गैजेट्स और एक स्कार्पियो-एन एसयूवी बरामद हुई। राहुल मांडा, सेक्टर-49 थाना, चंडीगढ़ में दर्ज गैर इरादतन हत्या के मामले में पांच साल जेल की सजा काट चुका है। जेल से छूटने के बाद यह साइबर सिंडिकेट से जुड़कर सिंडिकेट को म्यूल अकाउंट उपलब्ध कराने लगा।

    वरुण अंचल उर्फ लकी, शहीद बाबू लाभ सिंह नगर, जालंधर, पंजाब का रहने वाला है। कानून प्रवर्तन अधिकारी का रूप धारण कर यह डिजिटल अरेस्ट के मामले में आरोपित है, जिसमें शिकायतकर्ता से मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर 26.80 लाख की ठगी की गई थी। यह म्यूल अकाउंट का इंतजाम करने, पैसे निकालने और हैंडलर्स को फंड ट्रांसफर करने का काम करता था।

    इसके पास से धोखाधड़ी वाले ट्रांजेक्शन में इस्तेमाल किए गए इलेक्ट्रानिक गैजेट्स बरामद किए गए। यह पहले भी इसी तरह के मामले में थाना नवी बारादरी, जालंधर व बिलासपुर, गुरुग्राम में गिरफ्तार हो चुका है।

    अमित कुमार सिंह उर्फ कार्तिक, गांव छपिया, इसुआपुर, सारण, बिहार का रहने वाला है। यह पहले आरबीएल बैंक में काम करता था। कमीशन के आधार पर ठगी की रकम निकालने के लिए यह अपने संपर्क के जरिए सिंडिकेट को बैंक अकाउंट उपलब्ध कराता था। इसके मोबाइल से आपत्तिजनक मैसेंजर चैट बरामद हुई हैं। अपने गलत इरादों को छिपाने के लिए यह बार-बार बैंक बदलता था। 39.5 लाख रुपये के निवेश के नाम पर ठगी के एक मामले में आरोपित है।

    लक्ष्य नंदा, लुधियाना पंजाब का रहने वाला है। 48.35 लाख के निवेश के नाम ठगी के मामले में आरोपी है। नंदा नकली इन्वेस्टमेंट प्लेटफार्म चलाने वाले मुख्य मास्टरमाइंड में से एक है। इसके पास से भी कई मोबाइल फोन, सिम, डेबिट,क्रेडिट कार्ड, लैपटाप और चेक बुक बरामद किए गए।

    एसीपी अनिल शर्मा व इंस्पेक्टर संदीप सिंह और इंस्पेक्टर अशोक कुमार के नेतृत्व में पुलिस टीम ने आरोपियों को गिरफ्तार किया। इनसे पूछताछ के आधार पर इनके चेन से जुड़े अन्य की तलाश की जा रही है।

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