कोर्ट ने चैतन्यानंद की जब्ती दस्तावेज देने की मांग ठुकराई, दवा और किताबों की मिली इजाजत
अदालत ने चैतन्यानंद की जब्ती दस्तावेज की मांग को अस्वीकार कर दिया, लेकिन उन्हें दवाइयां और किताबें रखने की अनुमति दी है। कोर्ट ने कहा कि चैतन्यानंद को आवश्यक दवाएं और धार्मिक पुस्तकें मिलनी चाहिए। अदालत ने इस मामले में चैतन्यानंद की याचिका को खारिज कर दिया।

फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। 17 लड़कियों के यौन शोषण के मामले में आरोपित चैतन्यानंद सरस्वती को जब्ती दस्तावेज की प्रति उपलब्ध कराने का दिल्ली पुलिस को निर्देश देने से पटियाला हाउस की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इन्कार कर दिया। वसंत कुंज थाने में हुई प्राथमिकी मामले में चैतन्यानंद न्यायिक हिरासत में है। ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अनिमेश कुमार ने जब्ती ज्ञापन की मांग को अस्वीकार करते हुए आवेदन खारिज कर दिया।
हालांकि, अदालत ने संन्यासी वेश धारण करने की अनुमति की मांग पर कहा कि जेल प्रशासन जेल मैन्युअल के तहत इसे पर उचित निर्णय ले। अदालत ने चैतन्यानंद को दवाई, चश्मा, किताबों की अनुमति दे दी।
बता दें कि धार्मिक पोशाक उपलब्ध कराने की मांग का पुलिस की तरफ से विरोध किया गया था। दिल्ली पुलिस ने कहा कि सरस्वती संन्यासी नहीं हैं और उन्हें ऐसे कपड़े पहनने की अनुमति देने से जेल में कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है। पुलिस ने तर्क दिया कि अभियुक्त का धार्मिक दावा असत्यापित है।
वहीं, चैतन्यानंद की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता मनीष गांधी ने कहा कि उनके मुवक्किल ने दीक्षा ली है और अपना नाम पार्थसारथी से बदलकर चैतन्यानंद सरस्वती रख लिया है।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि जेल नियमावली विचाराधीन कैदियों को अपनी पसंद के कपड़े पहनने से नहीं रोकती है। यह भी कहा कि आरोप पत्र दाखिल करने से पहले जब्ती दस्तावेज साझा नहीं किए जा सकते।
चैतन्यानंद को आगरा से गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद है।
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