भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद को यौन शोषण के मामले में मिली राहत, FIR का आदेश देने से कोर्ट का इनकार
राउज एवेन्यू कोर्ट ने भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद को यौन शोषण मामले में राहत दी है। मजिस्ट्रेट नेहा मित्तल ने पीड़िता की याचिका खारिज करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता ने कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्राथमिकी दर्ज कराने से पहले पुलिस अधिकारियों से संपर्क करना आवश्यक है। पीड़िता ने चंद्रशेखर पर शादी का झूठा वादा करके यौन शोषण करने का आरोप लगाया था।

भीम आर्मी चीफ और आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर आजाद को राहत।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राउज एवेन्यू स्थित अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) ने भीम आर्मी चीफ और आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर आजाद को यौन शोषण के आरोपों के मामले में बड़ी राहत दी है।
एसीएमएम नेहा मित्तल ने पीड़िता की ओर से दायर उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ यौन शोषण का मामला दर्ज करने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएसएस) की धारा 173 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया।
कोर्ट ने साफ किया कि किसी भी मामले में एफआईआर दर्ज कराने के लिए शिकायतकर्ता को पहले संबंधित पुलिस अधिकारी, फिर उच्च स्तर यानी डीसीपी तक संपर्क करना आवश्यक है। जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती, अदालत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश नहीं दे सकती है।
अदालत ने कहा कि जब तक शिकायतकर्ता यह नहीं सुनिश्चित करती है कि उसने विधिक रूप से पुलिस अधिकारियों से संपर्क कर आवश्यक प्रक्रिया अपनाई है, तब तक कोर्ट एफआईआर दर्ज करने का आदेश नहीं दे सकता है।
पीड़िता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि चंद्रशेखर आजाद ने शादी का झूठा वादा कर उनका कई बार यौन शोषण किया। उनका कहना था कि वर्ष 2021 में भारत लौटने के बाद चंद्रशेखर आजाद ने उन्हें दिल्ली के पुलमैन होटल बुलाया और उनकी इच्छा के विरुद्ध संबंध बनाए।
उन्होंने कहा कि शुरुआत में आईजीआई एयरपोर्ट थाने में शिकायत दी थी, लेकिन वहां एफआईआर दर्ज नहीं हुई और मामला पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने को भेज दिया गया। उन्होंने कहा कि पुलिस की ओर से कार्रवाई न होने पर उन्होंने याचिका दायर की।

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