उपभोक्ता आयोग से AIIMS को मिली राहत, डॉक्टर पर लगे लापरवाही के आरोपों को किया खारिज
दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एम्स और उसके डॉक्टरों पर लगे चिकित्सा लापरवाही के आरोप को खारिज कर दिया है। आयोग ने कहा कि शिकायतकर्ता अपने दावे को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सका। मरीज ने आरोप लगाया था कि कान के ऑपरेशन के दौरान लापरवाही हुई, जिसके चलते उसे कई जटिलताएँ हुईं और उसने दो करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा था। आयोग ने शिकायत को निराधार बताया।

उपयोक्ता आयोग से एम्स को मिली राहत।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और उसके डाक्टरों पर लगे मेडिकल लापरवाही के आरोप को खारिज कर दिया है। आयोग ने कहा कि शिकायतकर्ता अपने दावे को साबित करने के लिए कोई ठोस सुबूत या विशेषज्ञ राय पेश नहीं कर सका।
आयोग ने कहा कि शिकायतकर्ता के दावे केवल अस्पष्ट आरोप हैं, जिनका कोई चिकित्सकीय प्रमाण नहीं है। आयोग के मुताबिक इन आरोपों से मेडिकल लापरवाही का कोई ठोस आधार नहीं बनता। आयोग ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता ने किसी विशेषज्ञ की रिपोर्ट या विश्वसनीय साक्ष्य पेश नहीं किया जिससे यह साबित हो सके कि इलाज में लापरवाही हुई। आयोग ने शिकायत को निराधार बताते हुए पूरी तरह खारिज कर दिया।
मामला एक मरीज द्वारा दायर शिकायत से जुड़ा था, जिसने 14 अगस्त 2018 को एम्स में कान का आपरेशन कराया था। मरीज का आरोप था कि आपरेशन एक प्रशिक्षु डाॅक्टर ने बिना वरिष्ठ सर्जन की निगरानी के किया, जिसके दौरान नीचे छाती के पास कट लग गया।
शिकायतकर्ता ने दावा किया कि इस वजह से उसे तेज दर्द, हार्ट अटैक और नस ब्लाकेज जैसी जटिलताएं हुईं। उसने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए दो करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा था।
आयोग के समक्ष एम्स की ओर से पेश रिकार्ड के मुताबिक, मरीज को वर्ष 2017 में सड़क हादसे के बाद दाहिने कान में विकृति के इलाज के लिए भर्ती किया गया था। डाॅक्टरों ने विस्तृत परामर्श के बाद सर्जरी की योजना बनाई और आपरेशन सफलतापूर्वक पूरा हुआ।
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