10 साल बाद भी 'स्मार्ट' नहीं हुई कनॉट प्लेस की पार्किंग, रस्सी से बंधे बूम बैरियर और कबाड़ बनीं मशीनें
कनाट प्लेस की सार्वजनिक पार्किंग व्यवस्था 10 साल बाद भी 'स्मार्ट' नहीं हो पाई है। एनडीएमसी कर्मी हाथ से पर्ची काटते हैं, बूम बैरियर रस्सी से बंधे हैं ...और पढ़ें

10 साल बाद भी स्मार्ट नहीं हो पाई पार्किंग व्यवस्था। जागरण
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कनाट प्लेस स्थित एक सार्वजनिक पार्किंग स्थल में एनडीएमसी कर्मी आने वाले वाहनों को रोकते, हाथ में लिए टिकट वेंडिंग मशीन से पर्ची काटते फिर उसे आगे पार्किंग में एक किनारे लगवाते दिखते हैं। जबकि, पार्किंग के प्रवेश गेट पर लगे आटोमैटिक बूम बैरियर को रस्सी के सहारे बांधकर ऊपर टांग दिया गया है। किनारे आटोमैटिक स्लिप मशीन जमीन पर कबाड़ अवस्था में पड़ी है।
यह देश के पहले 20 स्मार्ट सिटी में शामिल रहे एनडीएमसी स्थित दिल्ली के दिल में सार्वजनिक पार्किंग व्यवस्था का हाल है, जो करीब 10 वर्ष बाद भी स्मार्ट नहीं हो पाई है। इससे यहां आने वाले दिल्ली वालों की मुश्किलें आम पार्किंग स्थलों की तरह है।
स्मार्ट सिटी योजना में एनडीएमसी को भी किया था शामिल
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने वर्ष 2016 में अपने महत्वकांक्षी स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत देश के 20 स्मार्ट सिटी की सूची में एनडीएमसी को भी शामिल किया था। तब से ही इस लुटियंस दिल्ली क्षेत्र स्थित 150 से अधिक पार्किंग स्थलों को स्मार्ट करने की बड़ी-बड़ी बातें हुई। इन पार्किंग स्थलों में एक साथ 15 हजार से अधिक वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था है।
एनडीएमसी ने वर्ष 2018 में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कनाट प्लेस के कुछ पार्किंग स्थलों से इस परियोजना की शुरूआत की थी। जिसके तहत स्वत: संचालित होने वाली व्यवस्था और पार्किंग स्थलों की रियल टाइम जानकारी मिलती थी, लेकिन अब सभी बेपटरी है।
स्थिति यह कि डेढ़ वर्ष से पार्किंग को स्मार्ट करने तथा उसके संचालन के लिए निजी कंपनी तक की तलाश पूरी नहीं हो सकी है। ऐसे में पिछले वर्ष अगस्त से कुल 153 में से 130 पार्किंग स्थलों का संचालन एनडीएमसी द्वारा विभिन्न विभागों के कर्मियों के माध्यम से ही कराया जा रहा है।
प्रशिक्षित नहीं हैं कर्मचारी
स्थिति यह कि ये कर्मचारी पार्किंग के संचालन को लेकर प्रशिक्षित नहीं है। कनाट प्लेस के एक पार्किंग स्थल में तैनात कर्मी ने बताया कि वे लोग सड़क, स्वास्थ्य, भवन, सिविल व अग्निशमन जैसे विभागों से आते हैं और अब उन्हें पार्किंग संचालन का जिम्मा थमा दिया गया है। इन पार्किंग स्थलों से करीब सवा करोड़ रुपये का राजस्व एनडीएमसी को प्राप्त होता है।
मामले के जानकारों के अनुसार जिस कंपनी को सात-आठ वर्ष पार्किंग को स्मार्ट करने का ठेका दिया गया था। वह अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी और उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया गया। पिछले वर्ष से पूरी व्यवस्था को स्मार्ट करने का खाका तैयार करने के साथ व्यवस्था व संचालन के लिए निजी कंपनी की तलाश की जा रही है, जो अंतिम चरण में है।
उम्मीद है कि अगले वर्ष के शुरुआती महीनों में एनडीएमसी क्षेत्र के सभी सार्वजनिक पार्किंग स्थल स्मार्ट हो जाएंगे।
स्मार्ट पार्किंग का यह होगा स्वरूप
स्मार्ट सेंसर और कैमरा, मोबाइल एप (रियल-टाइम जानकारी), फास्टैग आधारित भुगतान, क्यूआर कोड आधारित प्रवेश और डायनामिक प्राइसिंग की व्यवस्था। साथ ही एक केंद्रीय नियंत्रण कक्ष से सभी पार्किंग निगरानी को जोड़ना।
इससे होगा यह लाभ
पार्किंग खोजने में बर्बाद होने वाला समय बचेगा, ईंधन कम जलेगा। सड़कों पर बेतरतीब खड़ी गाड़ियों और पार्किंग की तलाश में चक्कर काटते वाहनों से होने वाला जाम कम होगा। डिजिटल भुगतान से अधिक पैसे वसूलने की समस्या खत्म होगी। कम ईंधन जलने से प्रदूषण के स्तर में गिरावट आएगी।

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