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    छत्तीसगढ़ कोल ब्लॉक घोटाले में पूर्व सचिव एवं संयुक्त सचिव समेत पांचों आरोपी बरी, CBI की जांच पर सवाल

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 07:58 PM (IST)

    राउज एवेन्यू कोर्ट ने कोल घोटाला मामले में पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और अन्य आरोपियों को बरी कर दिया। विशेष न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी जैसे आरोप साबित करने में विफल रहा। अदालत ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं, इसलिए आरोप तय करने से पहले ही उन्हें मुक्त किया जाता है। सीबीआई जांच में कंपनी पर आय बढ़ाने और फर्जी दस्तावेज जमा करने का आरोप था।

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    कोर्ट ने कहा- आरोप साबित करने के लिए नहीं पर्याप्त सुबूत।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश की अदालत ने कोल घोटाला के मामले में पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता, पूर्व संयुक्त सचिव केएस क्रोफा और तीन अन्य आरोपियों को बड़ी राहत देते हुए सभी को आरोपमुक्त कर दिया है।

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    विशेष न्यायाधीश धीरज मोर ने कहा कि अभियोजन की ओर से लगाए गए आरोपों में आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी या जालसाजी जैसे अपराधों के आवश्यक तत्व साबित नहीं हुए हैं।

    अदालत ने कहा कि पांचों अभियुक्त (आरकेएम पावरजन प्राइवेट लिमिटेड, डाॅ. अंडाल अरुमुगम, टीएम सिंगरावेल, एचसी गुप्ता और केएस क्रोफा) पर लगे आरोपों को लेकर पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं।

    इसलिए इन्हें सभी आरोपों से मुक्त किया जाता है। अदालत ने यह आदेश आरोप तय करने से पहले ही सुनाया, जिससे मामला ट्रायल के चरण में जाने से पहले ही समाप्त हो गया।

    पूरक जांच में कुछ विसंगतियां सामने आईं, लेकिन अदालत ने पाया कि किसी भी सार्वजनिक अधिकारी और निजी कंपनी के बीच आपराधिक साजिश या लेन-देन आधारित लाभ का कोई साक्ष्य नहीं मिला।

    न्यायाधीश ने कहा कि यह प्रमाण नहीं है कि सरकारी अधिकारियों को कंपनी द्वारा की गई किसी गलत प्रस्तुति या जाली दस्तावेजों की जानकारी थी। न ही यह साबित हुआ कि उन्होंने किसी अनुचित लाभ के बदले में सिफारिश की।

    इस मामले में सीबीआई ने आरकेएम पावरजन प्राइवेट लिमिटेड, उसके निदेशकों और कोयला मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया था।

    आरोप था कि कंपनी ने वर्ष 2006 में छत्तीसगढ़ स्थित फतेहपुर ईस्ट कोयला ब्लाॅक के लिए आवेदन करते समय अपनी कुल आय को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया था और भूमि अधिग्रहण संबंधी जाली सहमति पत्र सहित फर्जी दस्तावेज जमा किए थे।

    सीबीआई की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट वर्ष 2017 में दाखिल की गई थी, जिसमें एजेंसी ने कहा था कि आरकेएम पावरजन एक वैध स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी) के रूप में गठित की गई थी।

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