'क्लबों को ईएफईआई के प्रशासन में मतदान का अधिकार नहीं', दिल्ली HC ने याचिकाओं को किया खारिज
दिल्ली हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ स्थित एक घुड़सवारी क्लब और उससे जुड़े पक्षों की याचिका खारिज करते हुए कहा कि भारतीय घुड़सवारी महासंघ (ईएफआइ) से संबद्ध क्ल ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। चंडीगढ़ स्थित एक घुड़सवारी क्लब और उससे जुड़े पक्षों द्वारा दायर की गई याचिकाओं को खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि भारतीय घुड़सवारी महासंघ (ईएफईआई) से संबद्ध क्लबों को महासंघ के प्रशासन में मतदान का अधिकार नहीं है। न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल व हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने कहा कि ईएफईआई चुनावों में क्लबों और संस्थागत सदस्यों की भागीदारी राष्ट्रीय खेल संहिता के विपरीत थी।
अदालत ने कहा कि खेल संहिता के खंड 3.9 और 3.10 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राष्ट्रीय महासंघ के निर्वाचक मंडल में मतदान के अधिकार क्लबों या व्यक्तिगत सदस्यों के लिए नहीं बल्कि संबद्ध राज्य संघों (एसए) और केंद्र शासित प्रदेश संघों (यूटीए) के लिए आरक्षित हैं।
कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुसार किसी क्लब को राष्ट्रीय खेल महासंघ के प्रशासन में भाग लेने या उसे प्रभावित करने का कोई वैधानिक या कानूनी अधिकार नहीं है। पीठ ने कहा कि अगर क्लबों को मतदान की अनुमति दी जाती है तो इससे खेल संहिता में प्रतिनिधियों की जो संरचना बताई गई है वह कमजोर पड़ जाएगी।
1967 से घुड़सवारी खेल के राष्ट्रीय महासंघ के रूप में मान्यता प्राप्त ईएफआई ने क्लबों, व्यक्तियों और संस्थागत इकाइयों को मतदान के अधिकार के साथ सदस्य बनने की अनुमति दी है। राज्य संघों ने इस संरचना पर सवाल उठाते हुए तर्क दिया कि इससे कुछ क्लबों और संस्थानों को महासंघ पर अनुचित नियंत्रण रखने का अधिकार मिल गया है।

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