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    'महिला सहकर्मी को अश्लील संदेश भेजना अनुचित...', CISF अधिकारी की अपील पर दिल्ली HC की टिप्पणी

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 11:57 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने सीआईएसएफ के एक उप-निरीक्षक द्वारा महिला सहकर्मी को अश्लील संदेश भेजने पर वेतन कटौती के आदेश को बरकरार रखा। अदालत ने कहा कि विवाहित वर्दीधारी अधिकारी का ऐसा करना अनुचित है। महिला ने उत्पीड़न और घर में घुसने का आरोप भी लगाया था, जिसके बाद विभागीय जांच हुई और सजा सुनाई गई। अदालत ने कदाचार को देखते हुए सजा को उचित ठहराया।

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    'महिला सहकर्मी को अश्लील संदेश भेजना अनुचित...', CISF अधिकारी की अपील पर दिल्ली HC की टिप्पणी।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। महिला सहकर्मी को अनुचित संदेश भेजकर परेशान करने वाले केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के उप-निरीक्षक की वेतन कटौती के आदेश को बरकरार रखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की।

    न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद व न्यायमूर्ति विमल कुमार यादव की पीठ ने टिप्पणी की कि एक विवाहित वर्दीधारी अधिकारी का किसी अन्य महिला के साथ संबंध बनाना और उसे अश्लील संदेश भेजना अनुचित है।

    उप-निरीक्षक ने वेतन कटौती की सजा को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। याची पर आरोप था कि वह एक महिला सहकर्मी को अनुचित संदेश भेजकर न सिर्फ उसे परेशान करता था, बल्कि फोन काल करके उसका यौन उत्पीड़न भी करता था।

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    अदालत ने सीआईएसएफ द्वारा दी गई दलील को नोट किया कि याचिकाकर्ता विवाहित है और उसे किसी अन्य महिला के साथ संबंध बनाने और अश्लील संदेश भेजने का कोई अधिकार नहीं था।

    यह आचरण निश्चित रूप से एक वर्दीधारी बल के अधिकारी के लिए अनुचित है। सजा के खिलाफ उप-निरीक्षक की अपील को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि याची के कदाचार को देखते हुए सजा उचित थी। याची की दो साल के लिए वेतन में कटौती शामिल थी और उसे इस दौरान कोई वेतन वृद्धि नहीं मिलेगी। इस अवधि के पूरा होने पर इस कटौती के परिणामस्वरूप भविष्य में वेतन वृद्धि में भी देरी होगी।

    महिला ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि उसके साथ बातचीत के दौरान अधिकारी ने कुछ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया और दुर्भावनापूर्ण इरादे से उसके घर में भी घुस गया था।

    महिला की शिकायत के बाद विभागीय जांच की गई और अधिकारी के विरुद्ध आरोप तय किए गए। इसके बाद जांच समिति द्वारा दंड भी दिया गया। पुनरीक्षण प्राधिकारी ने अधिकारी की दलील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसके बचाव पक्ष के बयान पर विचार न करने के उसके आरोप का कोई विशिष्ट विवरण नहीं है।

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