नहाय खाय के साथ होगी चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत, रखेंगे 36 घंटे का निर्जला उपवास
आज से चार दिवसीय छठ महापर्व 'नहाय-खाय' के साथ शुरू हो रहा है। व्रती घर की सफाई कर यमुना में स्नान करते हैं। जो यमुना नहीं जा पाते, वो घर पर ही जल से स्नान करते हैं। इस दिन कद्दू-भात (लौकी और चावल) बनाया जाता है, जिसमें सेंधा नमक का प्रयोग होता है। सूर्य देव को भोग लगाने के बाद व्रती इसे ग्रहण करते हैं। यह भोजन उपवास के लिए ऊर्जा प्रदान करता है।

सात्विक भोजन और पवित्र जल से स्नान कर व्रती करेंगे महापर्व की शुरुआत। जागरण
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ शनिवार से 'नहाय-खाय' की परंपरा के साथ शुरू हो जाएगा। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाने वाला यह प्रथम दिवस व्रती के तन, मन और घर की शुद्धि का पहला चरण है। 'नहाय-खाय' के साथ ही व्रती अगले 36 घंटे के अत्यंत कठोर निर्जला उपवास के लिए स्वयं को तैयार करेंगे।
स्नान और भोजन कर व्रती करेंगे पर्व की शुरुआत
पर्व के आरंभ से पहले व्रती अपने घर की व्यापक सफाई करेंगे। इसके उपरांत व्रती पवित्र यमुना नदी में स्नान करेंगे। इसके साथ ही छठ महापर्व की शुरुआत होगी। वहीं, दूसरी तरफ जो श्रद्धालु स्नान के लिए नदी तट तक नहीं पहुंच सकते, उन्होंने एक दिन पहले ही बोतल में संग्रहित करके घर लेकर गए। ताकि आज यमुना के पवित्र जल से घर पर स्नान कर स्वयं को इस महाव्रत के लिए तैयार कर सकें।
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कद्दू- भात' पारंपरिक सात्विक भोजन का है विधान
स्नान और शुद्धि के बाद व्रती अत्यंत सात्विकता के साथ भोजन तैयार करेंगे। इस दिन व्रती मुख्य रूप से पारंपरिक 'कद्दू-भात' (लौकी और चावल) या चना दाल के साथ कद्दू की सब्जी तैयार करेंगे। भोजन में व्रती विशेष रूप से केवल सेंधा नमक का उपयोग करते है और तैयार किए गए इस महाप्रसाद को पहले श्रद्धापूर्वक सूर्य देव को भोग लगाया जाता है।
इसके बाद व्रती स्वयं इसे ग्रहण करती हैं। इस महाप्रसाद को तैयार करते समय लहसुन और प्याज जैसी सामग्री का प्रयोग पूरी तरह से वर्जित होता है। व्रत के जानकारों के अनुसार लौकी और चावल का मिश्रण अत्यंत पाचन योग्य होता है। दूसरा यह व्रती को लंबी अवधि के उपवास के लिए आवश्यक ऊर्जा और पोषण भी प्रदान करता है। साथ ही शरीर को हल्का रखकर मन को शांत भी रखता है।

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