चांदनी चौक में दो लाख से ज्यादा दुकानदारों की बढ़ी टेंशन, सीलिंग की कार्रवाई के पीछे क्या है वजह?
चांदनी चौक में सीलिंग का मुद्दा गरमाया हुआ है, जिससे दो लाख से अधिक दुकानदार चिंतित हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रही इस कार्रवाई के लिए एमसीडी, डीडीए और दुकानदारों की लापरवाही को जिम्मेदार माना जा रहा है। कन्वर्जन और पार्किंग चार्ज जमा न करने के कारण यह समस्या बढ़ी है। अब दिल्ली सरकार सीलिंग से राहत के लिए योजना बना रही है और कानूनी प्रावधानों के तहत सुप्रीम कोर्ट में दलील पेश करेगी।
-1761536224584.webp)
नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। दिल्ली के साथ ही उत्तर भारत के प्रमुख कारोबारी हब ऐतिहासिक चांदनी चौक में सीलिंग का मामला छाया हुआ है, इससे पुरानी दिल्ली के अन्य क्षेत्रों में सीलिंग की आशंका से दो लाख से अधिक दुकानदारों की चिंता बढ़ी हुई है।
वैसे, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रही सीलिंग के मामले में न सिर्फ एमसीडी व डीडीए बल्कि काफी हद तक स्थानीय दुकानदारों की उदासीनता भी जिम्मेदार है। अब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के हस्तक्षेप के बाद भले ही कानूनी प्रविधानों का जिक्र कर सीलिंग को रूकवाने के लिए दिल्ली सरकार और एमसीडी के अधिवक्ता सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दलील रखेंगे। साथ ही दिल्ली सरकार द्वारा इस क्षेत्र को सीलिंग से राहत के लिए योजना बनाने पर भी काम तेज हो गया है।
जमा होते कन्वर्जन चार्ज व पार्किंग शुल्क तो न होती समस्या विकराल
मामले के जानकारों के अनुसार, अगर समय रहते डीडीए के मास्टर प्लान-2021 में निर्धारित पुरानी दिल्ली के लिए विशेष प्लान बनाकर लागू कर दिया गया होता, साथ ही समय रहते व्यापारी कन्वर्जन व पार्किंग चार्ज जमा कर दिए होते तो यह विकराल समस्या खड़ी न हाेती।
चांदनी चौक के साथ ही समूचे पुरानी दिल्ली क्षेत्र में वर्ष 1962 के बाद रिहायशी इलाकों में बनी दुकानों के लिए एमसीडी को कन्वर्जन व पार्किंग चार्ज जमा कराना था, उसमें भी वह बुरी तरह विफल साबित हुआ है। चांदनी चौक क्षेत्र के बमुश्किल 10 प्रतिशत दुकानदारों ने ही कन्वर्जन व पार्किंग शुल्क का भुगतान किया हुआ है। जिसकी एवज में उनके कारोबारी प्रतिष्ठान को व्यवसायिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में मान्यता मिल जाती और वे सीलिंग के दायरे से बाहर आ जाते। दुकानदारों ने भी कन्वर्जन व पार्किंग चार्ज जमा कराने में गंभीरता नहीं दिखाई।
केंद्र सरकार ने राहत के लिए बनाए हैं कानून
मामले के जानकारों के अनुसार, वर्ष 2006 में संसद से पारित राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (विशेष कानून) अधिनियम, फिर 2011 तथा 2016 में संशोधित कानून पारित हुए, जिसमें पुरानी दिल्ली के विशेष क्षेत्र को सीलिंग से राहत दी गई। फिर उस कानून की अवधि को बढ़ाकर वर्ष 2026 तक तक दिया गया है। मतलब, 2026 तक, चांदनी चौक में विशेष कारणों को छोड़कर सीलिंग से राहत रहेगी।
20 वर्ष बाद भी नहीं तैयार हुई विशेष योजना
वहीं, एमसीडी तथा डीडीए को मास्टर प्लान के अनुसार वर्ष 2005-2006 तक इस विशेष क्षेत्र की इमारतों व सुविधाओं के मद्देनजर विशेष योजना तैयार कर लेनी थी, लेकिन वह 20 वर्ष बाद भी तैयार नहीं हो सका है। इसी तरह, पिछली सरकार में दिल्ली की 351 सड़कों को व्यवसायिक घोषित करना था, जो नहीं हुआ, उसमें भी चांदनी चौक की कई गलियां शामिल थीं।
नौ दुकानों की हो चुकी है सीलिंग
एमसीडी ने बृहस्पतिवार को चांदनी चौक में कटरा नील में सीलिंग की कार्रवाई की थी। अब तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कटरा नील में कुल नौ दुकानों की सीलिंग हो चुकी है। कोर्ट ने दुकानों के निर्माण को अवैध माना है। मौजूदा मामला एक याचिका और कुछ इमारतों का है।
मामले के जानकारों के अनुसार, इस मामले को भी सिविक एजेंसियों तथा व्यापारियों ने गंभीरता से नहीं लिया। हां, इतना जरूर रहा कि सुप्रीम कोर्ट के सीलिंग के आदेश पर राहत के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए दुकानदारों को पर्याप्त समय दिया, लेकिन दुकानदारों ने उसमें रूचि नहीं दिखाई।
यह भी पढ़ें- दिल्ली में NDMC की नई योजना, लोदी गार्डन-संजय झील में 3 करोड़ से बनेंगे नए जॉगिंग ट्रैक
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बैठक में दिल्ली सरकार तथा एमसीडी को सीलिंग से राहत के लिए सभी संभव कदम उठाने को कहा है। ऐसे में व्यापारी आगे राहत की उम्मीद कर रहे हैं। - गोपाल गर्ग, अध्यक्ष, क्लाथ मार्केट, चांदनी चौक
सीलिंग की एक कानूनी प्रक्रिया है। एमसीडी कानून के अनुसार, अगर संपत्ति के दुरुपयोग की जानकारी मिलती है तो एमसीडी नोटिस जारी करेगा। नोटिस पर व्यापारी जवाब देगा। जवाब से एमसीडी संतुष्ट नहीं होता है तो व्यापारी के पास ट्रिब्यूनल में जाने तथा उसके बाद कोर्ट जाने का अधिकार है। इस मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ। साथ ही कई कानून है जो व्यापारियों को राहत देते हैं। यहीं तथ्य कोर्ट के सामने रखा जाएगा। - प्रवीन खंडेलवाल, सांसद, चांदनी चौक
व्यापारी शांतिभाव से काम करने और देश की अर्थव्यस्था को बढ़ावा देने में योगदान देता है, लेकिन जिस तरह से एक शिकायत पर चांदनी चौक में सीलिंग की कार्रवाई बिना तथ्यों को जाने व व्यापारियों को सुने की जा रही है, वह पूर्णतया अस्वीकार्य है। - श्रीभगवान बंसल, महासचिव, दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन
डीडीए व एमसीडी को निश्चित समायावधि में चांदनी चौक विशेष क्षेत्र के लिए विशेष योजना तैयार कर उसे लागू कर देना चाहिए था। साथ ही दुकानदारों से कन्वर्जन चार्ज व पार्किंग शुल्क वसूल लेने चाहिए थे। जिसमें वे विफल रही। इस मामले में अधिकांश दुकानदार भी गंभीर नहीं रहे। जिसका खामियाजा अब दुकानदारों को भुगतना पड़ रहा है। - प्रवीण शंकर कपूर, प्रवक्ता, दिल्ली भाजपा

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।