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CSE की रिपोर्ट में खुलासा, ब्रेड खाने से हो सकता है कैंसर!

ब्रेड, पिज्जा व बर्गर से भी कैंसर हो सकता है। दिल्ली में सामान्य तौर पर उपलब्ध 38 प्रकार की ब्रेड का अध्ययन करने के बाद सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट (सीएसई) ने इसे लोगों के लिए खतरनाक बताया है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 23 May 2016 01:30 PM (IST)Updated: Tue, 24 May 2016 08:48 AM (IST)
CSE की रिपोर्ट में खुलासा, ब्रेड खाने से हो सकता है कैंसर!

नई दिल्ली। ब्रेड, पिज्जा व बर्गर से भी कैंसर हो सकता है। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें दावा किया गया है कि उसे टेस्ट में ब्रेड के सैंपलों में ऐसे कैमिकल मिले हैं, जो कैंसर की वजह हो सकते हैं। रिपोर्ट के आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने जांच के आदेश दे दिए हैं। वहीं FSSAI ने कहा है कि वह ऐसे कैमिकल के इस्तेमाल पर रोक लगाएगी। दिल्ली में सामान्य तौर पर उपलब्ध 38 प्रकार की ब्रेड का अध्ययन करने के बाद सीएसई ने इसे लोगों के लिए खतरनाक बताया है।

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हानिकारक तत्वों पर लगे प्रतिबंध

सीएसई की मानें तो ब्रेड के निर्माण में पोटेशियम ब्रोमेट व पोटेशियम आयोडेट का इस्तेमाल कैंसर व थायराइड का अहम कारक बन सकता है, इसलिए इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। सीएसई ने भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) से मांग की कि वह ब्रेड में इस्तेमाल में हो रहे इन हानिकारक तत्वों पर तुरंत प्रतिबंध लगाए।

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जांच में 84 फीसद सैंपल पॉजिटिव मिले

सीएसई के उप महानिदेशक चंद्र भूषण ने बताया कि हमने अपनी पॉल्यूशन मॉनिटरिंग लैब में ब्रेड के 38 प्रकार, जिसमें सामान्य डबल रोटी, आटा ब्रेड, ब्रॉउन ब्रेड, मल्टीग्रेन ब्रेड, पाव, बन, पिज्जा ब्रेड और बर्गर ब्रेड की जांच की। जांच में 84 फीसद सैंपल पॉजिटिव मिले। इनमें पोटेशियम ब्रोमेट व पोटेशियम आयोडेट का इस्तेमाल किया गया।

ब्रेड स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

गत वर्ष मई-जून में शुरू की गई इस रिसर्च के विषय में किसी भी प्रकार का दावा करने से पहले रिसर्च को पुख्ता करने के लिए एक बार फिर इन ब्रेड की जांच दूसरी लैब से कराई और नतीजा वही मिला। इसके बाद इस इंडस्ट्री से जुडे़ विशेषज्ञों व वैज्ञानिकों से भी इस विषय में चर्चा और जांच-पड़ताल के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि दिल्ली में उपलब्ध ब्रेड स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और कैंसर का शिकार बना सकती हैं।

चंद्र भूषण ने बताया कि वर्ष 1999 में इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने पोटेशियम ब्रोमेट व आयोडेट को कैंसर का कारक घोषित किया है। इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक जांच रिपोर्ट के बाद यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, चीन, श्रीलंका, ब्राजील, पेरू, नाइजीरिया और कोलंबिया में इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया। भारत में खाद्य सुरक्षा नियमों के अंतर्गत इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध नहीं है और इसी के चलते ब्रेकरी उत्पादों में इसका इस्तेमाल होता है।

इसलिए होता है प्रयोग

सामान्य तौर पर ब्रेड में पोटेशियम ब्रोमेट का इस्तेमाल ऑक्सीकरण एजेंट के तौर पर होता है। इसके इस्तेमाल से ब्रेड फूली हुई व नरम रहती है। इसका आकार भी अच्छा हो जाता है।

यह है समाधान

रिसर्च में शामिल अमित खुराना का कहना है कि ऐसा नहीं है कि पोटेशियम ब्रोमेट व आयोडेट के स्थान पर सुरक्षित विकल्प उपलब्ध नहीं हैं। एसकार्बिक एसिड जैसे कई विकल्प हैं, जिनका इस्तेमाल कर ब्रेड के माध्यम से पनप रहे इस कैंसर के खतरे पर काबू पाया जा सकता है।

क्या कहती है रिपोर्ट

- सीएसई की जांच में 38 में से 32 ब्रेड (84 फीसद) के प्रकारों में पोटेशियम ब्रोमेट व आयोडेट 1.15 से 22.54 पार्ट पर मिलियन (पीपीएम) पाया गया। इसमें 24 (75 फीसद) में से 19 पैक्ड ब्रेड यानी सफेद ब्रेड, पाव, बन और पिज्जा ब्रेड था, जबकि चार में से तीन प्रकार (75 फीसद) के ब्रेड में पोटेशियम ब्रोमेट पाया गया।

- जांच के दौरान सीएसई ने पांच मल्टीनेशनल फास्ट फूड ऑउटलेट से पिज्जा व बर्गर के सैंपल लेकर उनकी जांच की। इन सभी में पोटेशियम ब्रोमेट व आयोडेट पाया गया।

- पोटेशियम ब्रोमेट व आयोडेट के संबंध में ग्राहकों को ठीक जानकारी एक ही ब्रेड के ब्रांड की ओर से लेबल पर दी जा रही थी। अन्य सभी ब्रांड इस विषय में कुछ भी कहने से बचते दिखे।


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