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    आतंकी हमले-आपदा में मृतकों को मिलेगा सम्मानजनक अंतिम संस्कार, AIIMS ने की बाॅडी री-कंस्ट्रक्शन की शुरुआत

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 09:10 PM (IST)

    एम्स, नई दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस सोसायटी के सहयोग से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें आपदाओं और आतंकी हमलों में मारे गए लोगों के शवों के सम्मानजनक प्रबंधन पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने मृतकों के सम्मानपूर्ण अंतिम संस्कार के अधिकार पर ज़ोर दिया। एम्स द्वारा क्षत-विक्षत शवों के लिए बॉडी री-कंस्ट्रक्शन की पहल की सराहना की गई और देश में शव प्रबंधन के लिए बेहतर व्यवस्था की आवश्यकता बताई गई।

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    एम्स फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. डाॅ. सुधीर गुप्ता।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। प्राकृतिक आपदाओं, बड़ी दुर्घटनाओं, आतंकी कार्रवाई और युद्ध में होने वाली मौतों के बाद मृतकों को सम्मानजनक अंतिम संस्कार अधिकार दिलाना विश्व स्तर पर चिंता का विषय बनता जा है।

    इन्हीं चुनौतियों पर चर्चा के लिए शुक्रवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में अंतरराष्ट्रीय रेड क्राॅस सोसायटी के सहयोग से ‘भारत बड़े हादसों (विमान दुर्घटना, बम धमाके, प्राकृतिक आपदाएं) में शव प्रबंधन को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है’ विषयक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई।

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    कार्यशाला में विशेषज्ञों ने कहाकि ‘मृत व्यक्ति बोल नहीं सकता पर, उसके स्वजनों को पूरी जिंदगी यह महसूस होता रहता है कि उनके प्रिय के साथ कैसा व्यवहार किया गया।’ भारत को इस मामले में एक संगठित ढांचा विकसित करते हए मानकीकृत प्रक्रिया अपनाने पर बल दिया गया।

    एम्स फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. डाॅ. सुधीर गुप्ता ने ऐसी घटनाओं के मृतकों के सम्मानपूर्ण प्रबंधन को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाने की अपील की। बताया कि एम्स ने अग्रणी भूमिका निभाते हुए क्षत-विक्षित शवों के लिए बाॅडी री-कंस्ट्रक्शन आरंभ किया है। एम्स में ये सभी सेवाएं निश्शुल्क हैं। क्योंकि मृतकों के सम्मान तकनीकी नहीं, मानवीय दायित्व है।

    कार्यशाला के बाद पत्रकारों से बातचीत में प्रो. डाॅ. सुधीर गुप्ता ने जानकारी दी कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं लंबे समय से ऐसी प्रक्रिया विकसित करने में लगी हैं, जिससे क्षत-विक्षत, पहचान विहीन शवों को न सिर्फ सम्मानपूर्वक संभाला जाए, बल्कि उन्हें व उनके स्वजनों को सम्मानजनक अंतिम संस्कार का अधिकार भी मिल सके। बताया कि बाॅडी री-कंस्ट्रक्शन में विशेषज्ञ शव को यथासंभव सामान्य रूप में तैयार करते हैं, ताकि स्वजन बिना किसी मानसिक आघात के अंतिम दर्शन कर सकें, सम्मानपूर्वक विधिवत अंतिम संस्कार कर सकें।

    लाल किला विस्फोट का उदाहरण देते हुए डाॅ. सुधीर गुप्ता ने बताया कि विस्फोट में मृत कई लोगों के अंग बिखरे मिले थे, हमने सभी अंगों को एकत्र कर उनके शरीर का पुनर्निर्माण किया और उन्हें सम्मानपूर्वक उनके स्वजनों को सौंपा। इससे पहले बीएसएफ विमान दुर्घटना में भी बलिदानी बहादुर जवानों के मामले में भी यही किया था।

    मुख्य अतिथि पूर्व निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं भारत सरकार डाॅ. जगदीश प्रसाद ने कहाकि देश में अभी तक ऐसी परिस्थितियों में शव प्रबंधन के लिए कोई ठोस, एकीकृत और बड़े स्तर की व्यवस्था मौजूद नहीं है। देश में बड़े वैज्ञानिक शवगृहों व आधुनिक पोस्टमार्टम हाउसों की भारी कमी है, जहां एक ही स्थान पर चार–पांच सौ शवों का सम्मानजनक प्रबंधन किया जा सके।

    बिना चीरा-टांका पोस्टमार्टम की मांग बढ़ी

    प्रो. डाॅ. सुधीर गुप्ता ने बताया कि देश में 92 प्रतिशत लोग अपने प्रिय का पोस्टमार्टम कराने के तैयार नहीं होते हैं, विशेष कर दुर्घटनाओं के मामले में। इसी को देखते हुए अब बिना टांका-चीरा के पोस्टमार्टम (वर्चुअल आटोप्सी) की मांग बढ़ने लगी है।

    बताया कि डब्लयूएचओ ने भी इसे स्वीकार किया है। एम्स ने लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इसे आरंभ कर दिया है। इसमें आधुनिक स्कैनिंग तकनीक से बिना शरीर को काटे जांच की जाती है और शरीर का सम्मान भी बना रहता है।

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