दिल्ली के बिजवासन, समालखा और कापसहेड़ा में पानी की किल्लत होगी दूर, आज से शुरू हो रहा यूजीआर
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज केशोपुर में बिजवासन भूमिगत जलाशय का वर्चुअल उद्घाटन करेंगे। 9.1 एमएलडी क्षमता वाले इस जलाशय से बिजवासन, समालखा और कापसहेड़ा के गांवों को लाभ होगा। स्थानीय लोगों को पानी की किल्लत से राहत मिलने की उम्मीद है, लेकिन पाइपलाइन नेटवर्क की कमी को लेकर चिंताएं भी हैं। लोगों का मानना है कि पाइपलाइन नेटवर्क के विस्तार के बिना जलाशय का पूरा लाभ नहीं मिल पाएगा।
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जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। बिजवासन में बनकर तैयार भूमिगत जलाशय (यूजीआर) का आज उदघाटन होना है। आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह केशोपुर में आयोजित समारोह में एक साथ दिल्ली की कई परियोजनाओं का उदघाटन कर रहे हैं, जिसमें बिजवासन भूमिगत जलाशय भी एक है। इसके उदघाटन को लेकर क्षेत्र के लोग उत्साहित हैं। लोगों का कहना है कि विलंब से ही सही लेकिन अब इसका उदघाटन होना, लोगों को क्षेत्र में व्याप्त पानी की घोर किल्लत से निजात दिलाएगा, इसकी पूरी उम्मीद है।
9.1 एमएलडी है क्षमता, तीन गांव व सटी कॉलोनियों को होगा फायदा
9.1 एमएलडी क्षमता वाले इस भूमिगत जलाशय से क्षेत्र के तीन गांव व इससे सटी कॉलोनियों को सीधा फायदा होगा। इनमें बिजवासन, समालखा व कापसहेड़ा शामिल है। स्थानीय लोगाें का कहना है कि करीब आठ से नौ लाख की आबादी इन गांवों व आसपास की कालोनियों में रहती है। जलाशय में पानी भरथल स्थित कमांड टैंक से आएगा। यह भूमिगत जलाशय से पाइपलाइन नेटवर्क के माध्यम से पानी अलग अलग इलाकों में वितरित होगी।
कुछ प्रश्न भी :
भूमिगत जलाशय के शुरु होने की बात से लोग खुश तो हैं, लेकिन लोगों के कुछ प्रश्न भी हैं। समालखा आरडब्ल्यूए के सचिव बालकृष्ण भारद्वाज कहते हैं कि यह सही है कि इस जलाशय से क्षेत्र को काफी फायदा होगा, लेकिन पूरा फायदा होगा, इसे लेकर अभी कुछ कहना सही नहीं है। समालखा गांव के ही कई हिस्से अभी भी पाइपलाइन नेटवर्क से अछूते हैं। जिन इलाकों में पाइपलाइन नेटवर्क हैं, वहां की पाइपलाइन सही नहीं है। जहां पाइपलाइन नेटवर्क नहीं है, वहां तो इस जलाशय का कोई फायदा नहीं होगा।
लोग टैंकरों पर ही निर्भर रहेंगे। जहां पाइपलाइन बिछी है, क्या वहां पानी का नया प्रेशर पुरानी लाइन झेल पाएगी, यह भी संशय है। जल बोर्ड को इसे लेकर पूरी तैयारी करनी चाहिए। इसी तरह की बात कापसहेड़ा के लोग भी कह रहे हैं। लोगों का कहना है कि पाइपलाइन नेटवर्क में जब तक बढ़ोतरी नहीं होगी, तब तक नए जलाशय का कोई बहुत फायदा नहीं है।
अभी केवल उन्हीं इलाकों का फायदा होगा, जहां जल बोर्ड का पानी पहुंच रहा है। जहां लोग टैंकर पर निर्भर हैं, वहां अभी भी लोग टैंकर पर ही निर्भर होंगे, केवल इतना अंतर होगा कि अब टैंकरों की कमी नहीं होगी।
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