Delhi News: 59 दिन बाद खुले पार्किंग के द्वार, पहले दिन ही करना पड़ा आधा घंटा इंतजार; ढाई मिनट दावा निकला खोखला
दक्षिणी दिल्ली के ग्रेटर कैलाश-1 में 63.74 करोड़ की लागत से बनी स्वचालित कार पार्किंग का उद्घाटन 27 सितंबर को हुआ था, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण यह शुरू नहीं हो पाई थी। दैनिक जागरण में खबर आने के बाद इसे शुरू किया गया, लेकिन शटल तकनीक में गड़बड़ी के कारण लोगों को वाहन निकालने में देरी हो रही है। फिलहाल, पार्किंग नि:शुल्क है।
-1764041608455.webp)
27 सितंबर को सात मंजिला स्वचालित कार पार्किंग का उद्घाटन किया गया था।
मुहम्मद रईस, दक्षिणी दिल्ली। दक्षिणी दिल्ली में ग्रेटर कैलाश-1 के एम ब्लाक मार्केट में जाम व पार्किंग की समस्या दूर करने के लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने विगत 27 सितंबर को सात मंजिला स्वचालित कार पार्किंग का उद्घाटन किया था। कुल 63.74 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस पार्किंग में 399 वाहनों को खड़ा करने की क्षमता है।
बताया गया कि प्रवेश व निकासी गेट के बीच आ रहे पेड़ों को काटने की अनुमति न मिलने व तकनीकी दिक्कतों की वजह से यह विगत दो माह में भी शुरू नहीं हो पाया। दैनिक जागरण के 18 नवंबर के अंक में खबर प्रकाशित के बाद आनन-फानन 22 नवंबर को फायर एनओसी देते हुए सोमवार को इसे शुरू कर दिया गया।
पहले दिन शाम तक 21 वाहन पार्क भी किए गए, पर शटल तकनीक में गड़बड़ी के चलते कई लोगों के वाहन ढाई मिनट की बजाय आधे-आधे घंटे बाद निकल पा रहे थे।

साकेत निवासी बलजीत सिंह बेदी पत्नी के साथ ग्रेटर कैलाश मार्केट में मीटिंग के लिए पहुंचे थे। गाड़ी पार्क करने पर टोकन नंबर नौ मिली। काम होने के बाद जब गाड़ी लेने पहुंचे तो लंबा इंतजार करना पड़ा। बलजीत ने कहा कि सही तरीके से जांच परख के बाद ही इसे शुरू करना था। बेवजह हम लोग आधे घंटे से इंतजार कर रहे हैं।
वहीं, गाड़ी के इंतजार में पत्नी व डेढ़ वर्ष की बच्ची के साथ खड़े ग्रेटर कैलाश-एक के एन ब्लाक निवासी कशिश कपूर ने भी नाराजगी जताई। उनका टोकन नंबर 16 था। पार्किंग स्टाफ के मुताबिक, शनिवार को ही प्रवेश द्वार पर रैंप बनकर तैयार हुए और फायर एनओसी मिली। इस सप्ताह तक लोगों के लिए पार्किंग निशुल्क है।
एमसीडी की ओर से दरों का निर्धारण होने के बाद यहां लागू किया जाएगा। वाहन निकालने में देरी के लिए बताया कि कमांड देने का बाद कुछ समस्या आ रही थी, जिसकी वजह से थोड़ा विलंब हो रहा था।
मात्र ढाई मिनट में वाहन निकालकर देने का दावा
सात मंजिला ऑटोमैटिक पार्किंग शटल तकनीक से लैस है और पूरी तरह स्वाचालित है। कर्मचारियों के मुताबिक, यह पार्किंग मात्र 2.5 मिनट में पार्क किए गए वाहन को बाहर निकाल देता। इससे ईंधन के साथ ही समय भी काफी बचत होती है। पैनल पर वाहन को खड़ा करने के बाद लिफ्ट के जरिए गाड़ी को सिस्टम उस जगह पर ले जाकर खड़ा कर दिया जाता है, जहां जगह खाली होती है। विदेशों में अक्सर इस तकनीक का उपयोग होता है। वहीं वाहन निकालने के लिए कमांड देने पर लिफ्ट 2.5 मिनट से भी कम समय में गाड़ी को बाहर निकाल देती है।
ऑटोमैटिक पार्किंग एक नजर में
- 399 चार पहिया वाहनों की क्षमता।
- रोबो-शटल तकनीक से संचालन।
- 63.74 करोड़ रुपये लागत।
- 09 मंजिला ऊंची है पार्किंग (बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर समेत)।
- ग्राउंड फ्लोर पर ई-वाहनों के चार्जिंग के लिए स्थान।
- बेसमेंट में वाहन खड़ा वालों के लिए लिफ्ट की सुविधा।
- 10 वर्ष तक निर्माता कंपनी करेगी संचालन और देखभाल।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।