World Book Fair 2026 में दिखेगी भारतीय सेना की शौर्य गाथा, किताबें और तेजस-INS विक्रांत की रेप्लिका होगी खास
स्वतंत्रता के बाद के भारत में सैन्य योगदान का दस्तावेजीकरण युद्धों को दर्ज करने के साथ सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाता है। यह 'विविधता में एकता' की भा ...और पढ़ें

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। पुस्तकों के सालाना महाकुंभ में इस बार भारतीय सेना की शौर्य गाथा सुनाई और दिखाई जाएगी। इस विषय पर प्रकाशित करीब 500 पुस्तकें विशेष रूप से प्रदर्शित होंगी। साथ ही अर्जुन टैंक, लडाकू विमान तेजस एवं आइएनएस विक्रांत की प्रतिकृति के साथ देश की तीनों सेनाओं- सेना, नौसेना और वायु सेना- का प्रदर्शन भी दर्शाया जाएगा।
विश्व पुस्तक मेला 2026 का आयोजन 10 से 18 जनवरी के मध्य भारत मंडपम में होगा। मेले की थीम रखी गई है - 'भारतीय सैन्य इतिहास : 75 वर्ष की वीरता और ज्ञान'। मेले में लगभग एक हजार प्रकाशकों की भागीदारी रहेगी। तीन हजार के आसपास स्टाल होंगे व नौ दिनों के दौरान 600 से कार्यक्रम रखे जाएंगे।
भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता एवं विरासत को समर्पित पुस्तकों, पैनलों, पोस्टरों, विशेष रूप से डिजाइन किए गए पवेलियन की समृद्ध और आकर्षक प्रदर्शनी के जरिये जीवंत किया जाएगा। 1,000 वर्गमीटर में फैला पवेलियन रचनात्मकता और नवाचार को मनोरंजक तरीके से प्रस्तुत करेगा।
भारतीय सशस्त्र बलों पर पुस्तकों की सामूहिक प्रदर्शनी के साथ-साथ, इसमें सेना कर्मियों द्वारा लिखित रचनाएं भी प्रदर्शित की जाएंगी। पैनल और पोस्टर सशस्त्र बलों के महत्व को दर्शाएंगे। इन प्रदर्शनों के पूरक के रूप में वार्ता, चर्चाओं और पुस्तक विमोचन की एक श्रृंखला पूर्व सैनिकों, विद्वानों, लेखकों और नागरिकों के बीच संवाद के लिए मंच प्रदान करेगी।
मेले की प्रमुख विशेषताएं
- थीम पवेलियन के गेट का डिजाइन आईएमए देहरादून से प्रेरित होगा।
- सूडान ब्लॉक, एनडीए खड़कवासला, पुणे की विशाल प्रतिकृति, जो प्रतिकृति-सह-पुस्तक प्रदर्शनी के रूप में कार्य करेगी।
- बुडगांव 1947 से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक के प्रमुख युद्धों/लड़ाइयों का प्रदर्शन।
- 21 परमवीर चक्र विजेताओं का प्रदर्शन।
- सशस्त्र बलों पर वृत्तचित्र, जो उनकी वीरता और युद्ध कौशल को दर्शाते हैं।
- पैनल चर्चा, पुस्तक विमोचन, प्रस्तुतियां, प्रख्यात लेखकों, रक्षा विशेषज्ञों, युद्ध दिग्गजों आदि के व्याख्यान।
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स्वतंत्रता के बाद के भारत में सैन्य योगदान का दस्तावेजीकरण केवल युद्धों को दर्ज करने तक सीमित नहीं है, यह हमारी सांस्कृतिक विरासत के एक महत्वपूर्ण पहलू का जश्न मनाने का भी प्रतीक है। यह 'विविधता में एकता' की भावना को दर्शाता है, जहां विभिन्न क्षेत्रों, समुदायों और परंपराओं के लोग साझा राष्ट्रीय उद्देश्य की पूर्ति के लिए एकजुट होते हैं। वीरता, बलिदान और दृढ़ता की ये कहानियां भी केवल सैन्य गाथाएं नहीं बल्कि स्वयं भारत की कहानियां हैं। इस बार विश्व पुस्तक मेला इन्हीं सब को समर्पित होगा।
-युवराज मलिक, निदेशक, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास

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