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    Anti-Drone सिस्टम से लैस होंगे IGI एयरपोर्ट समेत देश के प्रमुख हवाई अड्डे, 2026 तक ड्रोन-प्रूफ करने की तैयारी

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 07:13 AM (IST)

    देश के प्रमुख हवाई अड्डों, जैसे कि IGI एयरपोर्ट, को 2026 तक एंटी-ड्रोन सिस्टम से लैस करने की योजना है। यह कदम ड्रोन के बढ़ते खतरे को देखते हुए उठाया जा रहा है, जिससे हवाई अड्डों की सुरक्षा और भी मजबूत होगी। इस सिस्टम के लगने से अनधिकृत ड्रोन गतिविधियों को रोकने में मदद मिलेगी, और IGI एयरपोर्ट पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

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    एंटी ड्रोन सिस्टम से लैस होगा IGI एयरपोर्ट।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। एयरपोर्ट व आसपास के क्षेत्र में ड्रोन से हमले के खतरे को देखते हुए आईजीआई एयरपोर्ट सहित देश के महत्वपूर्ण एयरपोर्ट पर एंटी ड्रोन सिस्टम की तैनाती होगी। केंद्रीय गृह और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के निर्देश पर एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया (एएआई) इस काम को जल्द जल्द पूरा करने की कवायद में जुट गई है।

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    सूत्रों का कहना है कि दिल्ली और मुंबई जैसे एयरपोर्ट पर तो पहले से कुछ बेसिक सिस्टम हैं, लेकिन अब इसके लिए समर्पित सिस्टम लगेगा। सूत्रों का कहना है कि कोशिश इस बात की हो रही है कि वर्ष 2026 के अंत तक देश के सबसे बड़े 10 एयरपोर्ट पूरी तरह ड्रोन-प्रूफ हो जाएंगे।

    कहां कैसा लगेगा सिस्टम

    एयरपोर्ट सूत्रों का कहना है कि अभी इस बात पर चर्चा हो रही है कि एयरपोर्ट की जरुरत के हिसाब से जहां जो सिस्टम लगाया जाना है, उसमें क्या क्या खासियत होनी चाहिए। इसके लिए विदेश के एयरपोर्ट पर लगाए गए सफल एंटी ड्रोन सिस्टम माडल का अध्ययन किया जा रहा है। जैसे ही यह तय हो जाएगा कि किस एयरपोर्ट पर किस तरह के सिस्टम की जरुरत है, उसके बाद सिस्टम की खरीद से जुड़ी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

    क्या होता है एंटी ड्रोन सिस्टम 

    एंटी ड्रोन सिस्टम आज के समय का ड्रोन शील्ड है जो अनधिकृत ड्रोनों को आने से पहले ही रोक देता है या निष्क्रिय कर देता है। इसमें एक खास तकनीकी व्यवस्था होती है जो अनधिकृत, खतरनाक या दुश्मन ड्रोनों को पता लगाने, पहचान करने, ट्रैक करने और उन्हें निष्क्रिय करने के लिए बनाई जाती है।

    एंटी ड्रोन सिस्टम के मुख्य हिस्से और काम करने का तरीका डिटेक्शन रडार पर आधारित होता है जो छोटे ड्रोनों को भी दूर से पकड़ लेता है। इस सिस्टम में रडार के अलावा इन्फ्रारेड कैमरे होते हैं दिन-रात ड्रोन को देखकर पहचानते हैं। सिस्टम में एकास्टिक सेंसर होता है जो ड्रोन में लगे प्रोपेलर की आवाज को पहचान लेता है।

    सिस्टम का साफ्टवेयर सभी सेंसर के डेटा को मिलाकर यह तय करता है कि आने वाला ऑब्जेक्ट ड्रोन है या पक्षी या फिर वायुयान, इसके बाद फिर उसकी दिशा, स्पीड और लोकेशन को लगातार ट्रैक करता रहता है। दुश्मन ड्रोन को चिन्हित करने के बाद यह उसे निष्किय करने के लिए जैमिंग का सहारा लेता है।

    इसमें ड्रोन का रिमोट कंट्रोल सिस्टम का जीपीएस सिग्नल ब्लाक कर दिया जाता है। जरुरत पड़ने पर ड्रोन को दिशाभ्रम का शिकार बनाकर उसे कहीं और ले जाया जाता है।

    नई दिल्ली में अभी क्या है हाल 

    आईजीआई एयरपोर्ट के पांच किलोमीटर के दायरे में ड्रोन उड़ाना पूरी तरह वर्जित है। इसमें रनवे, टर्मिनल और आसपास के इलाके शामिल हैं। इसके अलावा यदि दिल्ली में कहीं अन्य स्थान पर ड्रोन उड़ाना है तो आपको एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया में आवेदन देकर इसकी अनुमति लेनी होगी।

    इसके आगे यानि आईजीआई एयरपोर्ट से पांच से सात किलोमीटर के बीच की दूरी का इलाका रेड जोन के अंतर्गत आता है। रेड जोन के अंतर्गत ड्रोन का संचालन तभी किया जा सकता है, जब सक्षम प्राधिकरण से इसकी मंजूरी ली जाए। करीब दो वर्ष भारत सरकार की ओर कृषि कार्य के लिए ऊजवा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र को एक ड्रोन उपलब्ध कराया गया था।

    लेकिन लंबे समय तक यह ड्रोन इस्तेमाल से दूर रहा। इसकी वजह ऊजवा का आईजीआई एयरपोर्ट पर ढांसा स्थित रडार केंद्र के नजदीक होना था। बाद में एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया से मंजूरी के बाद विज्ञानियों को एक निश्चित ऊंचाई पर ड्रोन उड़ाने की अनुमति मिली।