Parkinson's के मरीजों के लिए AIIMS की बड़ी पहल, अब दूर-दराज तक पहुंचेगा इलाज; DBS को लेकर उठाया बड़ा कदम
दिल्ली एम्स ने पार्किंसंस के मरीजों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। अब दूर-दराज के क्षेत्रों तक इलाज पहुंचाया जाएगा। डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) को ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Parkinson's Disease और Other Movement Disorders के इलाज में कारगर Deep Brain Stimulation (DBS) तकनीक को लेकर AIIMS, नई दिल्ली ने बड़ी पहल की है। राष्ट्रीय स्तर पर न्यूरोलाजिकल केयर मजबूत करने के लिए एम्स देश के न्यूरोलाॅजिस्ट और न्यूरोसर्जनों को इस तकनीक का विशेषज्ञ प्रशिक्षण दे रहा है।
ताकि दूर-दराज के ऐसे मरीजों, जो उपचार के लिए एम्स नहीं पहुंच पाते हैं, उन्हें भी इस तकनीक से पार्किंसंस व अन्य मूवमेंट डिसऑर्डर बीमारियों का विशेषज्ञ उपचार मिल सके। मस्तिष्क नस और तंत्रिका रोग विशेषज्ञ एम्स न्यूरोलाजी की वरिष्ठ चिकित्सक एलावरसी ने बताया कि डीबीएस को लेकर यह वर्कशाॅप राष्ट्रीय क्षमता निर्माण की दिशा में अहम कदम है।
इससे पार्किंसंस व मूवमेंट डिसऑर्डर से पीड़ित हजारों मरीजों खास लाभ मिलेगा, जिन पर दवाइयों का असर कम हो चुका है या हो ही नहीं रहा। एम्स ने शुक्रवार को इसके लिए दो दिवसीय देश की पहली समर्पित डीबीएस वर्कशाॅप में 200 से अधिक न्यूरोलाॅजिस्ट-न्यूरोसर्जनों को प्रशिक्षण दिया।
क्या है Deep Brain Stimulation
डीप ब्रेन स्टिमुलेशन एक अत्याधुनिक न्यूरोलाॅजिकल उपचार पद्धति है। इसमें मस्तिष्क के कुछ चुनिंदा हिस्सों में इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं, मस्तिष्क में लगाए गए इलेक्ट्रोड त्वचा के नीचे प्रत्यारोपित बैटरी से जुड़े होते हैं, जो नियंत्रित विद्युत संकेत भेजकर दिमाग की असामान्य गतिविधि को संतुलित करते हैं और पार्किंसंस के लक्षण कम करते हैं।
असामान्य तंत्रिका संकेतों को नियंत्रित करते हैं। इससे मरीजों में कंपकंपी, मांसपेशियों की जकड़न, चलने में परेशानी और संतुलन की समस्या काफी हद तक कम हो जाती है। विशेषज्ञों का दावा है कि डीबीएस जीवन की गुणवत्ता को उल्लेखनीय रूप से बेहतर बनाता है।
दिल्ली और देश में बढ़ते मरीज
विशेषज्ञों के अनुसार भारत में करीब आठ लाख लोग पार्किंसंस रोग से पीड़ित हैं। दिल्ली में करीब यह संख्या लगभग 50 हजार है। बढ़ती उम्र और बदलती जीवनशैली के कारण यह संख्या लगातार बढ़ रही है। एम्स, नई दिल्ली देशभर के मरीजों के लिए प्रमुख रेफरल सेंटर है, जहां हर साल करीब 20 हजार पार्किंसंस और मूवमेंट डिसऑर्डर के मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं।
क्यों अहम है डीबीएस वर्कशाॅप
एम्स में आयोजित इस वर्कशाॅप में डाॅक्टरों और मेडिकल फैकल्टी को डीबीएस की सर्जरी, इमेज-गाइडेड तकनीक, ऑपरेशन के बाद प्रोग्रामिंग और मरीज-विशेष प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार डीबीएस सिर्फ सर्जरी तक सीमित नहीं है, बल्कि आपरेशन के बाद सही प्रोग्रामिंग और फालोअप भी उतना ही जरूरी होता है। इस वर्कशाप से डाक्टरों की तकनीकी क्षमता बढ़ेगी और इलाज अधिक सटीक होगा।
- डीबीएस पर केंद्रित इस पहल से दूर दराज के मरीजों को होगा फायदा
- जटिल मामलों में भी बेहतर और सुरक्षित उपचार संभव होगा
- मरीजों को कम दवाइयों में बेहतर नियंत्रण मिलेगा
- दिल्ली के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों में भी डीबीएस उपचार सुविधाएं मजबूत होंगी
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