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    'अब लौट भी आओ घर' टीकरी बॉर्डर पर बैटे किसान प्रदर्शनकारियों को पंजाब से आ रहे संदेश

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Mon, 01 Feb 2021 09:14 AM (IST)

    खासकर आंदोलनकारी महिलाओं को घर से सबसे ज्यादा फोन आ रहे हैं। हालांकि ये अपने स्वजन को किसी तरह समझाकर आंदोलन की डगर पर डटे रहने की बात कह रहीं हैं लेक ...और पढ़ें

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    आंदोलनकारी महिलाओं को घर से सबसे ज्यादा फोन आ रहे हैं।

    नई दिल्ली [भगवान झा]। गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी के दिन किसान ट्रैक्टर परेड के नाम पर दिल्ली में हुए उपद्रव के बाद टीकरी बार्डर पर जमा आंदोलनकारियों के स्वजन काफी डरे हुए हैं और बार-बार फोन कर उन्हें घर वापस बुला रहे हैं। स्वजन कह रहे हैं कि अब आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया है और कभी भी कुछ हो सकता है। ऐसे में घर लौटना ही बेहतर है। खासकर आंदोलनकारी महिलाओं को घर से सबसे ज्यादा फोन आ रहे हैं। हालांकि, ये अपने स्वजन को किसी तरह समझाकर आंदोलन की डगर पर डटे रहने की बात कह रहीं हैं, लेकिन कहीं न कहीं इनके मन में भी डर समाया हुआ है।

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    हिंसा के बाद से लगने लगा है डर

    पंजाब से आईं जसप्रीत ने बताया कि लाल किले में हुई घटना के बाद मेरे घरवाले डर गए हैं। बार-बार फोन कर रहे हैं कि घर वापस आ जाओ। आंदोलन स्थल पर माहौल बिगड़ गया है। घरवालों को तो किसी तरह समझाया है, लेकिन अब उन्हें भी डर लग रहा है। अगर इसी तरह के हालत उत्पन्न होते रहे तो घर जाना ही ठीक रहेगा।

    जसप्रीत ने कहा कि आंदोलन स्थल पर काफी परेशानी हो रही हैं। खासकर महिलाओं को सबसे ज्यादा दिक्कतें हैं। 26 जनवरी को हुई घटना के बाद घरवालों का डरना लाजिमी है। एक अन्य आंदोलनकारी महिला नवनी ने बताया कि उनका भाई सिंघु बार्डर पर है और वह टीकरी बॉर्डर पर हैं। ट्रैक्टर परेड के नाम पर जिन लोगों ने उपद्रव मचाया है, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। यह आंदोलन को बदनाम करने के लिए कुछ लोगों की सोची समझी साजिश है। उनके घरवाले परेशान हो रहे हैं। दिन में कई बार फोन कर वे उनका हालचाल ले रहे हैं।

    सभी के मन में है डर व्याप्त

    यहां बैठे प्रदर्शनकारियों की मानें तो 26 जनवरी को हुआ उपद्रव आंदोलन की कमान संभाले लोगों की नाकामी है। वह अपनी मांग को लेकर सरकार से बात करने आए हैं। इसमें हिंसा की कोई जगह नहीं है। हरियाणा से आए राजेश ने बताया कि 26 जनवरी के बाद सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार को भी हिंसा हुई। ये सब डराने वाला है, जो भी हिंसा कर रहे हैं। उनके खिलाफ सख्ती बरती जाए। घर वापस जाने के लिए स्वजन का दबाव पहले से ही है। लोकतंत्र में मुद्दों पर विरोध एक सामान्य बात है, लेकिन इसमें हिंसा की कोई जगह नहीं है।

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