Delhi Air Pollution: एनसीआर की हवा फिर खराब, विश्व के प्रदूषित शहरों की सूची में दूसरे स्थान पर दिल्ली
यूएस एयर क्वालिटी इंडेक्स द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक लाहौर में अतिसूक्ष्म कणों (पीएम) की रेटिंग 423 रही। पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी करा ...और पढ़ें

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। हवा की गति कम होने और तापमान में कमी आने के कारण दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। इस वजह से एयर इंडेक्स सोमवार को एक बार फिर बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गया है। आलम यह है कि दिल्ली विश्व के दूसरे सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शुमार हो गई है। गुरुग्राम व फरीदाबाद को छोड़कर दिल्ली व एनसीआर के अन्य शहरों में प्रदूषण का स्तर बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गया। गुरुग्राम व फरीदाबाद में एयर इंडेक्स खराब श्रेणी में जरूर रहा, लेकिन इन दोनों शहरों में भी एक दिन पहले के मुकाबले प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। इससे गुरुग्राम व फरीदाबाद में भी एयर इंडेक्स खराब श्रेणी में उच्च स्तर पर पहुंच गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) व सफर इंडिया के मुताबिक मंगलवार को भी एयर इंडेक्स में बढ़ोतरी हो सकती है। अगले दो दिन प्रदूषण का स्तर बहुत खराब श्रेणी में बना रहेगा।
दिल्ली में एयर इंडेक्स 318 दर्ज किया गया, जबकि एक दिन पहले दिल्ली का एयर इंडेक्स 256 था। दिल्ली में जहांगीरपुरी, अशोक विहार, नरेला, विवेक विहार व आनंद विहार का इलाका सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा। एनसीआर के प्रमुख शहरों में गाजियाबाद में सोमवार को प्रदूषण अधिक रहा। ग्रेटर नोएडा व नोएडा का भी एयर इंडेक्स बहुत खराब श्रेणी में दर्ज किया गया।
सफर इंडिया के अनुसार पंजाब व हरियाणा में पराली जलाने की 410 घटनाएं हुई हैं। इस वजह से दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी सात फीसद रही, जबकि पिछले दिनों दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं की भागीदारी न के बराबर रह गई थी। इसलिए मौजूदा समय में प्रदूषण बढ़ने में थोड़ी भूमिका पराली के धुएं की भी है।
यूएस एयर क्वालिटी इंडेक्स द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, लाहौर में अतिसूक्ष्म कणों (पीएम) की रेटिंग 423 रही। पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कराची एक्यूआइ में सातवें स्थान पर रही। नेपाल की राजधानी काठमांडू सबसे प्रदूषित शहरों में तीसरे स्थान पर रही, जहां पीएम 178 दर्ज किया गया। अमेरिका की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी 50 के भीतर एक्यूआइ को संतोषजनक मानती है।
खाद्य और कृषि संगठन की पूर्व की रिपोर्ट और पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, पराली जलाने, परिवहन और उद्योगों के कारण सालभर प्रदूषण होता है। कई ईंट भट्ठों का पुराने तरीके से संचालन हो रहा है। पिछले दिनों सरकार ने ऐसे ईंट भट्ठों को बंद करने का आदेश भी दिया लेकिन कुछ का संचालन अभी भी हो रहा है।

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