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    Serological Survey Delhi: स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा- 15 दिन के अंदर शुरू होगा दिल्ली में चौथा सीरो सर्वे

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Thu, 01 Oct 2020 12:13 PM (IST)

    Serological Survey Delhi तीसरी सर्वे रिपोर्ट पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि इसके मुताबिक 25.1 फीसद लोगों में एंडीबॉडी विकसित हो चुकी है। वहीं इससे पहले आए सर्वे में 28.7 फीसद लोगों में एंटीबॉडी विकसित हुई थी।

    दिल्ली के स्वास्थ्यमंत्री सत्येंद्र जैन की फाइल फोटो।

    नई दिल्ली, एएनआइ। Serological Survey Delhi: दिल्ली में चौथे सीरी सर्वे को लेकर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन (Delhi Health Minister Satyendar Jain) का बड़ा बयान आया है।  उन्होंने कहा कि अगला यानी चौथा सीरी सर्वे अगले 15 दिनों के भीतर शुरू हो जाएगा। वहीं, तीसरी सर्वे रिपोर्ट पर सत्येंद्र जैन ने कहा कि इसके मुताबिक, 25.1 फीसद लोगों में एंडीबॉडी विकसित हो चुकी है। वहीं, इससे पहले आए सर्वे में 28.7 फीसद लोगों में एंटीबॉडी विकसित हुई थी।

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    गौरतलब है कि बुधवार को तीसरे सीरो सर्वे की रिपोर्ट जारी हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, आर्थिक रूप से कमजोर लोगों व भीड़ वाले इलाकों में रहने वाले अधिक लोगों में एंटीबॉडी पाई गई है। इसका कारण आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को कामकाज के लिए घर निकलना है। इसके अलावा भीड़ वाले इलाकों में लोग शारीरिक दूरी के नियम का पालन भी नहीं कर पाते। इस वजह से आर्थिक रूप से कमजोर व भीड़ वाले इलाकों में रहने वाले लोग बड़ी संख्या में कोरोना से संक्रमित हुए। जिनके ठीक होने के बाद एंटीबॉडी विकसित हो गई। इसके साथ ही जिले की बात करें तो उत्तर-पश्चिम जिले में सबसे ज्यादा लोगों में और उत्तर-पूर्व व मध्य जिले में सबसे कम लोगों में एंटीबॉडी मिली हैं। इसके साथ ही पहले से रोगग्रस्त लोगों में भी स्वस्थ लोगों की तुलना में अधिक एंटीबॉडी मिले हैं। इसका कारण बीमारी से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना है।

    मधुमेह पीडि़तों में मिले ज्यादा एंटीबॉडी

     रोगग्रस्त लोगों में सबसे ज्यादा मधुमेह (डायबिटीज) से पीड़ित मरीजों में ज्यादा एंटीबॉडी मिले हैं। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा कम होने से मधुमेह से पीडि़त लोगों में संक्रमण का ज्यादा खतरा है। वहीं हायपरटेंशन से पीड़ित मरीजों में भी सामान्य लोगों से ज्यादा एंटीबॉडी मिले हैं। यह भी ऐसे मरीजों के लिए खतरे की घंटी है। इससे साफ है कि रोगों से पीडि़त लोग कोरोना से बड़ी संख्या में संक्रमित हुए। इसलिए कोरोना से ठीक होने के बाद उनमें एंटीबॉडी मिली। 

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