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    Coronavirus: तीसरे सीरो सर्वे से बढ़ सकती है दिल्‍लीवालों की टेंशन, तीन महीने में ही खत्‍म हो रही एंटीबॉडी

    By Prateek KumarEdited By:
    Updated: Thu, 01 Oct 2020 10:47 AM (IST)

    तीसरे सीरो सर्वे के दौरान कोरोना से ठीक हुए 147 लोगों के सैंपल लिए गए। ब्लड सैंपल की जांच करने पर 65.3 फीसद लोगों में एंटीबॉडी पाई गई लेकिन 34.7 फीसद लोगों में एंटीबॉडी नहीं मिली। दूसरे सीरो सर्वे के दौरान 232 लोगों के सैंपल लिए गए थे।

    कोरोना पॉजिटिव रहे 34.7 फीसद लोगों में नहीं मिली एंटीबॉडी

    नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। कोरोना से ठीक हुए लोगों में एंटीबॉडी लंबे समय तक बरकरार नहीं रहती। यह बात सीरो सर्वे से काफी हद तक साफ होती दिख रही है। तीसरे सीरो सर्वे में यह पाया गया है कि कोरोना से पीड़ित एक तिहाई लोगों में एंटीबॉडी खत्म हो गई है। सर्वे के दौरान उन लोगों में एंटीबॉडी नहीं मिली। पहले व दूसरे सीरो सर्वे में भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग पाए गए थे जिन्हें पहले कोरोना हुआ था, लेकिन कुछ समय के बाद उनमें एंटीबॉडी नहीं मिली थी। डॉक्टर कहते हैं कि कोरोना से ठीक होने के तीन माह बाद काफी लोगों में एंटीबॉडी बरकरार नहीं रहती।

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    तीसरे सीरो सर्वे के दौरान कोरोना से ठीक हुए 147 लोगों के सैंपल की हुई जांच

    तीसरे सीरो सर्वे के दौरान कोरोना से ठीक हुए 147 लोगों के सैंपल लिए गए। इनके ब्लड सैंपल की जांच करने पर 65.3 फीसद लोगों में एंटीबॉडी पाई गई, लेकिन 34.7 फीसद लोगों में एंटीबॉडी नहीं मिली। इससे पहले अगस्त में दूसरे सीरो सर्वे के दौरान कोरोना पॉजिटिव रह चुके 232 लोगों के सैंपल लिए गए थे। उनकी जांच करने पर 30.7 फीसद लोगों में एंटीबॉडी नहीं पाई गई थी।

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    पहले भी नहीं मिली थी 46.6 फीसद लोगों में एंटीबॉडी

    इसके अलावा पहले सीरो सर्वे में कोरोना से ठीक हो चुके 111 लोगों के सैंपल की जांच की गई थी, जिसमें से 53.4 फीसद लोगों में ही एंटीबॉडी मिली थी। जबकि 46.6 फीसद लोगों में एंटीबॉडी नहीं मिली थी। कोरोना से पीड़ित होने के 14 से 21 दिन में यह एंटीबॉडी बनती है, जो बीमारी के प्रति रोग प्रतिरोधकता उत्पन्न करती है और दोबारा संक्रमण होने से बचाती है।

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    कमजोर रहेे फेफड़े  

    इधर, गंगाराम अस्पताल के चेस्ट मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. बॉबी भलोत्र ने बताया कि कोरोना महामारी को हरा चुके काफी लोगों में एक बात सामने आई है कि उनके फेफड़े कमजोर हो गए हैं। प्रदूषित वातावरण मिलने पर उन मरीजों के फेफड़े में जब धुआं व धूलकण प्रवेश करेंगे तो घुटन हो सकती है। इसलिए ऐसे मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि सर्दी का मौसम भी आने वाला है। इसलिए कोरोना से ठीक हुए लोगों में फ्लू, स्वाइन फ्लू व निमोनिया होने का खतरा रहेगा। इसलिए कोरोना पीड़ित लोग, 60 साल से अधिक उम्र वाले बुजुर्ग, मधुमेह, दिल व सांस की बीमारियों से पीड़ित लोग फ्लू व निमोनिया से बचाव के लिए टीके लगवा लें।

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