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    SAD से भाजपा की सियासी दोस्ती खत्म होने के बाद दिल्ली में बदले सियासी समीकरण

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Wed, 30 Sep 2020 11:40 AM (IST)

    Delhi Politics अब तक दिल्ली सिख मतों के लिए अकालियों पर आश्रित रहने वाली भारतीय जनता पार्टी को अपना जनाधार बढ़ाना होगा। इसके लिए सिख नेताओं को भाजपा में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

    2 दशक से भी पुराना शिऱोमणि अकाली दल और भाजपा का गठबंधन टूट गया है।

    नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। Delhi Politics:  शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) से सियासी दोस्ती खत्म होने के बाद दिल्ली के सियासी समीकरण भी बदल गए हैं। अब तक सिख मतों के लिए अकालियों पर आश्रित रहने वाली भाजपा को अपना जनाधार बढ़ाना होगा। इसके लिए सिख नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। कई नेता प्रदेश में कुर्सी हासिल करने की दौड़ में भी शामिल हैं। दिल्ली में पार्टी का सिख चेहरा समझे जाने वाले आरपी सिंह राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए गए हैं।

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    वहीं, मंडल से लेकर प्रदेश तक में कई सिख नेता पद पाने के लिए अपनी दावेदारी जता रहे हैं। बदले हुए सियासी समीकरण में उनकी दावेदारी भी मजबूत हो गई है। पार्टी के नेता भी मानते हैं कि सिखों में जनाधार बढ़ाने के लिए सिख नेतृत्व को उभारना होगा। और यह सही समय भी है, क्योंकि मंडल से लेकर प्रदेश तक नई टीम बनाने की प्रक्रिया चल रही है। यदि सिख नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलेगी तो आने वाले दिनों में इसका असर भी दिखेगा। प्रदेश उपाध्यक्ष कुलवंत सिंह बाठ की कोशिश एक बार फिर से प्रदेश की टीम में जगह हासिल करने की है। शिअद बादल से गठबंधन टूटने के बाद उन्होंने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) के उपाध्यक्ष पद छोड़ने की भी घोषणा कर दी है।

    पंथक राजनीति में सक्रिय रहने के साथ ही भाजपा में भी कई जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इनके साथ ही उत्तरी दिल्ली नगर निगम के पूर्व महापौर अवतार सिंह, प्रदेश भाजपा सिख प्रकोष्ठ के प्रभारी कुलविंद्र सिंह बंटी और संयोजक कुलदीप सिंह भी मुख्य टीम में जगह पाने की दौड़ में शामिल बताए जाते हैं।

    भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भी दो सिख नेताओं के नामों की चर्चा चल रही है। भाजयुमो के राष्ट्रीय मंत्री इम्प्रीत सिंह बक्शी और प्रदेश भाजपा प्रवक्ता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा की इस पद के लिए मजबूत दावेदारी बताई जाती है। दोनों इस बार विधानसभा चुनाव भी लड़े थे। बताते हैं कि यदि प्रदेश भाजयुमो की कमान नहीं मिली तो प्रदेश में कोई और जिम्मेदारी इन्हें मिल सकती है। बग्गा ट्विटर पर काफी सक्रिय हैं और विरोधियों के खिलाफ अपने ट्वीट से चर्चा में बने रहते हैं।

    भाजपा नेताओं का कहना है कि पार्टी नेतृत्व उन सभी मंडलों की पहचान कर रही है जहां सिखों की अच्छी खासी संख्या है। ऐसे मंडलों में महामंत्री से लेकर अन्य पदों पर सिखों की तैनाती की जाएगी। इस बार तीन मंडल अध्यक्ष भी सिख बने हैं। इसी तरह से जिलों में भी योग्य नेताओं को आगे लाने की तैयारी है।  

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