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    Coronavirus News Update: कोरोना से ठीक होने वालों की मुश्किलें बढ़ाएगा दिल्ली-NCR का प्रदूषण

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Wed, 30 Sep 2020 01:06 PM (IST)

    Coronavirus News Update डॉक्टरों के मुताबिक दिल्ली के साथ एनसीआर में भी प्रदूषण बढ़ने पर कोरोना से ठीक हुए उन मरीजों को ज्यादा परेशानी हो सकती है जिनके फेफड़े कमजोर हो गए हैं। उन्हें सांस लेने में दिक्कत होगी।

    कोरोना के गंभीर संक्रमण से पीड़ित मरीजों के फेफड़े सिकुड़ जाते हैं।

    नई दिल्ली [रणविजय सिंह]।  प्रदूषण बढ़ने व सर्दी का मौसम शुरू होने पर कोरोना से संक्रमित होने के कारण फेफड़ा कमजोर होने की समस्या से पीड़ित लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती है। प्रदूषण के कारण वातावरण में फैलने वाले धूलकण व धुआं फेफड़े को और कमजोर कर सकते हैं, इसलिए कोरोना संक्रमित फेफड़ों के लिए प्रदूषण खतरनाक साबित हो सकता है। उन्हें सांस की गंभीर बीमारी, निमोनिया व फ्लू होने का खतरा भी अधिक होगा। जो कई लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है, इसलिए डॉक्टर कहते हैं कि प्रदूषण से बचाव करने होंगे। डॉक्टरों का कहते हैं कि प्रदूषण बढ़ने पर पार्टिकुलेट मैटर (पीएम)-10, पीएम 2.5 सांस के जरिये शरीर में प्रवेश करता है। पीएम-10 के कारण फेफड़े में संक्रमण, अस्थमा का अटैक इत्यादि सांस की बीमारियां होती है। जबकि पीएम-2.5 फेफड़े से खून में पहुंच जाता है। जिससे धमिनयों में ब्लॉकेज होने के कारण हार्ट अटैक का खतरा रहता है। इस वजह से यह देखा गया है कि प्रदूषण बढ़ने पर अस्पतालों की इमरजेंसी में सांस के 30 फीसद मरीज बढ़ जाते हैं। इनमें से काफी मरीजों को आइसीयू मे भर्ती करना पड़ता है। अब समस्या यह है कि कोरोना के कारण जिन लोगों के फेफड़े कमजोर हो गए हैं उन्हें इस तरह की परेशानियां अधिक हो सकती है। अपोलो अस्पताल के श्वासं रोग के विशेषज्ञ डॉ. राजेश चावला ने कहा कि प्रदूषण बढ़ने पर कोरोना से ठीक हुए उन मरीजों को ज्यादा परेशानी हो सकती है जिनके फेफड़े कमजोर हो गए हैं। उन्हें सांस लेने में दिक्कत होगी।

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    फ्लू व निमोनिया से बचाव के लिए लगवा सकते हैं टीका

    गंगाराम अस्पताल के चेस्ट मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. बॉबी भलोत्रा ने कहा कि कोरोना से ठीक हुए काफी लोगों के फेफड़े कमजोर हो गए हैं। प्रदूषित वातावरण मिलने पर उन मरीजों के फेफड़े में जब धुआं व धूलकण प्रवेश करेंगे तो घुटन हो सकता है। इस वजह से सांस की समस्या बढ़ेगी। ऐसे मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि सर्दी का मौसम भी आने वाला है, इसलिए कोरोना से ठीक हुए लोगों में फ्लू, स्वाइन फ्लू व निमोनिया होने का खतरा रहेगा। इसलिए कोरोना पीड़ित लोग, 60 साल से अधिक उम्र वाले बुजुर्ग, मधुमेह, दिल व सांस की बीमारियों से पीड़ित लोग फ्लू व निमोनिया से बचाव के लिए टीके लगवा लें। निमोनिया का टीका एक बार लगाने के पांच साल बाद बूस्टर डोज लगता है, इसलिए जिन लोगों ने एक दो साल पहले निमोनिया का टीका ले लिया है, उन्हें टीका लेने की जरूरत नहीं है। हर साल सितंबर में फ्लू का नया टीका आता है। यह टीका हर साल लेना जरूरी होता है।

    फोर्टिस अस्पताल के पल्मोनरी मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. विकास मौर्या ने कहा कि यह देखा जा रहा है कि कोरोना के गंभीर संक्रमण से पीड़ित मरीजों के फेफड़े सिकुड़ जाते हैं। लंबे समय तक यह समस्या बनी रहती है, इसलिए प्रदूषण बढ़ने पर उन मरीजों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत होगी। मास्क लगाकर रखना होगा। ठंडी चीजें खाने से बचना होगा। साथ ही दवाएं जारी रखनी होगी।  

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