सर्दियों में बढ़ा प्रदूषण तो कोरोना से मौत में हो सकता है इजाफा, दिल्ली के लोगों को चुकानी पड़ सकती है बड़ी कीमत
सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) के फेलो डॉ. संतोष हरीश का कहना है कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए इस साल सर्दियों में वायु प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा चिंता का सबब है
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। कोविड-19 संक्रमण के मद्देनजर इन सर्दियों में वायु प्रदूषण का बढ़ना दिल्ली-एनसीआर वासियों के लिए कहीं अधिक खतरनाक साबित हो सकता है। क्योंकि कोरोना संक्रमण और वायु प्रदूषण दोनों ही फेफड़ों पर असर करते हैं। ऐसे में कोरोना से होने वाली मौत की संख्या भी बढ़ सकती है। विशेषज्ञ भी इससे इन्कार नहीं करते।
सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) के फेलो डॉ. संतोष हरीश का कहना है कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए इस साल सर्दियों में वायु प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा चिंता का सबब है। केंद्र और राज्य सरकारों को अगले दो माह के दौरान इसका प्राथमिकता के आधार पर समाधान करना होगा।
डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर (डीसीए) के मुताबिक, वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर होने से खासकर बच्चों और बुजुर्गो के फेफड़े कमजोर हो जाते हैं। ऐसे में उनके लिए कोरोना जानलेवा हो सकता है। सरकार को हर साल सर्दियों में विकराल रूप लेने वाली वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने ही होंगे, वरना इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
पीजीआइएमइआर चंडीगढ़ में कम्युनिटी मेडिसिन एंड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में एडिशनल प्रोफेसर डॉ. रवींद्र खैवाल के मुताबिक चीन और इटली में किए गए अध्ययनों से यह जाहिर होता है कि वायु प्रदूषण के उच्च स्तर का असर कोविड-19 से होने वाली मौत में वृद्धि के रूप में सामने आ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब के किसानों ने चेतावनी दी है कि हाल ही में संसद में पारित हुए कृषि विधेयकों के विरोध में वे इस साल अधिक पराली जलाएंगे। अगर ऐसा हुआ तो पहले से खराब हालात और भी बदतर हो जाएंगे।
हरियाणा और पंजाब की स्थिति पर एक नजर
काउंसिल ऑन एनर्जी, एन्वायरमेंट एंड वाटर (CEEW) और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के मुताबिक वर्ष 2016 से 2019 के बीच खेतों में पराली जलाए जाने की दर में साल-दर-साल गिरावट दिख रही है। लेकिन, अरबन साइंस द्वारा कराए गए एक अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2018 और 2019 में सितंबर और अक्टूबर में पंजाब के 10 में से 5 जिलों में प्रदूषण का स्तर पिछले साल के मुकाबले अधिक रहा है। हरियाणा से इसकी तुलना करना मुश्किल है, क्योंकि ज्यादातर वायु गुणवत्ता निगरानी यंत्र वर्ष 2019 में ऑनलाइन हुए हैं। प्रमुख प्रदूषक तत्व पीएम 10 के लिए गुरुग्राम और पीएम 2.5 के लिए फरीदाबाद, गुरुग्राम, पंचकुला और रोहतक को छोड़ दें तो वर्ष 2018 में हरियाणा के अन्य जिलों में वायु प्रदूषण का स्तर बताने वाले आंकड़े ही मौजूद नहीं हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।