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    जीएसटी मुआवजे पर गैर-भाजपाई राज्यों के साथ आई आम आदमी पार्टी

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Tue, 01 Sep 2020 09:32 AM (IST)

    दिल्ली सरकार के वित्त मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2020-21 में राजस्व में 2.3 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका है।

    जीएसटी मुआवजे पर गैर-भाजपाई राज्यों के साथ आई आम आदमी पार्टी

    नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। दिल्ली सरकार ने पश्चिम बंगाल, पंजाब, छत्तीसगढ़, केरल व तेलंगाना के सुर में सुर मिलाते हुए जीएसटी काउंसिल की बैठक में केंद्र सरकार द्वारा दिए गए विकल्पों को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही कोरोना के कारण बिगड़ी अर्थव्यस्था को सुधारने के उपायों पर वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने इन राज्यों के वित्त मंत्री के साथ चर्चा की है। दिल्ली सरकार के वित्त मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2020-21 में राजस्व में 2.3 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका है। इसमें 96,477 करोड़ रुपये का नुकसान जीएसटी के क्रियान्वयन के कारण जबकि शेष क्षति कोविड-19 के कारण होने का अनुमान है। राज्यों के आर्थिक नुकसान की भरपाई का मुद्दा 27 अगस्त को जीएसटी काउंसिल की बैठक में उठा था। इसमें केंद्रीय वित्त मंत्रालय राज्यों के राजस्व में आई कमी की भरपाई के लिए दो विकल्प दिए थे। इन विकल्पों पर सोमवार को दिल्ली, पश्चिम बंगाल, पंजाब, छत्तीसगढ़, केरल और तेलंगाना के वित्त मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चर्चा की है। इसमें इन सभी राज्यों ने भारत सरकार के दोनों विकल्पों को खारिज करने का निर्णय लिया।

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    मनीष सिसोदिया का कहना है कि ये विकल्प जीएसटी क्षतिपूर्ति अधिनियम के प्रावधान और भावना के खिलाफ हैं। इसके साथ ही प्रस्ताव पारित किया कि इस गंभीर स्थिति में कानूनी रूप से उपयुक्त विकल्प हैं। इस पर छह राज्यों ने सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि देश के लिए यही एक मात्र व्यावहारिक विकल्प हैं। इसे जीएसटी परिषद के समक्ष लाया जाएगा।

    राज्यों का सुझाव

    • क्षतिपूर्ति उपकर निधि में 2,35,000 करोड़ रुपये की संपूर्ण अनुमानित कमी की भरपाई भारत सरकार द्वारा आरबीआइ अथवा किसी अन्य माध्यम से की जाए। मूलधन के भुगतान और ब्याज की देयता वर्ष 2022 से प्रारंभ हो। यह सेस के माध्यम से होनी चाहिए तथा इसके लिए जीएसटी परिषद को सेस लगाने की अवधि को 5 साल आगे बढ़ाना चाहिए।  इससे अलग अलग राज्यों को उधार लेने की आवश्यकता नहीं होगी, हर राज्य को स्वयं उधार लेने की क्षमता में काफी जटिलताएं हैं। खासकर विकल्प नंबर 2 में विभिन्न राज्यों के लिए ब्याज दरों में अंतर भी होगा। यह एक सरल तरीका होगा क्योंकि पूरी उधारी को माल और सेवा कर क्षतिपूर्ति निधि के माध्यम से किया जाना चाहिए, जैसा कि माल और सेवा कर (राज्यों को मुआवजा) अधिनियम, 2017 की धारा 10 में प्रावधान है।
    • जीएसटी परिषद द्वारा उक्त राशि को उधार लेने माल और सेवा कर (राज्यों का मुआवजा) अधिनियम, 2017 में माल और सेवा कर (मुआवजा) के तहत सेस लगाने और संग्रह करने के लिए उपयुक्त संशोधन करने के लिए भारत सरकार को अधिकृत किया जाए। -इस विकल्प के तहत केंद्र सरकार को राज्य की उधार सीमा में छूट देने या राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को उधार लेने की विशेष अनुमति देने की आवश्यकता नहीं होगी।केंद्र सरकार जो विकल्प दिया
    • जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण लगभग 97,000 करोड़ रुपये के नुकसान की भरपाई के लिए राज्यों द्वारा ऋण लिया जाएगा। इसके लिए वित्त मंत्रालय एक स्पेशल ¨वडो के जरिए समन्वय करेगा। विशेष विंडो के तहत लिए गए उधार पर ब्याज का भुगतान सेस की राशि से किया जाएगा। इस संकट अवधि के अंत तक ऐसा किया जाएगा। संकट अवधि के बाद, मूलधन और ब्याज का भुगतान सेस की आय से किया जाएगा। इसके लिए सेस को आवश्यक अवधि तक बढ़ाया जा सकता है। राज्यों को ऋण को अपने स्त्रोत से इस राशि के भुगतान की आवश्यकता नहीं होगी। स्पेशल ¨वडो के तहत लिए गए इस ऋण को राज्य के ऋण के रूप में नहीं माना जाएगा।
    • कोरोना संकट के कारण संभावित नुकसान सहित पूरे नुकसान की संभावित राशि 2,35,000 करोड़ रुपये खुद राज्यों द्वारा बाजार ऋण के माध्यम से ले सकेगी। भारत सरकार ऐसे कर्ज का मूलधन सेस से चुकाने के लिए एक आफिस मेमोरेंडम जारी करेगी। ब्याज का भुगतान राज्यों को अपने संसाधनों से करना होगा।

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