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    दिल्ली कांग्रेस के भविष्य पर लगा बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का ग्रहण

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Tue, 01 Sep 2020 09:22 AM (IST)

    Bihar Assembly Election 2020 पार्टी के दिल्ली प्रभारी ने साफ कह दिया है कि फिलहाल फोकस बिहार पर है दिल्ली पर नहीं। मतलब पार्टी का तीन से चार माह का समय और व्यर्थ होने वाला है।

    दिल्ली कांग्रेस के भविष्य पर लगा बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का ग्रहण

    नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। लगातार अपना जनाधार खोती जा रही कांग्रेस की दिल्ली इकाई पर अब बिहार चुनाव का ग्रहण लग गया है। अप्रैल 2022 में प्रस्तावित नगर निगम चुनाव के लिए जहां भाजपा एवं आम आदमी पार्टी संगठन का पुनर्गठन करने के साथ-साथ स्थानीय स्तर के मुददों पर भी फोकस करने लगी हैं। वहीं कांग्रेस इस दिशा में कुछ विचार तक नहीं कर रही है। पार्टी के दिल्ली प्रभारी ने साफ कह दिया है कि फिलहाल फोकस बिहार पर है, दिल्ली पर नहीं। मतलब, पार्टी का तीन से चार माह का समय और व्यर्थ होने वाला है।

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    यहां पर बता दें कि फरवरी 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ चार फीसद मतों पर सिमट गई थी। इसके बाद से पार्टी का जनाधार लगातार नीचे खिसक रहा है। कार्यकर्ता हताश-निराश है क्योंकि उन्हें पार्टी का सियासी भविष्य नजर नहीं आ रहा है जबकि वरिष्ठ नेता इसलिए निष्कि्रय हो गए हैं क्योंकि प्रदेश की कमान अनिल चौधरी के रूप में ऐसे नेता को दे दी गई है, जिनकी स्वीकार्यता नहीं के बराबर है। आलम यह है कि चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बने छह माह होने को है, संगठन के पुनर्गठन की दिशा में एक कदम आगे नहीं बढ़ा जा सका है। प्रदेश कार्यकारिणी का गठन पिछले करीब सात साल से नहीं हुआ है।

    सन 2013 में जब जयप्रकाश अग्रवाल प्रदेश अध्यक्ष थे, तभी आखिरी बार कार्यकारिणी का गठित की गई थी। इनके बाद अरविंदर सिंह लवली, अजय माकन, शीला दीक्षित और सुभाष चोपड़ा अध्यक्ष बने, लेकिन कार्यकारिणी गठन किसी ने नहीं किया। अब चौधरी कमान संभाल रहे हैं, लेकिन कार्यकारिणी अब भी मझधार में लटक रही है। कार्यकारिणी गठित न होने से पार्टी के लिए काम करने का उत्साह ज्यादातर नेता-कार्यकर्ताओं में नहीं रह गया है। यहां तक कि प्रदेश महिला कांग्रेस सहित तमाम फ्रंटल इकाइयां भी भगवान भरोसे ही चल रही हैं। हालांकि कार्यकारिणी गठन और वरिष्ठ एवं युवा नेताओं को समायोजित करने की बात समय समय पर उठती भी है, लेकिन पार्टी में गुटबाजी और बिखराव इस हद तक है कि मानो इसे सांप का बिल मानते हुए कोई इसमें हाथ डालने की हिम्मत जुटा ही नहीं पाता। विचारणीय यह कि महज डेढ़ साल बाद होने वाले निगम चुनावों के मददेनजर भी पार्टी कतई गंभीर नजर नहीं आ रही। यहां तक कि प्रदेश प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल भी दिल्ली कांग्रेस को लेकर किसी जल्दबाजी के मूड़ में नहीं हैं।

    शक्ति सिंह गोहिल (प्रभारी, दिल्ली कांग्रेस) के मुताबिक, अभी कांग्रेस का फोकस केवल बिहार चुनाव है। दिल्ली के विषय में फिलहाल न कुछ चल रहा है, न सोचा जा रहा है। इसलिए जो भी होगा, अब बिहार चुनाव के बाद ही होगा, उससे पूर्व नहीं। 

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