विंध्यवासिनी मंदिर, द्वारका
पूर्वी उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर के विंध्याचल में स्थित मां विध्यवासिनी की तर्ज पर द्वारका के सेक्टर-
पूर्वी उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर के विंध्याचल में स्थित मां विध्यवासिनी की तर्ज पर द्वारका के सेक्टर-13 में मां विध्यवासिनी के मंदिर का निर्माण कराया गया है। इस मंदिर के गर्भ गृह में भगवान शिव का लिंग भी स्थापित किया गया है। यहां पर श्रावण मास के दौरान सोमवार को भगवान शिव का जलाभिषेक होता है।
इतिहास
चार वर्ष पूर्व 4 दिसंबर 2011 को भूमि पूजन हुआ था। 21 से 27 अप्रैल 2015 में नवरात्र के समय प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। अब यह मंदिर भव्य रूप ले चुका है। दिल्ली में साढ़े ग्यारह हजार से ज्यादा मंदिर है, इनमें सैकड़ों भगवान की मूर्तियां भी हैं। लेकिन दिल्ली में मां विध्यवासिनी का द्वारका में महज एक ही मंदिर है। इस मंदिर में सीताराम, लक्ष्मी नारायण, शिवलिंग, शिव परिवार, हनुमान जी, गणपति और साई बाबा की मूर्ति स्थापित की गई है।
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तैयारियां
यहां पर श्रावण के दौरान मेले जैसा माहौल रहता है। ऐसे में मंदिर प्रबंधन की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष रूप से पूजा पाठ की व्यवस्था की गई है। यहां पर समय समय पर भंडारे का भी आयोजन किया जाता है।
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मंदिर को स्थापित करने के लिए वर्षो से प्रयासरत थे, उन्हें आशातीत सफलता मिली। मंदिर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के बाद श्रावण मास के दौरान श्रद्धालुओं को देख मन गदगद हो गया।
आचार्य श्री सुरेंद्र धर द्विवेदी जी ज्योतिषाचार्य (शास्त्री जी )
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विंध्यवासिनी देवी का दर्शन करने के लिए विंध्याचल जाना पड़ता था, अब विंध्यवासिनी मंदिर में भगवान शिव के दर्शन हो रहे हैं, ऐसे में खुशी दोगुनी हो गई है।
अमरेंद्र सिंह।
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