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    Ranji Round up: विदर्भ ने मुंबई से लिया बदला, खिताबी रेस से किया बाहर, फाइनल में इतिहास रचने वाली केरल से होगा मुकाबला

    केरल ने वो काम कर दिखाया है जो अभी तक उसके क्रिकेट इतिहास में नहीं हुआ था। इस टीम ने पूर्व विजेता गुजरात को रोमांचक मुकाबले में मात देते हुए रणजी ट्रॉफी फाइनल में जगह बनाई है। वहीं मुंबई का एक और रणजी ट्रॉफी खिताब जीतने का सपना टूट गया है। उसे विदर्भ ने मात देकर फाइनल में जगह बनाई है।

    By Jagran News Edited By: Abhishek Upadhyay Updated: Fri, 21 Feb 2025 08:56 PM (IST)
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    मुंबई का एक और रणजी ट्रॉफी खिताब जीतने का सपना टूटा गया है

    पीटीआई, नागपुर: बाएं हाथ के स्पिनर हर्ष दुबे के पांच विकेट की मदद से विदर्भ ने शुक्रवार को 42 बार के चैंपियन मुंबई को 80 रन से हराकर चौथी बार रणजी ट्रॉफी फाइनल में जगह बनाई। पुणे के रहने वाले 22 वर्षीय स्पिनर दुबे ने 127 रन देकर पांच विकेट लिए जिससे 406 रन के लक्ष्य का पीछा कर रही मुंबई की टीम 325 रन पर आउट हो गई। विदर्भ ने इस तरह से पिछले वर्ष मुंबई के हाथों फाइनल में मिली हार का बदला भी चुकता कर दिया।

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    विदर्भ को फाइनल में पहुंचाने में दुबे ने अहम भूमिका निभाई है। वह इस सत्र में अभी तक 66 विकेट ले चुके हैं। अब वह एक रणजी सत्र में सर्वाधिक विकेट लेने के बिहार के आशुतोष अमन के रिकॉर्ड से केवल दो विकेट दूर हैं। विदर्भ चौथी बार रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचा है। इससे पहले वह 2017-18 और 2018-19 में चैंपियन बना था।

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    अंत तक बना रहा रोमांच

    मुंबई के निचले क्रम के बल्लेबाजों ने अंत तक मैच को रोमांचक बनाए रखा। शार्दुल ठाकुर ने फिर से अपने बल्लेबाजी कौशल का अच्छा नमूना पेश करते हुए 124 गेंद पर 66 रन बनाए जिसमें पांच चौके और एक छक्का शामिल है। शार्दुल ने शम्स मुलानी (46) के साथ सातवें विकेट के लिए 103 रन जोड़े। मुलानी के रन आउट होने से यह साझेदारी टूटी। इसके बाद यश ठाकुर ने शार्दुल को बोल्ड किया जिससे मुंबई का स्कोर आठ विकेट पर 254 रन हो गया। इसके बाद हालांकि रायस्टन डायस और मोहित अवस्थी ने अंतिम विकेट के लिए 52 रन जोड़कर मुंबई को 93.4 ओवर में 300 के पार पहुंचा दिया। दुबे ने अवस्थी को एलबीडब्ल्यू आउट करके विदर्भ को जीत दिलाई।

    केरल ने रचा इतिहास

    केरल ने 1957 में रणजी पदार्पण करने के बाद 2018-19 में अंतिम बार सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। सरवटे को सफलताएं काफी नाटकीय तरीके से मिलीं जिसमें एक कैच छूटना, एक स्टंपिंग का मुश्किल फैसला और एक सफल डीआरएस समीक्षा शामिल थीं जिसने कैच आउट के फैसले को एलबीडब्ल्यू में बदल दिया।

    केरल ने शुक्रवार को गुजरात पर पहली पारी में केवल दो रन की बढ़त हासिल करके पहली बार रणजी ट्रॉफी के फाइनल में प्रवेश किया। भारतीय क्रिकेट की प्रमुख घरेलू प्रतियोगिता में पदार्पण करने के 68 साल बाद केरल पहली बार फाइनल में पहुंचा है।

    अब फाइनल में केरल का सामना विदर्भ से होगा जिसने दूसरे सेमीफाइनल में मुंबई को 80 रन से हराया। कमाल की बात यह है कि क्वार्टर फाइनल में भी केरल ने जम्मू-कश्मीर के विरुद्ध केवल एक रन की बढ़त से सेमीफाइनल का भी टिकट कटाया था।

    ढह गई गुजरात

    गुजरात को अंतिम दिन पहली पारी में बढ़त हासिल करने के लिए सिर्फ 29 रन की दरकार थी और 2016-17 की रणजी ट्रॉफी चैंपियन टीम ने सुबह सात विकेट पर 429 रन के स्कोर से खेलना शुरू किया। बाएं हाथ के स्पिनर आदित्य सरवटे ने दबाव में अच्छा प्रदर्शन किया और तीनों विकेट लेकर गुजरात को 174.4 ओवर में 455 रन पर समेट दिया। इस तरह से टीम दो रन से फाइनल में पहुंचने से चूक गई।

    मेहमान टीम केवल दूसरी बार सेमीफाइनल में खेल रही थी। उसे जयमीत पटेल (कल के 74 रन पर खेलने उतरे) और सिद्धार्थ देसाई (कल के 24 रन पर खेलने उतरे) के बीच चौथे दिन आठवें विकेट के लिए 72 रन की साझेदारी से निराशा हाथ लगी थी। केरल को दिन की शुरुआत में तीन विकेट की जरूरत थी और सिर्फ 28 रन का बचाव करना था।

    केरल ने 1957 में रणजी पदार्पण करने के बाद 2018-19 में अंतिम बार सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। सरवटे को सफलताएं काफी नाटकीय तरीके से मिलीं जिसमें एक कैच छूटना, एक स्टंपिंग का मुश्किल फैसला और एक सफल डीआरएस समीक्षा शामिल थीं जिसने कैच आउट के फैसले को एलबीडब्ल्यू में बदल दिया।

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