Duleep Trophy: स्पोर्ट्समैनशिप के चक्कर में सबकुछ हुआ पर खेल नहीं हो पाया, दिलीप ट्रॉफी में हुई समय की बर्बादी
साउथ जोन को जीत के लिए अंतिम सत्र में 5.5 ओवर में 32 रनों की आवश्यकता थी। नॉर्थ जोन ने लगभग 6 ओवर पूरा करने में 53 मिनट का समय लगा दिया जिसमें एक ओवर 12 मिनट से अधिक का था। पहली पारी में बढ़त हासिल करने के बाद साउथ जोन को जीत के लिए 215 रन और आखिरी दिन 194 रन की जरूरत थी।

नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। साउथ जोन ने नॉर्थ जोन को 2 विकेट से हराकर दिलीप ट्रॉफी के फाइनल में जगह बनाई। उसका मुकाबला वेस्ट जोन से होगा, लेकिन सेमीफाइनल में जयंत यादव की अगुवाई वाली नॉर्थ जोन टीम की समय बर्बादी का मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है।
दरअसल, साउथ जोन को जीत के लिए अंतिम सत्र में 5.5 ओवर में 32 रनों की आवश्यकता थी। नॉर्थ जोन ने लगभग 6 ओवर पूरा करने में 53 मिनट का समय लगा दिया, जिसमें एक ओवर 12 मिनट से अधिक का था। पहली पारी में बढ़त हासिल करने के बाद साउथ जोन को जीत के लिए 215 रन और आखिरी दिन 194 रन की जरूरत थी। मैच चार दिनों तक खराब रोशनी की रुकावट और संदिग्ध अंपायरिंग के कारण भी खराब रहा।
फील्ड सेट करने में किया समय बर्बाद
नॉर्थ जोन को हर डिलीवरी के लिए फील्ड सेटिंग में अनावश्यक बदलाव करने, बुरादा और डेड बॉल की मांग करने में समय अधिक समय लगे। ऐसे में फैंस ने अंपायर उल्हास और रोहन पंडित से आग्रह किया कि वे फील्डिंग कर रही टीम को चेतावनी दें। समय की बर्बादी पर साउथ जोन के कप्तान हनुमा विहारी ने अपनी राय व्यक्त की।
विहारी ने कहा- "मैं भी होता तो यही करता"
अंतिम सत्र में नॉर्थ जोन के गेम प्लान पर प्रकाश डालते हुए विहारी ने कहा, "मुझे लगता है कि घरेलू क्रिकेट भी ऐसा ही है। मैंने बहुत सारे खेल देखे हैं, जहां टीमें फायदा उठाने के लिए अंतिम कुछ ओवरों में देरी करने की कोशिश करती हैं। कुछ लोग ऐसा कह सकते हैं यह खेल की भावना के अनुरूप नहीं है, लेकिन अगर मैं कप्तान होता तो भी यही करता।"
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