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    सौरव गांगुली व जय शाह को जुलाई-अगस्त में देना है इस्तीफा, छूट के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगा बोर्ड

    By Sanjay SavernEdited By:
    Updated: Tue, 12 May 2020 07:56 PM (IST)

    लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण इन दोनों को इस साल जुलाई-अगस्त में ही इस्तीफा देना पड़ेगा।

    सौरव गांगुली व जय शाह को जुलाई-अगस्त में देना है इस्तीफा, छूट के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगा बोर्ड

    अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) अपने अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह को तीन साल के अनिवार्य कूलिंग ऑफ पीरियड (विश्राम अवधि) से छूट दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी क्योंकि लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण इन दोनों को इस साल जुलाई-अगस्त में ही इस्तीफा देना पड़ेगा।

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    बीसीसीआइ सूत्रों के मुताबिक गांगुली और शाह अपना तीन साल तक कार्यकाल पूरा कर पाएं इसके लिए बीसीसीआइ ने अगले दो सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला किया है। इसके साथ 23 अक्टूबर 2019 को बीसीसीआइ एजीएम में हुए संविधान के संशोधनों को पारित कराने के लिए भी कोर्ट की स्वीकृति की जरूरत होगी और इसके लिए भी बीसीसीआइ सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेगा।

    न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति के आधार पर तैयार नए बीसीसीआइ संविधान में कोई भी व्यक्ति, जो राज्य संघ के साथ बीसीसीआइ का लगातार छह साल तक पदाधिकारी रहा हो, उसके लिए तीन साल तक विश्राम अवधि में जाना अनिवार्य होगा। जहां तक गांगुली का मामला है तो वह पूर्व में बंगाल क्रिकेट के संघ के संयुक्त सचिव और बाद में अध्यक्ष रहे। उन्होंने अक्टूबर में बीसीसीआइ अध्यक्ष का पद संभाला और इस तरह से उनका कार्यकाल केवल नौ महीने का रह गया। यही स्थिति शाह की है जो पांच साल से ज्यादा गुजरात क्रिकेट संघ के सचिव रहे और उन्हें भी अनिवार्य विश्राम अवधि में जाना होगा।

    सूत्र ने कहा कि वैसे ही दोनों का हालिया कार्यकाल काफी छोटा है और ऊपर से कोरोना वायरस आ गया। इसके कारण ये दोनों करीब दो महीने काम ही नहीं कर पाए। हाल में क्रिकेट भी नहीं हो रहा है और बीसीसीआइ को उसका काफी नुकसान उठाना पड़ा है। बीसीसीआइ को पटरी पर लाने के लिए और देश में क्रिकेट शुरू करने के लिए इन दोनों का पदों पर रहना जरूरी है।

    किसी भी व्यक्ति को व्यवस्था को सुधारने के लिए समय चाहिए और उन दोनों को कोरोना के कारण समय नहीं मिल पाया। यही कारण है कि बीसीसीआइ सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश करेगा कि इन्हें अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा करने की अनुमति दी जाए या इनका कुछ कार्यकाल बढ़ाया जाए। बीसीसीआइ मामले में मुख्य याचिकाकर्ता आदित्य वर्मा पहले ही कह चुके हैं कि वह गांगुली और जय के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाएंगे।

    शाह और गांगुली ने जब बीसीसीआइ में अपने पद संभाले थे तो उसके बाद हुई पहली एजीएम में कई संशोधन भी किए गए थे। एजीएम में संशोधनों में यह भी प्रस्ताव था कि बोर्ड में अधिकतर 70 साल के व्यक्ति की नियुक्ति का नियम केवल पदाधिकारियों और शीर्ष परिषद के सदस्यों पर ही लागू होना चाहिए। बीसीसीआइ ने भी मौजूदा संविधान में एक और नियम को बदलते हुए चयनकर्ताओं के कार्यकाल को पांच से घटाकर चार साल का कर दिया था।

    ज्ञानेंद्र और राकेश का कार्यकाल समाप्त

    बीसीसीआइ ने कार्यकाल पूरा होने पर अपने दो जूनियर चयनकर्ताओं ज्ञानेंद्र पांडेय और राकेश पारिख को सेवामुक्त कर दिया है। उत्तर प्रदेश रणजी टीम के पूर्व कप्तान ज्ञानेंद्र पांडेय अब उत्तराखंड क्रिकेट संघ की एपेक्स कमेटी के सदस्य बन सकते हैं। बीसीसीआइ की तरफ से दोनों चयनकर्ताओं को जारी ईमेल में लिखा गया है कि आपका कार्यकाल काफी अच्छा रहा और आपको मुक्त किया जाता है।

    मंगलवार को जारी मेल में लिखा गया है कि इन्हें मार्च और अप्रैल का पैसा नहीं मिलेगा क्योंकि उनका कार्यकाल उससे पहले ही खत्म हो चुका था। हाल ही में सीनियर चयनसमिति में मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद और गगन खोड़ा का कार्यकाल पूरा हुआ था। उनकी जगह सुनील जोशी और हरविंदर सिंह नियुक्त हो चुके हैं। अब मदन लाल की अध्यक्षता वाली क्रिकेट सलाहकार समिति जूनियर चयनसमिति के दो सदस्यों का चयन करेगी।

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