'टेस्ट क्रिकेट जैसा है, वैसा ही रहना चाहिए', सीरीज ड्रॉ होने के बाद कप्तान शुभमन गिल ने उठाया बड़ा मुद्दा
भारत और इंग्लैंड के बीच रोमांचक सीरीज ने एक बार फिर टेस्ट क्रिकेट की प्रासंगिकता और रोमांच को दुनिया के सामने साबित कर दिया है। टीम इंडिया के युवा कप्तान शुभमन गिल का मानना है कि टेस्ट क्रिकेट के मौजूदा प्रारूप में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह खेल का सबसे चुनौतीपूर्ण और संतोषजनक प्रारूप है जो आपको दोबारा मौका देता है।

विशेष संवाददाता, जागरण लंदन : भारत और इंग्लैंड के बीच रोमांचक सीरीज ने एक बार फिर टेस्ट क्रिकेट की प्रासंगिकता और रोमांच को दुनिया के सामने साबित कर दिया है। टीम इंडिया के युवा कप्तान शुभमन गिल का मानना है कि टेस्ट क्रिकेट के मौजूदा प्रारूप में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह खेल का सबसे चुनौतीपूर्ण और संतोषजनक प्रारूप है, जो आपको दोबारा मौका देता है।
ओवल में नाटकीय जीत के बाद प्रेस कांफ्रेंस में भारतीय कप्तान ने कहा कि मेरे अनुसार टेस्ट क्रिकेट जैसा है, वैसा ही रहना चाहिए। यह सबसे अधिक मेहनत मांगने वाला और सबसे संतोषजनक प्रारूप है। इसमें जीतने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इस प्रारूप की बड़ी खूबी यह है कि यह आपको हमेशा एक और मौका देता है, जो बाकी प्रारूपों में नहीं मिलता।
गिल ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि अगर यह सीरीज चार दिनी टेस्ट के रूप में खेली जाती, तो शायद सभी मैच ड्रॉ हो जाते। उन्होंने कहा, अगर आप लगातार मेहनत करते रहें और सही दिशा में काम करें, तो टेस्ट क्रिकेट आपको वापसी का मौका देता है। यही वजह है कि इसे जैसा है, वैसा ही रहने देना चाहिए।
भारत-इंग्लैंड की प्रतिद्वंद्विता हमेशा बड़ी रही है : स्टोक्स
इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने कंधे की चोट के चलते ओवल टेस्ट मिस कर दिया, लेकिन उन्होंने इस सीरीज को विशेष बताया। जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत-इंग्लैंड की प्रतिद्वंद्विता एशेज के बराबर हो चुकी है, तो उन्होंने कहा, भारत और इंग्लैंड की सीरीज हमेशा से बड़ी रही है। इसमें वो एशेज जैसा लेबल भले न हो, लेकिन प्रतिस्पर्धा की तीव्रता किसी से कम नहीं है।
उन्होंने आगे कहा, हर मैच उतार-चढ़ाव से भरा रहा। कभी भारत ने नियंत्रण लिया, कभी हमने। ये पांच मैच यादगार रहे। इससे मुझे 2023 की एशेज सीरीज की याद आ गई, जब हमें अंतिम टेस्ट में जीत की जरूरत थी। दोनों सीरीज मेरे करियर की खास यादें रहेंगी। भारत और इंग्लैंड की यह सीरीज न सिर्फ रोमांच से भरपूर रही, बल्कि इसने यह भी साबित किया कि टेस्ट क्रिकेट का भविष्य अब भी उज्ज्वल है, बशर्तें इसे बिना बदलाव के उसकी मूल भावना में जिया जाए।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।