MS Dhoni Dewri Mandir: जिस मंदिर में एमएस धोनी ने की पूजा, जानें क्या है उसकी पौराणिक मान्यता
क्रिकेट से दूर भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और झारखंड के लाडले महेंद्र सिंह धोनी परिवार के साथ दिवड़ी मां के दरबार में पूजा करने पहुंचे। धोनी के साथ उनकी पत्नी साक्षी और बेटी जीवा भी मौजूद रहीं। उनके स्वागत में नगाड़ा बजाया गया। धोनी ने विधि-विधान से मां काली की पूजा आर्चना की।

स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। आईपीएल 2025 के व्यस्त सीजन के बाद पूर्व भारतीय कप्तान एमएस धोनी अपनी पत्नी साक्षी और बेटी जीवा के साथ रांची स्थित मां देवड़ी मंदिर पहुंचे। परिवार ने इस प्राचीन मंदिर में माथा टेका और मां का आशीर्वाद लिया।
एमएस धोनी ने परिवार के साथ मिलकर विधि-विधान से पूजा की। दीप जाने से लेकर नारियल फोड़ने तक में परिवार ने हिस्सा लिया। धोनी के मंदिर में पूजा करने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। बता दें कि धोनी कई सालों से मंदिर में नियमति पूजा करने के लिए जाते रहते हैं।
MS Dhoni and his family at Deori Maa temple 🙏❤️ pic.twitter.com/5Jb7VBXn54
— ` (@WorshipDhoni) July 19, 2025
लोगों के बीच सेल्फी लेने की लगी होड़
हालांकि, इस बार वह परिवार के साथ पहुंचे। धोनी के माता के दरबार में पहुंचने की सूचना पर मंदिर के बाहर काफी संख्या में लोग पहुंचे। उनके साथ सेल्फी लेने की होड़ मच गई। धोनी के मंदिर दर्शन की सूचना जिला प्रशासन को पहले ही थी, इसलिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।
16 भुजाओं वाली मां काली की है मूर्ति
झारखंड में मां काली का यह मंदिर हर किसी की जुबान पर रहता है। यहां 16 भुजाओं वाली मां काली की करीब साढ़े तीन फुट ऊंची प्रतिमा है। यह मंदिर रांची की पहचान बन चुका है। इस मंदिर को लेकर दो कथाएं प्रचलित हैं।
पहली कथा के अनुसार, झारखंड के तमाड़ में तब एक राजा हुआ करते थे। नाम था- केरा। वह युद्ध में हार कर घर लौट रहे थे। देवी उनके स्वपन में आईं। उन्होंने राजा से कहा- मेरा मंदिर निर्माण कराओ। इसके बाद राजा ने मंदिर का निर्माण कराया तो उनका राज्य दोबारा मिल गया।
क्या पौराणिक मान्यता
दूसरी कथा के अनुसार, यह मंदिर करीब 700 वर्ष प्राचीन है। इसका निर्माण 10वीं से 12वीं शताब्दी के बीच का बताया जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण होते किसी ने नहीं देखा है। ऐसा कहा जाता है कि रात एक भक्त को सपना आया। सुबह उठकर उसने जंगलों में मंदिर की खोज शुरू कर दी।
काफी मेहनत के बाद उसे घने जंगल के बीच एक मंदिर नजर आया। वह देखकर दंग रह गया। इसके बाद उसने ग्रामीणों को इस मंदिर की जानकारी दी। तब से मंदिर में पूजा-आर्चना की जाती है। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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