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    यूं ही नहीं कोई MS Dhoni बन जाता, जन्मदिन पर पढ़ें माही के 7 खास किरदारों के बारे में...

    MS Dhoni Birthday एमएस धोनी भारत के इकलौते कप्तान हैं जिन्होंने तीनों आईसीसी ट्रॉफी जीती हैं। ये शायद हर भारतीय फैंस जानता है पर आज हम आपको धोनी के उन 7 किरदारों से रूबरू कराएं। जिसे जानकर आप भी कहेंगे कि यूं ही नहीं कोई एमएस धोनी बना जाता है।

    By Umesh Kumar Edited By: Umesh Kumar Updated: Mon, 07 Jul 2025 10:53 AM (IST)
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    44 साल के हुए महेंद्र सिंह धोनी।

     उमेश कुमार, नई दिल्ली। MS Dhoni Birthday: भारतीय टीम के सबसे सफल कप्तानों में शुमार महेंद्र सिंह धोनी का आज जन्मदिन है। धोनी ने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनकी कप्तानी में भारत ने आईसीसी की हर एक ट्रॉफी जीती। धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम का स्वर्ण युग रहा।

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    एमएस धोनी भारत के इकलौते कप्तान हैं, जिन्होंने तीनों आईसीसी ट्रॉफी जीती हैं। ये शायद हर भारतीय फैंस जानता है, पर आज हम आपको धोनी के उन 7 किरदारों से रूबरू कराएं। जिसे जानकर आप भी कहेंगे कि यूं ही कोई एमएस धोनी नहीं बना जाता।

    1. माही मैजिक

    ये एमएस धोनी का ही जादू है कि जिसे भी हाथ लगाया वो चमक उठा। याद हो कि साल 2007 के टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में जोगिंदर शर्मा हीरो बन गए थे। आखिरी गेंद पर मिस्बाह का विकेट लेकर जीत को यादगार बना दिया था। इसके बाद साल 2011 वनडे वर्ल्ड कप का वो आइकॉनिक सिक्स भला कौन भूल सकता है। 2013 चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पहले ईशांत शर्मा को हीरो बनाया, फिर आर अश्विन से आखिरी ओवर कराकर सभी को चौंका दिया था।

    2. अनोखे विकेटकीपर-बल्लेबाज

    धोनी ने अपनी विकेटकीपिंग को एक कला के रूप में विकसित किया। इसमें डिफ्लेक्शन से रन आउट करना, पलक झपकते ही स्टंपिंग करना और अलग अंदाज में कैच लपकना शामिल है। यूं कहें कि धोनी ने अपारंपरिक रूप से विकेटकीपिंग की और सफलता हासिल की। क्रिकेट इतिहास में सबसे तेज स्टंपिंग का रिकॉर्ड भी एमएस धोनी के नाम है। उन्होंने 2018 में वेस्टइंडीज के कीमो पॉल को मात्र 0.08 सेकंड में स्टंप किया था।

    धोनी ने विकेट के पीछे से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 634 कैच पकड़े हैं। धोनी से सबसे अधिक 195 स्टंपिंग की हैं, जो एक रिकॉर्ड है। मार्क बाउचर और एडम गिलक्रिस्ट के बाद धोनी तीसरे ऐसे विकेटकीपर हैं जिनके नाम सर्वाधिक विकेट (829) दर्ज हैं।

    बल्लेबाजी में एमएस धोनी का कोई सानी नहीं है। जब दुनिया के बड़े से बड़े बल्लेबाज यार्कर गेंद पर गच्चा खा रहे थे। तब धोनी ने हेलीकॉप्टर शॉट का इजात कर गेंदबाजों की खटिया खड़ी कर दी। वनडे इंटरनेशनल मैचों में धोनी 84 बार नाबाद पवेलियन लौटे हैं। निचले क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए 10 हजार से ज्यादा रन बनाए हैं।

    3. द लीजेंड

    एक समय था जब सचिन तेंदुलकर को खेलता देख दुनिया जूझ जाती थी। सचिन-सचिन के नारे लगते थे। लेकिन, झारखंड के रांची शहर से आए एक लंबे बालों वाले लड़के ने अपनी एक अलग पहचान बना दी। श्रीलंका के खिलाफ खेली 183 रन की पारी के बाद क्रिकेट फैंस की जुबान पर एक और नाम चढ़ गया। वो था एमएस धोनी का। अब स्टेडियम में माही-माही के नारे लगने लगे। आईपीएल में वह जहां भी खेलने गए वहां, पीला समंदर देखने को मिला। भारत के सबसे सफल कप्तानों में अपनी गिनती कराई और लीजेंड बन गए।

    4. धोनी की विरासत

    उनकी कप्तानी में भारत ने पहला टी20 वर्ल्ड कप जीता। ये कारनामा 2007 में हुआ। फिर उनकी कप्तानी में ही भारत ने साल 2011 में वनडे वर्ल्ड कप जीता। दो साल बाद धोनी की कप्तानी में ही भारत ने 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीती। धोनी की ही कप्तानी में भारत को टेस्ट गदा भी मिली। उन्होंने अनोख अंदाज में लोगों को विकेटकीपिंग करना सिखाया और मुश्किल समय में बिना घबराए फैसले लेने का पाठ भी पढ़ाया।

    5. द फिनिशर

    बेस्ट फिनिशर धोनी ने सिक्स के साथ सबसे ज्यादा 9 वनडे मैचों को फिनिश किया है। ऐसा करने वाले वे अकेले खिलाड़ी हैं। धोनी 50 बार लक्ष्य का पीछा करते हुए नाबाद लौटे हैं। उन्होंने क्रिकेट में कितनी ही बार यादगार पारियां खेली हैं।

    6. द यूनिवर्सिंटी

    धोनी अपने आप में एक यूनिवर्सिंटी हैं। खेल के मामले में हर युवा खिलाड़ी उनसे सिखाना चाहता है। आईपीएल के दौरान या जब उन्हें समय मिलता है वो युवाओं को बल्लेबाजी, कीपिंग और कप्तानी के टिप्स देते रहते हैं। विराट कोहली, रोहित शर्मा जैसे दिग्गज कप्तान उन्हीं की देन हैं अगर कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा। उनके साथ या उन्हें देखकर हर खिलाड़ी ने कुछ न कुछ सीखा जरूर है।

    7. कैप्टन कूल

    मैदान पर ऐसा कम ही देखने को मिला है कि जब एमएस धोनी ने किसी खिलाड़ी पर गुस्सा किया है। इसके चलते उन्हें कैप्टन कूल का टैग मिला हुआ है। वह फील्ड और फील्ड के बार बिल्कुल शांत चित्त रहकर गेम को समझते हैं। फिर मैदान पर ही रणनीत बनाते हैं।

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