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    Karun Nair: इंग्लैंड से इंग्लैंड तक, 7 साल में बदली कहानी, काउंटी से लेकर घरेलू क्रिकेट में दिखाया जलवा

    By abhishek tripathiEdited By: Abhishek Upadhyay
    Updated: Sun, 25 May 2025 09:00 AM (IST)

    इंग्लैंड दौरे के लिए जब भारतीय टीम का चयन हुआ तो इसमें करुण नायर का नाम भी शामिल था। दाएं हाथ का ये बल्लेबाज सात साल बाद टेस्ट टीम में वापसी कर रहे हैं। वापसी से पहले नायर टीम इंडिया के साथ आखिरी बार इंग्लैंड दौरे पर ही गए थे और अब इसी दौरे पर उनकी वापसी हुई है।

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    भारत की टेस्ट टीम में सात साल बाद करुण नायर की वापसी

    अभिषेक त्रिपाठी, जागरण, नई दिल्ली : दिसंबर 2016 की बात है..भारत के लिए अपना तीसरा टेस्ट खेल रहे करुण नायर चेन्नई में इंग्लैंड के विरुद्ध पहली पारी में 381 गेंदों में नाबाद 303 रन बनाते हैं जिसकी बदौलत विराट कोहली की कप्तानी वाली टीम पारी और 75 रन से मैच जीतती है।

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    जोधपुर में जन्में और विदर्भ व कर्नाटक के लिए घरेलू क्रिकेट खेल चुके करुण घर में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध अगले तीन टेस्ट मैचों की चार पारियों में 26, 00, 23 और 05 रन बना पाते हैं। 2017 में उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट खेला था। वर्ष 2018 में उनका चयन इंग्लैंड दौरे पर पांच टेस्ट मैचों की लिए होता है, लेकिन कप्तान विराट उन्हें एक भी मैच नहीं खिलाते हैं। इसके बाद राष्ट्रीय टीम में उनका चयन कभी नहीं होता है।

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    करुण को किया गया बाहर

    उस समय जब मैंने टीम प्रबंधन के एक सदस्य से पूछा था तो उन्होंने कहा था करुण नेट पर अच्छा नहीं कर रहे थे इसलिए उन्हें एकादश में नहीं चुना गया। मैंने उनसे पूछा था कि क्या नेट पर बल्लेबाजी के आधार पर 11 चुने जाते हैं, तो वह निरुत्तर थे। इसे समय का चक्र ही कहेंगे कि अब विराट कोहली टेस्ट से संन्यास ले चुके हैं और इंग्लैंड दौरे पर जाने वाली टीम से ही सात साल बाद करुण भारतीय टीम में वापसी कर रहे हैं।

    क्रिकेट ने दिया एक और मौका : 10 दिसंबर 2022 को करुण ने अपने इंटरनेट मीडिया हैंडल पर लिखा था कि 'प्रिय क्रिकेट मुझे एक और मौका दो'.. और 24 मई 2025 को क्रिकेट से उन्हें जवाब मिला कि प्रिय करुण, तुम्हें एक और मौका मिलेगा। एक पारी में 300 बनाने वाले गिने-चुने बल्लेबाजों में शामिल करुण को कुछ पारियों के बाद ही टीम से जब बाहर का रास्ता दिखाया गया तब वह 26 वर्ष के थे। उस समय उनके पास अपने क्रिकेट करियर को संवारने का बहुत बड़ा मौका था। शनिवार को जब उन्हें 18 सदस्यीय टीम में चुना गया तो वह 33 वर्ष के हो चुके हैं। अब उनके पास क्रिकेट के कुछ साल ही बचे हैं।

    इतिहास रचने के बाद किए गए बाहर

    उन्हें भारत की ओर से तिहरा शतक लगाने वाले दूसरे खिलाड़ी बनने के तुरंत बाद टीम से बाहर कर दिया गया था। उनकी सारी उम्मीदें खत्म कर दी गईं थीं, लेकिन नायर ने वापसी की उम्मीद नहीं छोड़ी। इसी उम्मीद ने उन्हें क्रिकेट खेलने के तरीकों पर लौटने के लिए मजबूर किया। इंग्लिश काउंटी क्रिकेट में नार्थंपटनशर की ओर से खेलना उनके लिए महत्वपूर्ण रहा। नायर ने 2023 में नार्थंपटनशर के लिए तीन मैच में 83 के औसत से 249 रन बनाए। उन्होंने चैंपियन सरे के विरुद्ध शतक भी लगाया था। एक साल बाद नायर ने 49 के औसत से सात मैच में 487 रन बनाए जिसमें उनकी काउंटी टीम के लिए ग्लैमोर्गन के खिलाफ शतक भी शामिल था। ये रन राष्ट्रीय स्तर पर वापसी के लिए काफी नहीं थे लेकिन उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ा।

    नायर ने पिछले साल कहा था कि हर कोई जानता है, भारतीय बल्लेबाजों के लिए इंग्लैंड में जाकर रन बनाना मुश्किल है इसलिए मैंने एक बल्लेबाज के तौर पर अपने बारे में बहुत कुछ सीखा है। मैंने रन बनाने के तरीके खोजने और खुद पर विश्वास करने के बारे में सीखा है।

    टीम बदलने के साथ आया बदलाव

    उनके करियर में असली बदलाव कर्नाटक टीम को छोड़कर विदर्भ में आने पर आया। उनके लिए कर्नाटक टीम के अंतिम एकादश में जगह बनाना मुश्किल हो रहा था। विदर्भ को उस समय अपने बल्लेबाजी क्रम में एक अनुभवी खिलाड़ी की तलाश थी और उसने नायर का खुशी-खुशी स्वागत किया। दाएं हाथ के इस खिलाड़ी ने भी अपनी नई टीम को भी निराश नहीं किया। उन्होंने 10 मैच में दो शतक और तीन अर्धशतकों की मदद से 690 रन बनाए। नायर ने 2024-25 सत्र में एक और कदम ऊपर बढ़ाते हुए नौ मैच में 54 के औसत से चार शतकों की मदद से 863 रन बनाए।

    फिर बेंगलुरु के इस बल्लेबाज ने विजय हजारे ट्रॉफी वनडे टूर्नामेंट में सात मैच में पांच शतकों की बदौलत 779 रन बनाए जिसमें उनका औसत 389.50 रहा। फिर भारतीय टीम में उनके चयन का मुद्दा देश भर में बहस का विषय बन गया था। विदर्भ के कोच उस्मान गनी ने कहा कि वह हमेशा रन बनाकर टीम इंडिया में वापसी करना चाहता था। विदर्भ टीम के शिविर में पहले दिन से ही वह हमसे कहता था कि मेरे अंदर शीर्ष स्तर के क्रिकेट के तीन से चार साल और बचे हैं। यह खुशी की बात है कि वह आखिरकार इसे हासिल करने में सफल रहा। हम सभी को उस पर गर्व है।

    टीम को दिलाया खिताब

    नायर के शानदार प्रदर्शन ने विदर्भ को 2024-25 सत्र में रणजी ट्ऱॉफी जीतने में मदद की। भारतीय क्रिकेट के इतिहास में नायर की असाधारण वापसी की बराबरी का एकमात्र उदाहरण वीवीएस लक्ष्मण का है जिन्होंने 1999 के घरेलू सत्र में शानदार प्रदर्शन की बदौलत राष्ट्रीय टीम में वापसी की थी। भारतीय टीम से बाहर किए जाने के बाद लक्ष्मण ने रणजी ट्रॉफी में खेलते हुए नौ मैच में 108.8 के औसत से नौ शतकों की मदद से 1415 रन बनाए।

    इसके बाद लक्ष्मण के करियर ने अगले एक दशक या इससे भी अधिक समय के लिए 'वेरी वेरी स्पेशल' (बहुत खास) मोड़ लिया। नायर भी इसी दौर से गुजर रहे हैं और इंग्लैंड में पांच मैच की टेस्ट सीरीज के दौरान उन्हें ऐसी चिर परिचित प्रतिद्वंद्वी का सामना करने का मौका मिलेगा जिसके खिलाफ उन्होंने तिहरा शतक बनाया था।

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