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    IND vs AUS: BCCI की एक गलती से एडिलेड टेस्ट हारी टीम इंडिया, नहीं हुआ सुधार तो होती रहेगी फजीहत

    भारतीय टीम को एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया के हाथों डे-नाइट टेस्ट मैच में हार का सामना करना पड़ा है। ऑस्ट्रेलिया ने एडिलेड टेस्ट मैच 10 विकेट से अपने नाम किया। टीम इंडिया इस मैच में पूरी तरह से फेल रही। टीम इंडिया की इस हार के पीछे जिम्मेदारी उसका प्रदर्शन तो है ही साथ ही बीसीसीआई की पॉलिसी भी है।

    By Abhishek Upadhyay Edited By: Abhishek Upadhyay Updated: Sun, 08 Dec 2024 03:24 PM (IST)
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    भारतीय टीम को एडिलेड टेस्ट मैच में मिली हार

    अभिषेक उपाध्याय, स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। पर्थ टेस्ट मैच में जिस टीम इंडिया की तारीफों के पुल बांधने से लोग थक नहीं रहे थे एडिलेड टेस्ट मैच के बाद उसमें कई कमियां निकाली जा रही हैं। पहले टेस्ट मैच में टीम इंडिया पूरी तरह से ऑस्ट्रेलियाई टीम पर हावी रही थी, लेकिन एडिलेड में वो कहीं से कहीं तक नजर नहीं आई। न टीम इंडिया की बल्लेबाजी चली और न ही गेंदबाजी। इसका कारण रहा गुलाबी गेंद से खेला गया डे-नाइट टेस्ट मैच। एडिलेड टेस्ट डे-नाइट टेस्ट ही था जिसमें टीम इंडिया की हवा निकल गई।

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    ये पहली बार नहीं है जब टीम इंडिया पिंक बॉल यानी डे-नाइट टेस्ट मैच में फेल रही है। इसी मैदान पर भारत को अपने पिछले ऑस्ट्रलिया दौरे पर बुरी तरह से हार मिली थी। उस मैच में दूसरी पारी में भारत सिर्फ 36 रनों पर ढेर हो गया था जो टेस्ट मैच की एक पारी में उसका सबसे कम स्कोर है। इस बार इतनी बुरी गत तो नहीं हुई, लेकिन भारत को हार मिली। इसका एक बड़ा कारण बीसीसीआई की पॉलिसी है।

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    बीसीसीआई है जिम्मेदार

    इस मैच को देखा जाए तो भारत की बल्लेबाजी से लेकर गेंदबाजी बुरी तरह से फ्लॉप रही। रोहित शर्मा, विराट कोहली जैसे दिग्गज बल्लेबाज पिंक बॉल के सामने बेबस नजर आए। भारतीय बल्लेबाजों की गुलाबी गेंद की पेस और मूवमेंट समझ में नहीं आ रही थी। जहां तक गेंदबाजों की बात है तो उनकी लाइन और लैंग्थ भी स्टंप पर नहीं थी। टीम के गेंदबाजों ने स्टंप के बाहर गेंदबाजी ज्यादा की जिससे ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को रन बनाने के आसान मौके मिले। उनकी गेंदबाजी देख लग रहा था कि भारतीय गेंदबाजों को पता नहीं है कि गुलाबी गेंद को किस तरह से कंट्रोल करना है।

    इसका कारण ये है कि भारतीय खिलाड़ियों को गुलाबी गेंद से ज्यादा अभ्यास नहीं है। टीम इंडिया लगातार डे-नाइट टेस्ट मैच नहीं खेलती है और ऐसे में जब उसके सामने कोई अनुभवी टीम और बेहतरीन खिलाड़ी आते हैं तो उसकी हवा निकल जाती है। बीसीसीआई रेग्युलर डे-नाइट टेस्ट मैच का आयोजन नहीं करता जिससे खिलाड़ियों को इसकी आदत नहीं लगती है और उसे एक उच्च स्तरीय टीम के सामने नीचा देखना पड़ता है।

    भारत ने अभी तक पांच डे-नाइट टेस्ट मैच खेले हैं जिसमें से तीन में उसे जीत मिली है और दो में हार। जीत उसे अपने घर में ही मिली हैं और हार उसे घर के बाहर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही मिली हैं। वहीं ऑस्ट्रेलिया की ही बात करें तो इस टीम ने अभी तक कुल 12 डे-नाइट टेस्ट मैच खेले हैं जिसमें से एक में उसे हार मिली है। ये बताता है कि भारत गुलाबी गेंद से कितने कम खेलता है।

    कब-कब खेले टेस्ट मैच

    इस बात को भारत के डे-नाइट टेस्ट मैच खेलने की तारीखों से समझते हैं। भारत ने अपना पहला डे-नाइट टेस्ट मैच कोलकाता में नवंबर-2019 में बांग्लादेश के खिलाफ खेला था जिसमें उसे जीत मिली थी। इसके बाद उसका दूसरा टेस्ट साल 2020 के अंत में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड में ही खेला था। फरवरी 2021 में भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ अहमदबाद में अपना तीसरा पिंक बॉल टेस्ट खेला जिसमें उसे जीत मिली। इसके एक साल बाद भारत ने जनवरी-2022 में अपना चौथा डे-नाइट टेस्ट मैच खेला जो श्रीलंका के खिलाफ था।

    उस मैच के बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया के अब खिलाफ डे-नाइट टेस्ट मैच खेला है। यानी तकरीबन 32 महीने बाद भारत ने डे-नाइट टेस्ट मैच खेला है। इस दौरान भारत ने अपने घर में कई टेस्ट सीरीज खेली और विदेशों में भी टेस्ट मैच खेले, लेकिन डे-नाइट टेस्ट नहीं खेला।

    इससे असर ये हुआ का भारतीय खिलाड़ियों को गुलाबी गेंद की आदत नहीं लगी और जो लगी थी उसका भी अनुभव अभ्यास न मिलने से कुंद हो गया। सिर्फ इंटरनेशनल स्तर पर ही नहीं बल्कि घरेलू स्तर पर भी बीसीसीआई गुलाबी गेंद से मैच नहीं कराता है। अगर घरेलू क्रिकेट में खिलाड़ियों को गुलाबी गेंद से मैच मिलें तो उन्हें इस गेंद को संभालने का अनुभव आएगा। दलीप ट्रॉफी में भारत ने 2016 में गुलाबी गेंद का इस्तेमाल किया था और पूरा टूर्नामेंट डे-नाइट फॉर्मेट में खेले थे, लेकिन इसके बाद कोई और घरेलू टूर्नामेंट गुलाबी गेंद से नहीं खेला।

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