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    IND vs ENG: हंगामा है क्यों बरपा, ड्यूक बॉल सॉफ्ट ही तो है... लॉर्ड्स टेस्‍ट में डाका नहीं डाला; बन गई शिकायतों का पिटारा

    Updated: Fri, 11 Jul 2025 07:53 PM (IST)

    लॉर्ड्स में खेले जा रहे तीसरे टेस्‍ट के दूसरे दिन भारतीय कप्‍तान शुभमन गिल का रौद्र रूप देखने को मिला। पहले सेशन में शुभमन गिल के साथ ही तेज गेंदबाज मोहम्‍मद सिराज अंपायर्स पर भड़कते हुए नजर आए। दरअसल गिल ड्यूक बॉल के बार-बार जल्दी से नरम होने से परेशान थे।

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    भारत और इंग्लैंड टेस्ट मैच में ड्यूक बॉल को लेकर कंट्रोवर्सी।

     स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। लॉर्ड्स टेस्ट और दूसरा दिन। भारतीय कप्तान शुभमन गिल इस बात से नाराज दिखे कि मेहमान टीम को सिर्फ 10 ओवर के बाद ही नई गेंद बदलनी पड़ी। गेंद हूप टेस्ट में पास नहीं हुई और अंपायरों ने गेंद बदलने का आदेश दिया। लेकिन, गिल को एक पुरानी गेंद थमा दी गई, जिससे उनका संयम टूट गया। उन्होंने मैदानी अंपायरों से बहस भी की, लेकिन कोई खास फायदा नहीं हुआ।

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    इंग्लैंड ने पुरानी गेंद का फायदा उठाया और जेमी स्मिथ और ब्रायडन कार्से ने अच्छी साझेदारी की। फिर भी पहली गेंद बदलने के 48 गेंद बाद भारत को फिर से गेंद बदलने का अनुरोध करना पड़ा। दूसरी गेंद भी हूप टेस्ट में पास नहीं हुई और भारत को तीसरी गेंद दी गई। इसके बाद भारत ने फिर कोई शिकायत नहीं की, लेकिन इससे एक गंभीर सवाल उठता है। क्या ड्यूक बॉल टेस्ट क्रिकेट के लिए सही है।

    पूर्व क्रिकेटर स्टुअर्ट ब्रॉड ने पिछले कुछ सालों में ड्यूक गेंद की खराब होती हालत पर अपनी अपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि गेंद कम से कम 80 ओवर तक चलनी चाहिए, सिर्फ 10 ओवर नहीं। उन्होंने इसे 'अस्वीकार्य' बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की। अब आइए जानते हैं कि आखिरी ड्यूक बॉल को लेकर इतना हंगामा आखिर क्यों बरपा है।

    विवाद क्यों छिड़ा है?

    इसकी शुरुआत एजबेस्टन टेस्ट मैच से होती है। भारतीय टीम इतिहास रचते हुए पहली बार एजबेस्टन में टेस्ट मैच जीती। जीत के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए शुभमन गिल ने गेंद और पिच को लेकर बड़ा बयान दे दिया। इसके बाद भारतीय उप-कप्तान ऋषभ के बयान ने इसमें आग में घी डालने जैसा काम किया। दोनों ने ड्यूक बॉल की खूब आलोचना की और गुणवत्ता पर सवाल उठा दिए।

    दरअसल, भारत के इंग्लैंड दौरे में उपयोग होने वाली ड्यूक बॉल जल्दी खराब हो रही है। मैच के दौरान इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स सहित कई खिलाड़ी अंपायर्स से गेंद बदलने की मांग कर चुके हैं। गेंद खराब होने के चलते गेंदबाजों को मदद नहीं मिल पा रही और बल्लेबाजी करना आसान हो गया है। इससे आरोप लग रहे हैं कि मैच पर असर पड़ रहा है।

    क्यों जल्दी खराब हो रही गेंद?

    बार-बार गेंद बदलने के पीछे ड्यूट बॉल का जल्दी नरम हो जाना है। जल्दी नरम होने से गेंद अपनी चमक और शेप खो दे रही है। इसके चलते गेंदबाजों को मदद नहीं मिल रही है। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि गेंद को बनाने वाली कंपनी ने बॉल की सिलाई और लेदर क्वालिटी में समझौता किया है। इससे गेंद जल्दी घिस जा रही है और शेप खो दे रही है।

    इसके अलावा इंग्लैंड में इस समय गर्मी का महीना चल रहा है। कई जगहों पर मौसम में नमी और बादल छाए हुए दिखे। एजबेस्टन में बारिश भी हुई थी। वहां के मौसम में नमी और बादल थे। ज्यादा नमी या फिर गीली आउटफील्ड गेंद को वजनी और सॉफ्ट बना देता है। इससे सिलाई ढीली होती है। वहीं, दूसरी तरफ इंग्लैंड में इस सीरीज के लिए फ्लैट पिचें बनाई गईं हैं।

    सपाट और कम घास वाली पिच पर गेंद ज्यादा रगड़ खा रही है और जल्दी खराब हो रही है। एजबेस्टन टेस्ट मैच में तो भारतीय टीम ने दोनों पारियों को मिलकर 1000 से ज्यादा रन बना दिए थे। क्योंकि गेंद सॉफ्ट होने पर बल्लेबाजी करना बेहद आसान हो जाता है। बॉल की स्पीड कम हो जाती है। साथ ही जंप भी कम होता है। साथ ही गेंद के फूल जाने से इसको पकड़ने में भी कठिनाई होती है।

    औरों से कितनी अलग होती है ड्यूक बॉल

    ड्यूक गेंद 2020 से ही चर्चा का विषय रही है। क्योंकि यह जल्दी ही खराब और नरम हो जाती है। ड्यूक बॉल को हाथ से तैयार किया जाता है। इसकी सिलाई मशीन से नहीं हाथों से होती है। दावा किया जाता रहा है कि ड्यूक बॉल से सीम मिलता है। वहीं, SG की बॉल को भी हाथ सिला जाता है। इससे स्पिनर्स को मदद मिलती है। रिवर्स स्विंग कराने में आसानी होती है। कुकाबुरा गेंद को मशीन द्वारा बनाया जाता है। यह गेंद ज्यादा हर्ड होती है। सीम मूवमेंट ज्यादा मिलता है।

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