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    'राख' से निकली दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट राइवलरी की ज्वाला, एक 'शोक संदेश' ने दिया 'द एशेज' को जन्म; दिलचस्प है कहानी

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 03:06 PM (IST)

    इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच द एशेज की शुरुआत 143 साल पहले 1882 में हुई थी। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड 1877 से टेस्ट सीरीज खेल रहे हैं। दुनिया का पहला टेस्ट मैच भी इन्हीं दोनों देशों के बीच खेला गया था। यह मुकाबला 15 से 19 मार्च 1877 को मेलबर्न में खेला गया। बाद में इसी सीरीज का नाम 'एशेज' पड़ा।

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    एशेज सीरीज के नाम की दिलचस्प कहानी।

    स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। क्रिकेट जगत की सबसे पुरानी सीरीज 'द एशेज' 2025-26 की शुरुआत हो चुकी है। पहले टेस्ट मैच पर्थ में खेला गया जिसे ऑस्ट्रेलिया ने अपने नाम किया। यह टूर्नामेंट का 74वां सीजन है। पिछला सीजन 2-2 से ड्रा रहा था। इसके पहले ऑस्ट्रेलिया ने 4-0 से सीरीज जीती थी, इसलिए एशेज ट्रॉफी कंगारुओं के पास रही, जिसका मेजबान इंग्लैंड था।

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    2 देशों की इस सीरीज की शुरुआत 143 साल पहले 1882 में हुई थी। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड 1877 से टेस्ट सीरीज खेल रहे हैं। दुनिया का पहला टेस्ट मैच भी इन्हीं दोनों देशों के बीच खेला गया था। यह मुकाबला 15 से 19 मार्च 1877 को मेलबर्न में खेला गया। बाद में इसी सीरीज का नाम 'एशेज' पड़ा।

    'द एशेज' नाम के पीछे की कहानी

    'द एशेज' नाम के पीछे बेहद दिलचस्प कहानी है। इस सीरीज को यह नाम देने का क्रेडिट 'द स्पोर्टिंग टाइम्स' की खबर और तब के इंग्लिश कप्तान इवो ब्लीग के उस बयान को जाता है, जो उन्होंने ऑस्ट्रेलिया रवाना होने से पहले दिया था।

    दरअसल, अगस्त 1882 में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को उसी के घर में हराया। तब लंदन से निकलने वाले अखबार 'द स्पोर्टिंग टाइम्स' ने इंग्लिश क्रिकेट के मरने का शोक संदेश प्रकाशित किया, जिसमें पत्रकार रेनिगाल्ड शिर्ले ब्रूक्स ने लिखा, 'उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा और बची हुई राख ऑस्ट्रेलिया ले जाई जाएगी।'

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    न्यूज पेपर की कटिंग

    इसके 4 महीने बाद दिसंबर 1882 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर रवाना होने से पहले इंग्लैंड के कप्तान इवो ब्लीग ने कहा, 'अगस्त में ऑस्ट्रेलिया ले जाई गई राख को हम वापस लेने जा रहे है।' तब से इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जाने वाली टेस्ट सीरीज को 'द एशेज' कहा जाने लगा। दिसंबर 1882 में इंग्लैंड टीम ने सीरीज में जीत दर्ज की और ऑस्ट्रेलिया गई एशेज ट्रॉफी वापस घर ले कर आई।

    क्या रखा है कलश में?

    एशेज कलश में असल में किस चीज की राख है? इस पर लंबे समय से बहस होती रही है। कुछ का मानना है कि इसमें 1882 के पहले एशेज सीरीज के तीसरे मैच की बेल की राख है, जबकि दूसरों का अंदाजा है कि इसमें जले हुए बॉल कवर या स्टंप के बचे हुए हिस्से की राख हो सकती है। हालांकि, यह आज तक पता नहीं चल पाया है कि वह राख किस जीच की है।

    हालांकि, 1927 में इवो ब्लीग की मौत के बाद असली अस्थि कलश लॉर्ड्स में मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब (MCC) को सौंप दिया गया था और तब से वह वहीं रखी हुई है। अब जीतने वाली टीम को उसकी रेप्लिका ट्रॉफी दी जाती है। एशेज दुनिया की सबसे छोटी ट्रॉफी मानी जाती है। ट्रॉफी की हाईट 10.5 सेंटीमीटर है। 

    इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच हेड टू हेड

    ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच अब तक 73 बार सीरीज खेली जा चुकी है। इसमें से ऑस्ट्रेलिया ने 35 सीरीज जीतीं। वहीं, इंग्लैंड ने 32 सीरीज अपने नाम की हैं। बाकी की बची 6 सीरीज ड्रॉ रहीं। दिसंबर 1882 से 1890 तक लगातार इंग्लैंड जीत दर्ज की। लगभग नौ साल बाद ऑस्ट्रेलिया ने 1891-92 में पहली बार एशेज ट्रॉफी जीती थी।

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