Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    चयन में लापरवाही का खामियाजा भुगत रहा दिल्ली क्रिकेट, 4 मैच में खिलाए गए 19 खिलाड़ी

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 07:56 PM (IST)

    टीम चयन की प्रक्रिया पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि ट्रायल्स उसी दिन कराए गए जिस दिन टीम को बीसीसीआई में रजिस्टर किया जाने की आखिरी तारीख थी। तीन ट्रायल मैचों के आधार पर जल्दबाजी में टीम का गठन हुआ, जिसमें कई खिलाड़ियों को खेलने का मौका तक नहीं मिल पाया। चयन समिति में चेयरमैन आशु दानी, सेलेक्टर प्रवीण गुप्ता और डीडीसीए सचिव अशोक शर्मा शामिल थे।

    Hero Image

    दिल्ली क्रिकेट में मचा है बवाल। फाइल फोटो

    लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। दिल्ली क्रिकेट इन दिनों विवादों और अव्यवस्था के दौर से गुजर रहा है। यहां खिलाड़ियों के चयन को लेकर सवालों की बौछार हो रही है। वीनू मांकड ट्राफी के लिए टीम का चयन बिना मेरिट और जल्दबाजी में किया गया, जिससे दिल्ली का क्रिकेट और भी बदनाम हो रहा है। कई प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को नजरअंदाज कर ऐसी टीम उतारी गई जो अब मैदान पर लगातार निराशाजनक प्रदर्शन कर रही है। चयन में की गई लापरवाही का असर मैदान पर भी साफ दिखाई दे रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    टीम चयन की प्रक्रिया पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि ट्रायल्स उसी दिन कराए गए जिस दिन टीम को बीसीसीआई में रजिस्टर किया जाने की आखिरी तारीख थी। तीन ट्रायल मैचों के आधार पर जल्दबाजी में टीम का गठन हुआ, जिसमें कई खिलाड़ियों को खेलने का मौका तक नहीं मिल पाया। चयन समिति में चेयरमैन आशु दानी, सेलेक्टर प्रवीण गुप्ता और डीडीसीए सचिव अशोक शर्मा शामिल थे। इतना ही नहीं डीडीसीए के एक वरिष्ठ अधिकारी की मौजूदगी के बावजूद टीम चयन में भारी अनियमितताएं देखने को मिलीं।

    प्रणव ने जड़ा था शतक

    अब तक वीनू मांकड ट्रॉफी में दिल्ली टीम चार मुकाबले खेल चुकी है, जिनमें से तीन में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा है। टीम को केवल असम जैसी कमजोर टीम के विरुद्ध जीत मिल सकी, जिसमें कप्तान प्रणव पंत ने शतक जड़ा था। इसके अलावा महाराष्ट्र से 31 रन, पंजाब से 196 रन और उत्तर प्रदेश से चार विकेट से हार ने टीम की कमजोरी उजागर कर दी है। टीम का अगला मुकाबला 17 अक्टूबर को खेला जाएगा।

    चार में 19 खिलाड़ियों को खिलाया गया

    डीडीसीए ने इस टूर्नामेंट के लिए 24 सदस्यीय दल को रांची भेजा था, जिससे युवा कप्तान पर भारी दबाव बन गया है। कप्तान पर ऊपर से खिलाड़ियों को लगातार बदलने का दबाव डाला जा रहा है। अब तक चार मैचों में दिल्ली की ओर से 19 खिलाड़ी मैदान में उतर चुके हैं। जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर 15 सदस्यीय टीम ने विश्व कप और चैंपियंस ट्राफी जैसे बड़े खिताब जीते हैं। हर मैच में नए खिलाड़ियों को मौका देने से न केवल टीम संयोजन बिगड़ा है बल्कि खिलाड़ियों का आत्मविश्वास भी टूट रहा है। उन्हें डर है कि कहीं अगले मैच से उन्हें बाहर न कर दिया जाए।

    प्रियांश पांडे, आर्यवीर सहवाग और अन्य खिलाड़ियों पर भी उठे सवाल

    प्रियांश पांडे का चयन एक अतिरिक्त विकेटकीपर के रूप में किया गया था। जब डीडीसीए के शीर्ष अधिकारियों को इसकी जानकारी मिली तो रांची एक और विकेटकीपर भेजा गया। इस फैसले से चयन प्रक्रिया पर उस समय भी सवाल उठे थे और अब भी उठ रहे हैं। प्रियांश को असम और उत्तर प्रदेश के खिलाफ दो मैचों में मौका मिला, जिसमें उन्होंने क्रमशः 6 और 41 रन बनाए।

    वहीं, पूर्व भारतीय क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग के बेटे आर्यवीर सहवाग ने चार मैचों में सिर्फ 95 रन बनाए है, जबकि तंमय चौधरी ने दो मैच में केवल 19 रन बनाए हैं। विवान जिंदल ने तीन मैचों में केवल 85 रन बनाए हैं। लगातार प्रयोगों और अस्थिर चयन नीति के चलते दिल्ली टीम का प्रदर्शन गिरता जा रहा है।

    यह भी पढ़ें- DDCA ने तो हद कर दी! खराब फॉर्म के बावजूद इस खिलाड़ी को दी टीम में जगह