कैसे हुई Champions Trophy की शुरुआत? इस भारतीय के दिमाग में आया आइडिया, 2002 में बदलना पड़ा था नाम
पाकिस्तान और दुबई में अगले कुछ दिनों तक दुनिया की शीर्ष क्रिकेट टीमों का जमावड़ा लगने वाला है क्योंकि यहां चैंपियंस ट्रॉफी खेली जानी है। 8 साल बाद इस टूर्नामेंट की वापसी हो रही है लेकिन क्या आपको पता है कि पहले इस टूर्नामेंट का नाम कुछ और था? क्या आपको पता है कि क्यों इस टूर्नामेंट की शुरुआत हुई थी और किसने की थी।

स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। क्रिकेट की दुनिया कुछ दिनों में पाकिस्तान और दुबई में टकटकी लगाए बैठ जाएगी। विश्व की आठ बेहतरीन टीमें इन दो देशों में खिताबी जंग लड़ेंगी। जंग एक चमचमाती ट्रॉफी उठाने की जिसका नाम है- आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी। भारत दो बार ये ट्रॉफी जीत चुका है। एक बार संयुक्त रूप से और एक बार अकेले, लेकिन क्या आपको पता है इसकी शुरुआत कैसे हुई और किसने की? इस टूर्नामेंट का नाम पहले चैंपियंस ट्रॉफी नहीं था। हां, ये सच है। इस टूर्नामेंट का नाम पहले कुछ और था।
इस टूर्नामेंट की शुरुआत साल 1998 से हुई थी। तब टी20 नहीं था। वनडे वर्ल्ड कप खेला जाता था। यहां एक और बात ध्यान देने वाली है। वर्ल्ड कप वो टूर्नामेंट जिसमें दुनिया भर की टीमें हिस्सा लेती हैं। उस समय एक ही वर्ल्ड कप था वो भी 50 ओवरों का। तो ऐसे में 50 ओवरों के वर्ल्ड कप से मिलते-जुलते टूर्नामेंट को शुरू करने की जरूरत क्या थी? क्यों आईसीसी ने ऐसा कदम उठाया और बाद में फिर क्यों इस टूर्नामेंट का नाम बदल दिया? हम बताते हैं आपको।
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ऐसे हुई शुरुआत
क्रिकेट में वनडे वर्ल्ड कप की शुरुआत 1975 से हुई थी जो हर चार साल बाद खेला जाता था। तो फिर आईसीसी ने उससे मिलता जुलता ही टूर्नामेंट क्यों शुरू किया और इन दोनों में क्या अंतर था? इसके पीछे मकसद क्रिकेट का विस्तार था। वनडे वर्ल्ड कप टेस्ट दर्जा हासिल करने वाले देशों में खेला जाता था। आईसीसी ने फिर फैसला किया कि जिन देशों के पास टेस्ट दर्जा नहीं है वहां क्रिकेट को बढ़ावा देने और उनके लिए फंड जुटाने के लिए एक टूर्नामेंट वहां आयोजित कराना चाहिए। फैसला हर दो साल में चैंपियंस ट्रॉफी कराने का हुआ था।
इससे वहां क्रिकेट को मजबूती मिलेगी- आर्थिक तौर पर भी और प्रचार करने के तौर पर भी। इसी कारण साल 1998 में ये टूर्नामेंट बांग्लादेश में खेला गया जिसके पास उस समय टेस्ट नेशन का दर्जा नहीं था। दो साल बाद यानी साल 2000 में केन्या में ये टूर्नामेंट खेला गया। केन्या भी उस समय टेस्ट प्लेइंग नेशन नहीं था।
इस टूर्नामेंट के जनक बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और उस समय आईसीसी के चेयरमैन जगमोहन डालमिया थे। डालमिया के दिमाग में टेस्ट की दुनिया में उभर रहे देशों की मदद करना तो था ही साथ ही उनकी कोशिश आईसीसी के रेवेन्यू को बढ़ाने की भी थी।
बदल गई जगह
इस टूर्नामेंट के शुरुआती दो संस्करण तो वहीं हुए जहां के लिए टूर्नामेंट बना था। लेकिन 2000 में आयोजित हुए टूर्नामेंट के बाद ये साफ हो गया था कि अगर रेवेन्यू चाहिए तो फिर इस टूर्नामेंट को किसी बड़े देश में आयोजित कराना होगा। नतीजा ये रहा कि साल 2002 में पहली बार ये टूर्नामेंट टेस्ट नेशन में खेला गया और श्रीलंका इसका मेजबान बना। तब से लगातार ऐसा ही हो रहा है।
बदला गया नाम
1998 में जब ये टूर्नामेंट शुरू हुआ था तो इसका नाम आईसीसी नॉकआउट था। कुछ लोग इसे मिनी वर्ल्ड कप के तौर पर भी जानते थे। अखबारों से लेकर होर्डिंग तक में इसे मिनी वर्ल्ड कप कहा जा रहा था और इसका कारण ये था कि ये वर्ल्ड कप की तरह ही था बस इसमें टीमें वर्ल्ड कप की तुलना में कम हिस्सा लेती थीं। 2002 में जब ये टूर्नामेंट श्रीलंका में हुआ तो इसका नाम बदलकर आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी कर दिया गया था। तब से ये टूर्नामेंट इसी नाम से जाना जाता है।
बीच में लगा ब्रेक
ये चैंपियंस ट्रॉफी दो साल के अंतराल में हो रही थी। 2013 तक ऐसा ही चल रहा था। लेकिन फिर इसमें चार साल का गैप आया। अगली आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी साल 2017 में खेली गई। इसका एक कारण ये समझा जाता है कि इस दौरान टी20 वर्ल्ड कप भी शुरू हो गए थे। 2014 में टी20 वर्ल्ड कप था तो 2015 में वनडे वर्ल्ड कप। 2016 में भी टी20 वर्ल्ड कप खेला गया था। लगातार हो रहे आईसीसी टूर्नामेंट के कारण इसे चार साल बाद 2017 में कराया गया।
इसी दौरान ये चर्चा होने लगी की जब दो साल के अंतर में टी20 वर्ल्ड कप और चार साल के अंतराल में वनडे वर्ल्ड कप खेला जाता है तो फिर चैंपियंस ट्रॉफी की क्या जरूरत है? आईसीसी ने भी यही सोचा और इसी कारण कुछ साल इस टूर्नामेंट का आयोजन नहीं हुआ। हालांकि, बाद में आईसीसी ने इसे दोबारा शुरू करने के बारे में विचार किया और 8 साल के अंतराल के बाद फिर से चैंपियंस ट्रॉफी खेली जा रही है।
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