शास्त्री ने कहा- यह टीम अंधेरे में तीर नहीं चलाती और ये जीत मेरे लिए 1983 विश्व कप से बड़ी
टेस्ट सीरीज में जीत के बाद शास्त्री ने आलोचकों को करारा जबाव दिया।
सिडनी। भारतीय क्रिकेट टीम के कोच रवि शास्त्री ने ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सीरीज में जीत के बाद अपने चिर-परिचित अंदाज में आलोचकों पर निशाना साधते हुए कहा कि सैकड़ों मील दूर से आने वाली नकारात्मक प्रतिक्रियाएं 'बंदूक की गोली के धुएं' की तरह उड़ गई। टेस्ट सीरीज में जीत के बाद शास्त्री ने दिग्गज सुनील गावस्कर सहित उन सभी आलोचकों पर निशाना साधा, जिन्होंने टीम के चयन और अभ्यास कार्यक्रम पर सवाल उठाया था।शास्त्री ने कहा कि मैंने मेलबर्न में कहा था।
मुझे लगता है कि मैंने टीम पर सवाल उठाने और अंधेरे में तीर चलाने वालों को जवाब दिया था। मैं मजाक नहीं कर रहा था, क्योंकि मुझे पता है कि इस टीम ने कितनी कड़ी मेहनत की है। जब आप इतने दूर से गोली चलाते हैं तो वह दक्षिणी गोलार्ध को पार करते समय धुएं की तरह उड़ जाती हैं।रविवार को चौथे दिन के खेल के बाद टेलीविजन चर्चा के दौरान मुरली कार्तिक ने कहा कि पर्थ में मिली हार टीम के लिए खतरे की घंटी की तरह थी। जिस पर गावस्कर ने कहा था, 'खतरे की यह घंटी कैसे बजी? क्योंकि हजारों मील दूर से उसकी आलोचना की गई जिसने टीम को जगाने का काम किया।'
यह भगवान की टीम नहीं : एक ऐसा भी समय था जब टीम में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, अनिल कुंबले जैसे दिग्गज खिलाड़ी थे, लेकिन कोई भी टीम ऑस्ट्रेलिया में जीत दर्ज नहीं कर सकी। शास्त्री ने कहा कि ये टीम कोई भगवान या देवताओं की टीम नहीं है। और ना ही इस टीम में कोई सीनियर या जूनियर है, बल्कि यह एक ऐसी भारतीय टीम है जो कि कहीं से भी आकर सीधे देश के लिए मैच जीतना चाहती है। यह उनका दृढ़ निश्चय है। इस सोच के साथ यह टीम इस सीरीज में खेली, इसलिए मुझे अपने लड़कों पर गर्व है। मैं कहना चाहूंगा कि अब इस टीम के पास अपनी एक पहचान है जो पिछली किसी भी भारतीय टीम से आंखों में आखें डालकर यह कह सकें कि हमने बेहतरीन टेस्ट मैच क्रिकेट खेला। आपने किया, हमने भी करके दिखाया। कोच रवि शास्त्री ने इस जीत को विश्व कप 1983 से भी बड़ा बताया। उन्होंने इस जीत के लिए कप्तान विराट को सेल्यूट किया।
शास्त्री ने इस जीत को 1983 की विश्व कप और 1985 की वर्ल्ड सीरीज जितनी बड़ी, बल्कि उससे भी बड़ी जीत बताया है। शास्त्री इन दोनों टीमों का हिस्सा थे। वर्ल्ड सीरीज के दौरान ही उन्हें चैंपियन ऑफ चैंपियंस का खिताब दिया गया था। शास्त्री ने कहा, कि यह जीत उतनी ही बड़ी है, बल्कि मैं कहूंगा यह उससे भी बड़ी है, क्योंकि यह क्रिकेट के सबसे सच्चे प्रारूप में है। यह टेस्ट क्रिकेट है। इस प्रारूप को सबसे मुश्किल माना जाता है। यह सफर 12 महीने से चल रहा है। हमने ऑस्ट्रेलिया में शुरुआत नहीं की। यह सफर 12 महीने पहले दक्षिण अफ्रीका में शुरू हुआ। जहां हमने कहा था कि हम एक खास ब्रांड का क्रिकेट खेलेंगे। हम कांबिनेशन के साथ प्रयोग करते रहे। हम यह देखते हैं कि टीम के लिए क्या अच्छा है और वहां से हम क्या सीख सकते हैं। हमने दक्षिण अफ्रीका में बहुत कुछ सीखा। हमने इंग्लैंड में भी काफी सीखा। हमने पिछले दौरों में जो गलतियां की थीं वो यहां नहीं दोहराईं। बीते 12 महीने से हम एक लक्ष्य को लेकर चले थे जो आज हासिल कर लिया।