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    छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के गढ़ में गणतंत्र का सूर्योदय, जवानों ने उतार फेंके नक्सल झंडे; 40 साल बाद लहराएगा तिरंगा

    Updated: Thu, 25 Jan 2024 09:35 PM (IST)

    छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलवाद की अंधेरी दुनिया में गणतंत्र का सूर्योदय होने जा रहा है। यहां नक्सलियों के सबसे सुरक्षित गढ़ में सुरक्षा बल ने बीते एक ...और पढ़ें

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    छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सल की गढ़ में 40 साल बाद तिरंगा लहराएगा। (फाइल फोटो)

    अनिमेष पाल, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलवाद की अंधेरी दुनिया में गणतंत्र का सूर्योदय होने जा रहा है। यहां नक्सलियों के सबसे सुरक्षित गढ़ में सुरक्षा बल ने बीते एक माह में 10 कैंप स्थापित कर नक्सलियों को आधार क्षेत्र से पीछे धकेल दिया है। नक्सलियों के काले झंडे उतार फेंके हैं। सुरक्षा का आभास होने के बाद क्षेत्र के ग्रामीण लगभग 40 वर्षों के बाद सुरक्षा बलों के साथ मिलकर 26 जनवरी को तिरंगा फहराने जा रहे हैं।

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    कई नक्सलियों का बन चुका था गढ़

    सुरक्षा बलों के रिकॉर्ड में सुकमा जिला का दुलेड़ ग्राम कुख्यात नक्सली हिड़मा का गढ़ रहा है, जो कि नक्सलियों के सबसे खतरनाक लड़ाकू बटालियन का कमांडर है। उसके सुरक्षा घेरे में नक्सल संगठन का शीर्ष नेतृत्व, केंद्रीय समिति सदस्य चंदन्ना, आंध्र प्रदेश-ओडिशा सीमा स्पेशल जोनल कमेटी सचिव गजराला रवि, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य सुजाता, दक्षिण बस्तर जोनल कमेटी सचिव विकास जैसे बड़े नक्सली नेता यहां सुरक्षित थे।

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    इलाके में 40 साल बाद लहराएगा तिरंगा

    इस क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए पिछले एक माह में सुरक्षा बल ने पड़िया, मूलेर, सालातोंग के बाद मुर्काबेड़ा और फिर दुलेड़ में सुरक्षा कैंपों की श्रृंखला खड़ी करते हुए नक्सलियों के गढ़ में स्वयं को ताकतवर बना लिया है। दुलेड़ के चैतु (सुरक्षा कारण से परिवर्तित नाम) बताते हैं कि 40 वर्ष पहले तक गांव के प्राथमिक स्कूल में वन विभाग के अधिकारी, स्कूली शिक्षक और ग्रामीण मिलकर तिरंगा फहराते थे। 1980 के बाद धीरे-धीरे नक्सलियों ने इस क्षेत्र में अपनी पकड़ बढ़ाई और तिरंगे को प्रतिबंधित कर दिया था। गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस के दिन नक्सली तिरंगे के स्थान पर काले झंडे फहराने लगे थे। गांव में कैंप खुलने के बाद अब यहां के ग्रामीण गर्व के साथ ध्वजारोहण की तैयारी कर रहे हैं।

    नक्सल फैक्ट्री में गर्व से लहराएगा तिरंगा

    नक्सल संगठन दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का दूसरा सबसे ताकतवर क्षेत्र बीजापुर जिले का गंगालूर है। यहां पश्चिम बस्तर डिविजन कमेटी के नक्सली नेता पापाराव सहित नक्सलियों की दूसरी लड़ाकू बटालियन सक्रिय है, जिसका कमांडर वेल्ला है। नक्सल संगठन ने इसी क्षेत्र से सबसे अधिक नक्सलियों की भर्ती की है। यहां डुमरीपालनार, पालनार, चिंतावागु के बाद अब मुतवेंडी व कावड़गांव में पिछले एक माह में सुरक्षा बल के कैंप स्थापित कर नक्सलतंत्र पर कड़ा प्रहार किया गया है। क्षेत्र को सुरक्षित करने के बाद अब यहां सुरक्षा बल और ग्रामीण मिलकर गणतंत्र पर्व मनाने की तैयारी कर रहे हैं।

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