Diwali 2022: एक बार तेल डालने पर 24 घंटे जलता है ये जादुई दीया, शिल्पकार अशोक चक्रधारी की अनोखी कलाकारी
Diwali 2022 छत्तीसगढ़ के शिल्पकार अशोक चक्रधारी ने मिट्टी से ऐसे अनोखे दिये तैयार किए हैं जिसमें एक बार तेल डाल दें तो करीब 24 घंटे तक तेल डालने की जरूरत नहीं पड़ती। इस तरह यह दीया घंटों जलता रहता है।

कोंडागांव, जागरण आनलाइन डेस्क। छत्तीसगढ़ के झिटकू मीतकी कला केंद्र की बात ही कुछ ओर है। ये कलाकेंद्र कोंडागांव के कुम्हारपारा में स्थित है। यहां के शिल्पकार अशोक चक्रधारी ने मिट्टी से ऐसे अनोखे दिये तैयार किए हैं जिनकी ओर हर कोई आकर्षित हो रहा है। इन जादुई दीयों का निर्माण हाथी की मूर्ति के साथ लगाकर किया गया है। ये खास दिये लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं। इनकी जोड़ी 2000 रुपए में बिक रही है।
राज्यपाल अनुसुइया उइके ने भी की थी जादुई दीये की प्रशंसा
बता दें कि राज्यपाल अनुसुइया उइके (Governor Unsuiya Uike) ने भी कोंडागांव प्रवास के दौरान मिट्टी के जादुई दीपक की प्रशंसा की थी। नए उत्पाद की ये जोड़ी मुंबई और बेंगलुरु सहित अन्य महानगरों में भी भेजी गई है। जहां एक सामान्य जादुई दीये की कीमत 200 रुपए है, वहीं अब तक हाथी वाले मैजिक दीये की 10 पीस और नॉर्मल मैजिक दीये के 800 पीस बिक चुके हैं।
वहीं अशोक का कहना है कि मिट्टी के सामान की ढुलाई में दिक्कत होने के कारण इसे देश के दूसरे शहरों में भेजने में दिक्कत हो रही है, जबकि इसके आर्डर पूरे देश से आ रहे हैं।
कैसे काम करता है जादुई दीया
जैसा कि अशोक बताते हैं, जादुई चिराग साइफन के सिद्धांत पर काम करता है। एक बार जब आप इसमें तेल डाल दें, तो लगभग 24 घंटे तक तेल डालने की जरूरत नहीं है। साइफन सिस्टम से बने इस दीपक में जैसे ही बाती के बर्तन में तेल कम होता है, मिट्टी के एक छोटे बर्तन के आकार के बर्तन में भरा हुआ तेल अपने आप बाती के बर्तन में आ जाता है। इस तरह यह दीपक घंटों जलता रहता है।
मूर्तिकला का भी लिया प्रशिक्षण
अशोक पेशे से कुम्हार हैं, ये उनका पुश्तैनी काम है। उनका परिवार मिट्टी के बर्तन बनाता था। स्कूल के बाद अशोक ने भी अपने पिता के काम में मदद करना शुरू कर दिया, इस बीच अशोक ने नई दिल्ली की कपाट संस्था से कुम्हारपारा कोंडागांव में मूर्तिकला का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद अशोक महाराष्ट्र के भद्रावती गए और एक साल तक मूर्तियां बनानी सीखीं। इसके बाद इस कला की बारीकियां समझ में आने लगी और उनके काम में दिन-ब-दिन सुधार होता चला गया।
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