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    Chhattisgarh: लापरवाही की वजह से गई बच्चे की जान, डॉक्टरों और अस्पताल प्रबंधन पर लगा 34 लाख का जुर्माना

    By Jagran NewsEdited By: Devshanker Chovdhary
    Updated: Wed, 11 Jan 2023 04:42 PM (IST)

    Raipur News पार्वती साहू और उनके पति अशोक साहू ने परिवाद दायर कर डाक्टरों की लापरवाही से बच्चे की मौत की जानकारी आयोग को दी। आठ साल पुराने मामले में डाक्टरों और अस्पताल प्रबंधन पर ब्याज के साथ कुल 34 लाख रुपये का जुर्माना लगा है।

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    raipour District Legal Services Authority boy death case

    रायपुर, ऑनलाइन डेस्क। Chhattisgarh Boy Death: डॉक्टरों की लापरवाही के चलते एक बच्चे की मौत हो गई। घटना साल 2011 की है। बच्चे की मौत के बाद परिवार ने हार नहीं मानी और न्याय के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का दरवाजा खटखटाया। छत्तीसगढ़ के दल्लीराजहरा निवासी पार्वती साहू और उनके पति अशोक साहू ने परिवाद दायर कर डाक्टरों की लापरवाही से 17 वर्ष के बच्चे की मौत की जानकारी आयोग को दी। उन्होंने मलेरिया का टेस्ट कराए बिना बच्चे को मलेरिया का इंजेक्शन लगाने की शिकायत की थी।

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    परिवादियों को प्रदान किया गया अधिवक्ता

    मामले की जानकारी मिलते ही जिला एवं सत्र न्यायाधीश संतोष शर्मा ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव प्रवीण मिश्रा को बुलाकर परिवादियों को निशुल्क अधिवक्ता प्रदान किया। साथ ही संतोष शर्मा, अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के आदेशानुसार आवेदिका को पैनल अधिवक्ता के माध्यम से सभी जानकारी प्रदान करवा रहे थे।

    लगाया गया जुर्माना

    आठ साल पुराने मामले में राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बालोद जिला में संचालित एक अस्पताल के दो डॉक्टरों तथा प्रबंधन से जुड़े लोगों पर गलत इलाज करने से बच्चे की मौत होने के मामले में 19 लाख रुपये 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ कुल 34 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।

    डॉक्टरों को देना होगा पांच हजार रुपये वाद व्यय

    जुर्माने की राशि मृतक के माता-पिता को दी जाएगी। साथ ही अस्पताल प्रबंधन और डाक्टरों को पांच हजार रुपये वाद व्यय देने का फैसला सुनाया गया है। मामले की सुनवाई में राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष ने राजहरा स्थित शहीद हास्पिटल के डॉ एस जाना, डॉ प्रताप प्रभाकर और अस्पताल के अध्यक्ष समेत सचिव के खिलाफ जुर्माने की सजा सुनाई है।

    बच्चे को आने लगे थे झटके

    16 अप्रैल 2011 को परिवादियों ने बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया था। सुजीत को झटका आ रहा था। दोनों चिकित्सकों ने बगैर मलेरिया टेस्ट किए बच्चे को मलेरिया का इंजेक्शन लगा दिया। इसके कारण सुजीत को हरे रंग की उल्टियां हुईं। परिवादियों ने आयोग को बताया कि उनके बेटे की तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन लोगों ने उसे सेक्टर-9 अस्पताल में ले जाने की बात कही। तब डॉ जाना ने उनके बेटे को बांधकर आक्सीजन लगा दिया। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर डॉक्टर ने सुजीत को ब्रेन ट्यूमर होने की बात कहकर 15 दिन के अंदर मौत होने की बात कही।

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