देश का सबसे बड़ा ऑक्सीजोन है छत्तीसगढ़ के इस शहर में, ऐसे बदलेगा ग्रीन सिटी में
ऑक्सीजोन, ऑक्सी रीडिंग जोन के साथ मिनी मरीन ड्राइव- कटोरा तालाब में हराभरा माहौल सुकून दे रहा है।
मनीष बाघ, जागरण संवाददाता
ग्रीन सिटी का सपना अब रायपुर में भी सच दिखने लगा है। पौधारोपण की कवायद और शहर के बाकी हिस्से में ग्रीनरी तैयार करने के सरकारी अमले के प्रयास से धीरे-धीरे तस्वीर बदल रही है। ऑक्सीजोन, ऑक्सी रीडिंग जोन के साथ मिनी मरीन ड्राइव- कटोरा तालाब में हराभरा माहौल सुकून दे रहा है। जिस हिसाब से पौधे लगाए गए हैं, उस हिसाब से अगले पांच साल में ग्रीन कॉरिडोर का नजारा देखने को मिलेगा। अकेले ऑक्सीजोन में तीन हजार पौधे हरियाली प्रदान करेंगे।
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प्रशासन के मुताबिक पूरे देश में सबसे बड़ा ऑक्सीजोन रायपुर शहर का होगा। जहां हर पांच किलोमीटर की दूरी पर छांव, आनंदित वातावरण होगा। रायपुर शहर में शुरुआत से ही प्रदूषण को रोकने की बड़ी चुनौती रही है। नजदीकी औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाली जहरीली गैस और उपवनों के खत्म होने से परेशानी आ रही है। ढाई सौ से ज्यादा उद्योग संचालित हैं, लेकिन जिस तरह से पिछले तीन सालों में ग्रीनरी पर काम शुरू हुआ है, लक्ष्य पूरा होते ही प्रदेश की राजधानी ग्रीन सिटी के रूप में नजर आएगी।
रिंग रोड तीन की तरफ से रायपुर शहर के बाहर निकलने मुख्य मार्ग पर रोपे गए पौधे और फलदार वृक्ष इस इलाके में हरियाली और शुद्ध वातावरण दे रहे हैं। बारिश के सीजन में दो सालों में जिले में लगभग 20 लाख पौधों का वितरण किया जा चुका है। सालभर में दस लाख पौधे आम लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन ने उठाई है।
कलेक्टर ओपी चौधरी की पहल पर दस लाख मुनगा पेड़ बांटे गए हैं। शहर में आम जगहों पर ग्रीनरी बढ़ाने के लिए तेजी से काम हो रहा है। खनिज न्यास निधि का फंड निर्धारित होने के बाद ज्यादातर काम हरियाली बढ़ाने के उद्देश्य से स्वीकृत किए गए हैं।
छह एकड़ के एजुकेशन हब में फलदार पेड़
जीई रोड पर छह एकड़ में नालंदा परिसर तैयार है। 18 करोड़ रुपये की लागत से 10 महीने के अंदर स्मार्ट सिटी द्वारा निर्मित इस परिसर में तमाम तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। सुगंधित पेड़-पौधों के साथ वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सैकड़ों फलदार पेड़ लगाए गए हैं। एजुकेशन हब नालंदा परिसर में चौबीसों घंटे छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं। दो कैफेटेरिया के साथ प्राकृतिक वातावरण में अध्ययन की सुविधा मिल रही है।
19 एकड़ के क्षेत्रफल में ऑक्सीजोन का निर्माण
17 करोड़ रुपये की लागत से 19 एकड़ के क्षेत्र में निर्मित ऑक्सीजोन को जंगल का लुक दिया गया है। तीन हजार फलदार, छायादार और जंगली प्रजातियों के पेड़-पौधे लगाए गए हैं। यहां 500 गाड़ियों की लीनियर पार्किंग सुविधा, 12 मीटर की सड़कें हैं। 10 से 12 पैगोड़ा, जहां लोग बैठकर सुंदर नजारा और प्रकृति के सानिध्य में रहने का एहसास कर सकेंगे।
तीन और जगह बनेंगे ऑक्सीजोन
जिला खनिज निधि के माध्यम से तीन नए ऑक्सीजोन बनाए जाएंगे। इन पर नौ लाख, सात लाख और पांच लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। जोन क्रमांक-तीन महर्षि वाल्मीकि वार्ड के गीतांजलि नगर समेत दो अन्य स्थानों पर ऑक्सीजोन बनाने की कार्य योजना प्रस्तावित है। 500 से अधिक पौधे रोपे जाएंगे। इसमें जनता को भागीदार बनाया जाएगा।
शहर को जरूरत पाथ-वे की
जय स्तंभ, शास्त्री चौक मार्ग, फाफाडीह के साथ ही शहर के दूसरे हिस्सों में बड़े मार्गों पर पाथ-वे की दरकार है, लेकिन अतिक्रमण और नो पार्किंग की समस्या चिंता बढ़ा रही है। साइकिल ट्रैक बनाने का प्रयोग गांधी उद्यान की तरफ से किया गया है। कैनाल लिंकिंग रोड एक और दो पर पाथ वे बनाया गया है, जिससे रोजाना दो लाख की आबादी लाभान्वित हो रही है।
बेस्ट स्मार्ट सिटी इनिशिएटिव अवार्ड
नया रायपुर स्मार्ट सिटी परियोजना को केंद्र सरकार की ओर से बेस्ट स्मार्ट सिटी इनिशिएटिव अवॉर्ड मिला है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री एवं केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने इस साल 2018 के लिए अवार्ड की घोषणा की।
एशिया स्मार्ट सिटी अवॉर्ड सिंगापुर-2017, नेशनल अवार्ड फार एक्सीलेंस इन स्मार्ट सिटीज एंड स्मार्ट अर्बन डेवलपमेंट 2017, आइबीसी अवार्ड फार एक्सीलेंस 2014-15 और न्यू टाउनशिप डेवलपमेंट अवार्ड 2014-15 पहले ही मिल चुका है। कुशल भूमि और शहरी नियोजन, ग्रीन बिल्डिंग और पैदल मार्ग, जलाशयों का संरक्षण एवं संवर्धन, एकीकृत शहरी विकास, बीआरटी प्रोजेक्ट, जीआइएस मैपिंग, एससीएडीए प्रोजेक्ट, परिवहन प्रणाली आदि विकसित किए गए।
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