छत्तीसगढ़ में तेजी से फैल रहा है कुष्ठ रोग, कुछ की हालत इलाज के लायक ही नहीं
Leprosy in Chhattisgarh छत्तीसगढ़ में सात सालों में कुल 54275 हजार नए मामले सामने आए हैं। कुष्ठ रोगियों में हर साल 400 से ज्यादा बच्चे शामिल हैं। वहीं करीब 500 मरीजों के अंग पूरी तरह से खराब हो चुके हैं। कुष्ठ उन्मूलन के लिए बेहतर रणनीति की जरूरत है।

रायपुर, आकाश शुक्ला। Leprosy in Chhattisgarh: देश में अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में कुष्ठ रोग (Leprosy) तेजी से फैलता जा रहा है। यहां कुष्ठ रोग फैलने की दर सबसे अधिक है। इसके बाद कुष्ठ रोगी क्रमश: ओडिशा
(Odisha), झारखंड (Jharkhand), बिहार (Bihar)और महाराष्ट्र (Maharashtra) मिल रहे हैं। वर्ष 2005 में ही देश को कुष्ठ मुक्त ( leprosy free) घोषित कर दिया गया था, फिर भी छत्तीसगढ़ में इस रोग की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। इतना ही नहीं सभी मरीजों का ठीक से इलाज भी हो पा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सात सालों में राज्य में कुल 54,275 हजार नए मामले सामने आए हैं। जिनमें से 14,727 मरीजों को इलाज नहीं मिला। प्रदेश में आज भी प्रति 10 हजार की आबादी पर कुष्ठ रोग के
2.08 मामले मिल रहे हैं। जबकि ओडिशा में 1.45 और चंडीगढ़ (Chandigarh) में 1.03 मामले मिले हैं। अप्रैल-2022 से अगस्त तक छत्तीसगढ़ में 3038 नए मामले सामने आए हैं।
हर साल 400 से ज्यादा बच्चे भी शामिल
साल के हिसाब से मरीजों और इलाज पर नजर डालें तो साल 2021-22 में 6,137 नए मामले सामने आए। इनमें से सिर्फ 4,637 लोगों को ही इलाज मिला। वर्ष 2020-21 में 4,790 नए मामलों में से 3,685 को इलाज मिला। गंभीर बात यह है कि कुष्ठ रोगियों में हर साल 400 से ज्यादा बच्चे शामिल हैं। वहीं करीब 500 मरीजों के अंग पूरी तरह से खराब हो चुके हैं। यानी वे इलाज के लायक नहीं हैं।
छत्तीसगढ़ का एएनसीडीआर रेट भी सबसे ज्यादा
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, राज्य में कुष्ठ रोगियों की वार्षिक न्यू केस डिडक्शन रेट (ANCDR) 29.65 केस प्रति एक लाख है। जिलेवार स्थिति पर नजर डालें तो वर्ष-2021-22 में रायगढ़ जिले में 50.81, महासमुंद 39.37, बलौदाबाजार 26.09, दुर्ग 24.64 और जांजगीर चांपा 23.89, रायपुर 23.38 एएनसीडीआर हैं।
लालपुर कुष्ठ अस्पताल में OPD सेवाएं बंद
राजधानी के लालपुर में कुष्ठ रोगियों के इलाज के लिए 100 बिस्तरों वाला केंद्रीय कुष्ठ अस्पताल है। एक व्यवस्था के तौर पर केंद्र सरकार हर साल बजट में करीब छह करोड़ रुपये खर्च करती है। लेकिन यहां पिछले पांच साल से कुष्ठ रोगियों की भर्ती रोककर ओपीडी की औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। इसमें भी लापरवाही से मरीज पहुंच रहे हैं। गंभीर हालत के मरीजों को बिना इलाज के लिए लौटाया जा रहा है।
उच्चतम एएनसीडीआर वाले राज्य
राज्य - एनसीडीआर
- छत्तीसगढ़ - 29.65
- ओडिशा - 21.35
- झारखंड - 15.58
- बिहार - 13.07
- महाराष्ट्र - 12.21
इसलिए बढ़ रहे हैं कुष्ठ रोगी
- लोगों में कुपोषण, कम रोग प्रतिरोधक क्षमता।
- कुष्ठ उन्मूलन का लक्ष्य नहीं, विभाग की उदासीनता
- कुष्ठ रोगियों के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव
- कुष्ठ रोगियों की समय पर पहचान एवं उपचार।
जिलेवार कुष्ठ रोगियों पर एक नजर (वर्ष 2021-22)
जिला - नए मामले - एएनसीडीआर दर
- रायगढ़ - 908 - 50.81
- रायपुर -668 - 23.38
- महासमुंद - 505 - 39.37
- दुर्ग - 501 - 24.64
- बलौदाबाजार - 442 - 26.09
राज्य में कुष्ठ बच्चों के वर्षवार मामले
वर्ष - रोगी
- 2018-19 - 488
- 2019-20 - 479
- 2020-21 - 231
- 2021-22 - 473
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