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    ग्रामीण अर्थव्यवस्था का साकार मॉडल बना जेवरतला का आदर्श गौठान, मूलक गतिविधियों से संवर रहा ग्रामीणों का जीवन

    By Jagran NewsEdited By: Vijay Kumar
    Updated: Tue, 11 Oct 2022 08:39 PM (IST)

    764 मवेशियों में से लगभग 750 मवेशियों को पशुपालक प्रतिदिन इस गौठान में लाते हैं। 415 लीटर गौ-मूत्र से जैविक कीट नियंत्रक दवाई ब्रम्हास्त्र का निर्माण किया गया है। जैविक कीट नियंत्रक दवाई बनाने की जिम्मेदारी शक्ति महिला स्वसहायता समूह को दी।

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    उर्वरा शक्ति बढने से गौठान, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती का साकार मॉडल बन रहा ।

    रायपुर, डिजिटल डेस्क। गांवों के गौठान एक दिन लोगों के आर्थिक सशक्तिकरण का आधार बन जाएंगे किसी ने नहीं सोचा था, लेकिन आज छत्तीसगढ़ में यही गौठान ग्रामीण अर्थव्यवस्था की धुरी बनते जा रहे हैं। इन्हीं में से एक बालोद जिले के डौण्डीलोहारा से राजनांदगांव मुख्य मार्ग पर स्थित ग्राम जेवरतला का आदर्श गौठान भी है। कुल 07 एकड़ के विशाल क्षेत्र में निर्मित इस गौठान में साढ़े 03 एकड़ क्षेत्र को चारागाह बनाया गया है, जिसमें लगभग 01 एकड़ क्षेत्र में नेपियर घास लगाया गया है। राज्य सरकार की महत्वाकंाक्षी नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना से निर्मित यह गौठान ग्रामीणों और जरूरतमंद लोगों के लिए बहुउपयोगी साबित हो रहा है। मल्टीएक्टिविटी संेटर के रूप में विकसित होकर यह लोगों की जिंदगी संवारने का कारगर माध्यम बन गया है। यहां पशुपालन, वर्मी कम्पोस्ट निर्माण, डेयरी जैसे कई व्यवसाय ग्रामीणों द्वारा किये जा रहे हैं।

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    764 मवेशियों में से लगभग 750 मवेशियों को पशुपालक प्रतिदिन इस गौठान में लाते हैं

    गौठान समिति के अध्यक्ष पुरूषोत्तम दास साहू ने बताया कि गांव के कुल 764 मवेशियों में से लगभग 750 मवेशियों को पशुपालक प्रतिदिन इस गौठान में लाते हैं। गौठान में प्रतिदिन 07 से 12 क्विंटल गोबर की खरीदी की जा रही है। गोबर से वर्मी कम्पोस्ट निर्माण करने की जिम्मेदारी गांव की शारदा महिला स्वसहायता समूह को दी गई है। समूह के द्वारा जेवरतला में स्थित आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के माध्यम से अब तक लगभग 624 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री की गई है।

    415 लीटर गौ-मूत्र से जैविक कीट नियंत्रक दवाई ब्रम्हास्त्र का निर्माण किया गया है

    गौठान में गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गौ-मूत्र की खरीदी भी निरंतर की जा रही है। यहां प्रतिदिन लगभग 50 लीटर के हिसाब से अब तक 1597 लीटर गौ-मूत्र की खरीदी की गई है, जिसमें से 415 लीटर गौ-मूत्र से जैविक कीट नियंत्रक दवाई ब्रम्हास्त्र का निर्माण किया गया है।

    जैविक कीट नियंत्रक दवाई बनाने की जिम्मेदारी शक्ति महिला स्वसहायता समूह को दी

    गौ-मूत्र की खरीदी एवं जैविक कीट नियंत्रक दवाई बनाने की जिम्मेदारी ग्राम की शक्ति महिला स्वसहायता समूह को दी गई है। पशुधन विभाग के द्वारा समूह की महिलाओं को इसका विधिवत प्रशिक्षण भी दिया गया है। समूह की अध्यक्ष श्रीमती भगवती साहू ने बताया कि गौठान में गौ-मूत्र की खरीदी कार्य प्रारंभ होने से बड़ी संख्या में पशुपालक गौ-मूत्र की बिक्री के लिए पहुंच रहे हैं। यहां जैविक कीट नियंत्रक दवाई की मांग भी अच्छी है।

    27 रूपए प्रति लीटर की दर से अब तक 05 हजार 113 लीटर दूध की बिक्री की गई है

    शक्ति महिला स्वसहायता समूह द्वारा गौठान में दुग्ध उत्पादन का कार्य भी किया जा रहा है। इसके लिए गौठान परिसर में पशु शेड का भी निर्माण किया गया है। समूह की सदस्य ललिता कौर ने बताया कि उनके द्वारा 27 रूपए प्रति लीटर की दर से अब तक 05 हजार 113 लीटर दूध की बिक्री की गई है, जिससे उन्हें कुल 01 लाख 38 हजार रूपए की आमदनी हुई है।

    साथ ही समूह द्वारा गौठान में मशरूम उत्पादन और बिक्री से अच्छी आमदनी हो रही है

    नारी शक्ति स्वसहायता समूह द्वारा गौठान में बकरीपालन किया जा रहा है। इसके लिए अलग से शेड का निर्माण किया गया है, जिसमें कुल 39 बकरा-बकरियां पाली जा रही हैं। हाल में ही 02 बकरे की बिक्री 23 हजार रूपए में की गई है। इसके साथ ही समूह द्वारा गौठान में मशरूम उत्पादन और बिक्री से अच्छी आमदनी हो रही है।

    पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने मनरेगा के माध्यम से कुएं का निर्माण किया गया

    गौठान के चारागाह में पर्यावरण सुरक्षा और सौंदर्यीकरण के लिए आम, अमरूद, करंज, नीम, अशोक, शिव बबूल, कटहल, गुलमोहर आदि फलदार व औषधीय पौधों का रोपण किया गया है। यहां पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने मनरेगा के माध्यम से कुएं का निर्माण किया गया है।

    उर्वरा शक्ति बढने से गौठान, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती का साकार मॉडल बन रहा

    इस तरह से जेवरतला का आदर्श गौठान ग्रामीणों और जरूरतमंद लोगों के लिए स्वरोजगार का केन्द्र बन गया है। इसके निर्माण से एक ओर ग्रामीणों को घुमंतु पशुओं की समस्या से मुक्ति मिली हैं, वहीं पशुओं से फसलों की सुरक्षा भी हो रही है। जैविक खाद और कीट नियंत्रक के उपयोग से उर्वरक तथा कीटनाशक दवाईयों केे दुष्प्रभावों से निजात मिली है और भूमि की उर्वरा शक्ति फिर लौट रही है। इससेे यह गौठान, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती का साकार मॉडल बनता जा रहा है।