Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Durga Puja 2022: बगलामुखी रूप में होती बंजारी माता की पूजा, पांच सौ साल पहले बंजारों ने की थी इनकी स्थापना

    बंजारी देवी के नाम से प्रसिद्ध मंदिर में हजारों मनोकामना जोत प्रज्वलित की जाती है। 500 साल पहले गांव-गांव में घूमने वाले बंजारों ने इस गांव में डेरा डाला था। बंजर भूमि पर जमीन से देवी के मुख आकार का पत्थर दबा मिला। अपनी कुल देवी मानकर स्थापित किया।

    By JagranEdited By: PRITI JHAUpdated: Tue, 27 Sep 2022 03:26 PM (IST)
    Hero Image
    बगलामुखी रूप में होती बंजारी माता की पूजा, पांच सौ साल पहले बंजारों ने की थी इनकी स्थापना

    रायपुर, जागरण ऑनलाइन डेस्क । Navratri 2022: शारदीय नवरात्र शुरू हो गया है। सभी मंदिरों में अलग- अलग आयोजन हो रहे हैं। वहीं बंजारी देवी मंदिर की बात करें तो दो साल बाद मंदिर परिसर में भव्य मेला का आयोजन किया गया है। रेलवे स्टेशन से मात्र चार किलोमीटर की दूरी पर बिलासपुर रोड पर स्थित रावांभाठा गांव में मुख्य सड़क पर स्थित है मां बंजारी मंदिर।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    500 साल पहले बंजारों ने की थी प्रतिमा की स्थापना

    जानकारी हो कि बंजारी देवी के नाम से प्रसिद्ध मंदिर में हर साल होने वाले दोनों नवरात्र में भव्य मेला लगता है और हजारों मनोकामना जोत प्रज्वलित की जाती है। जानकारी के अनुसार लगभग 500 साल पहले गांव-गांव में घूमने वाले बंजारों ने इस गांव में डेरा डाला था। बंजर भूमि पर जमीन से देवी के मुख आकार का पत्थर दबा मिला। बंजारों ने उस पत्थर को अपनी कुल देवी मानकर स्थापित किया।

    बगलामुखी रूप में है बंजारी माता की मूर्ति

    मालूम हो कि माता के अनेक भक्त यहां तांत्रिक पूजा भी करते हैं। बंजारी माता की मूर्ति बगलामुखी रूप में हैं। यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां ट्रस्ट समिति ने इंडिया गेट की तर्ज पर अमर जवान जोत प्रज्वलित की है। ट्रस्ट के नेतृत्व में संचालित गुरुकुल स्कूल के विद्यार्थी अमर जवान जोत के समक्ष सलामी देते हैं। श्रद्धालु भी अमर जवान जोत पर सलामी देने के पश्चात मंदिर में प्रवेश करते हैं।

    मंदिर परिसर में स्वर्ग-नरक की झांकी

    यहां बनी झांकी श्रद्धालुओं को अच्छा कार्य करने की प्रेरणा देती है। मंदिर परिसर में स्वर्ग-नरक की झांकी आकर्षण का केंद्र है। स्थायी रूप से बनाई गई झांकी में दिखाया गया है कि अच्छे कर्म करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है और बुरे, पाप कर्म करने से नरक की यातना भोगनी पड़ती है। यातना की झांकी में यमदूतों द्वारा दिए जाने वाले कष्टों को चित्रित किया गया है।

    मंदिर के पुजारी के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्र में दो साल बाद मंदिर परिसर में भव्य मेला का आयोजन किया गया है। मेला में बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले, महिलाओं के लिए श्रृंगार सामग्री, विविध स्टाल लगाए गए हैं। इसके अलावा आसपास के गांवों से जसगीत मंडलियां पूरे नौ दिनों तक माता की भक्ति में जसगान की प्रस्तुति देंगे।