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    छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: EOW ने कोर्ट में दाखिल की 2300 पन्नों की चार्जशीट; 29 अधिकारियों को बनाया गया आरोपी

    Updated: Mon, 07 Jul 2025 05:41 PM (IST)

    छत्तीसगढ़ में करोड़ों रुपये के शराब घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की है। इस चार्जशीट में 29 से अधिक आबकारी विभाग के अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है जिनमें से कुछ रिटायर हो चुके हैं। जांच के अनुसार यह भ्रष्टाचार फरवरी 2019 में शुरू हुआ जिसमें डुप्लिकेट होलोग्राम वाली शराब की अवैध बिक्री शामिल थी।

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    छत्तीसगढ़ शराब घोटाला आबकारी अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    आईएएनएस, रायपुर। CG Liquor Scam: छत्तीसगढ़ में कथित करोड़ों रुपये के शराब घोटाले में लगातार जांच जारी है। इस बीच आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने सात जुलाई को विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की है। इस चार्जशीट में 29 से अधिक आबकारी विभाग के अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है।

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    सामने आई जानकारी के अनुसार, चार्जशीट को 29 फाइलों में समेटा गया है। करीब 5000 पन्नों के इस चार्जशीट में अधिकारी की भूमिका का विवरण दिया गया है। EOW के अनुसार, इस घोटाले में डुप्लिकेट होलोग्राम वाली शराब की अवैध बिक्री शामिल थी, जिसे "जिला आबकारी अधिकारियों की देखरेख में" सीधे डिस्टिलरी से खुदरा दुकानों तक पहुंचाया जाता था।

    किसी भी अधिकारी की गिरफ्तारी नहीं

    ध्यान देने वाली बात है कि आरोपों की गंभीरता के बावजूद भी इस चार्जशीट में नामित किसी भी अधिकारी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है। सूत्रों की मानें तो जिन अधिकारियों को इस चार्जशीट में आरोपी बनाया गया है, उनमें अधिकांश विभाग में अपने-अपने पदों पर कार्यरत हैं। वहीं, कुछ अन्य अब रिटायर भी हो चुके हैं।

    अभी तक की जांच में क्या आया सामने?

    अभी तक की जांच के अनुसार, ये भ्रष्टाचार फरवरी 2019 में शुरू हुआ था। इस समय डिस्टिलरी से हर महीने 800 पेटी शराब लेकर 200 ट्रक भेजे जाते थे। बताया गया है कि शुरू के समय में प्रत्येक पेटी 2,840 रुपये में बेची जाती थी।

    बाद में जैसे-जैसे इस ऑपरेशन का विस्तार हुआ, महीने में इसकी मात्रा को दोगुना कर दिया गया और 400 ट्रक भेजे जाने लगे। इसके साथ ही पेटी की कीमत भी बढ़कर 3,880 रुपये हो गई। जांच में सामने आया कि केवल तीन साल के भीतर ही कथित तौर पर 60 लाख से अधिक पेटी शराब अवैध रूप से बेची गई, जिससे लगभग 2,174.60 करोड़ रुपये का अवैध राजस्व अर्जित हुआ।

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