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    Chhattisgarh: फर्जी डॉक्टर के इलाज से हो गई थी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की मौत, 19 साल बाद पुलिस ने लिया एक्शन

    सीएसपी सिद्धार्थ बघेल ने बताया कि डॉ. नरेंद्र के मेडिकल काउंसिल और छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में पंजीयन का कोई दस्तावेज नहीं मिला है। मध्य प्रदेश की दमोह पुलिस की ओर से की गई जांच की कॉपी मंगाई गई है। जांच में मिले तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। पुलिस उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है।

    By Jagran News Edited By: Swaraj Srivastava Updated: Mon, 21 Apr 2025 02:00 AM (IST)
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    डॉक्टर की कार्डियोलाजिस्ट की डिग्री जांच में फर्जी निकली है (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जेएनएन, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की मौत के मामले में भी फर्जी कार्डियोलाजिस्ट नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ डॉक्टर जॉन केम और बिलासपुर स्थित अपोलो अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ गैर इरादतन हत्या समेत अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।

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    करीब 19 साल बाद दिवंगत शुक्ला के पुत्र डॉ. प्रदीप शुक्ला की ओर से की गई शिकायत पर सरकंडा थाना पुलिस ने यह कार्रवाई की है। डॉ. प्रदीप ने बताया कि दो अगस्त 2006 को सांस लेने में तकलीफ के कारण पिता पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ल को अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

    फर्जी डॉक्टर ने एंजियोप्लास्टी की थी

    यहां कार्डियोलाजिस्ट नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने उनकी एंजियोप्लास्टी की। इससे उनकी तबीयत और बिगड़ गई। इसके बाद उन्हें 19 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया। बेटे ने आरोप लगाया कि अपोलो अस्पताल ने फर्जी डिग्री वाले व्यक्ति को नियुक्त किया था, जिसके गलत इलाज से पिता की मृत्यु हुई।

    इलाज के दौरान उन्हें न तो पिता से मिलने दिया गया, न ही छत्तीसगढ़ सरकार के अधिकारियों को उनके स्वास्थ्य के संबंध में सही जानकारी दी गई। बता दें कि नरेंद्र यादव अपोलो अस्पताल में 31 मार्च 2007 तक पदस्थ रहा। इसके बाद उसने यहां से इस्तीफा दे दिया।

    बाद में वह मध्य प्रदेश के दमोह स्थित मिशन हॉस्पिटल में पदस्थ हो गया। वहां उसके गलत इलाज से सात लोगों की मौत का आरोप है। इस मामले में दमोह पुलिस की जांच के दौरान पता चला कि उसकी कार्डियोलाजिस्ट की डिग्री फर्जी है, इसके लिए उसने फर्जी दस्तावेज और हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया।

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