राज्य ब्यूरो, रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन शुक्रवार को पक्ष-विपक्ष की तीखी नोकझोंक के बीच प्रदेश में आरक्षण संशोधन विधेयक पास हो गया। राज्य सरकार ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (एससी) को 13 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) वर्ग को चार प्रतिशत के साथ कुल 76 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव पेश किया था।
विधानसभा में संशोधन विधेयक पारित होने के बाद राज्य सरकार के मंत्रियों के समूह ने राज्यपाल अनुसुईया उइके से मुलाकात की। राज्यपाल के विधेयक पर हस्ताक्षर करने के बाद आरक्षण तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगा। विपक्ष की ओर से एससी वर्ग को 16 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का संशोधन पेश किया गया था, जिसे स्वीकार नहीं किया गया।
राज्य सरकार ने आबादी के आधार पर आरक्षण तय किया है। इसके लिए क्वांटिफाइबल डाटा आयोग की रिपोर्ट को आधार बनाया गया है। हालांकि विपक्ष ने सदन के पटल पर क्वांटिफाइबल डाटा आयोग की रिपोर्ट को नहीं रखने पर आपत्ति दर्ज कराई। विपक्षी विधायकों ने कहा कि सदस्यों को डाटा आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि प्रदेश में किस वर्ग की कितनी जनसंख्या है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भाजपा के लोगों को आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट करने का समय मिला, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट को कोर्ट में रखा नहीं गया, जिससे लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ा। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि जनगणना में एससी वर्ग की आबादी 16 प्रतिशत आएगी, तो उनके आरक्षण में संशोधन किया जाएगा। यह आरक्षण क्वांटिफाइबल डाटा आयोग के हिसाब से दिया जा रहा है। यह छत्तीसगढ़ के लिए मील का पत्थर साबित होगा। मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों से अपील की कि सभी केंद्र सरकार के पास जाकर आरक्षण संशोधन विधेयक को नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए बात करेंगे, ताकि प्रदेश के लोगों को इसका लाभ मिल सके।